पीएम मोदी की क्यों मुरीद हैं बनारस की लड़कियां

Update: 2019-05-16 08:45 GMT

वाराणसी। "हम मोदी जी की वजह से राजनीति में दिलचस्पी लेने लगे। बोलते तो सभी हैं, लेकिन उनका बोलना असर डालता है, "बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की एक छात्रा बेलौस बोलती हैं।

उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के राजनीतिक गढ़ बनारस के युवाओं में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर खासा उत्साह है। पिछले लोकसभा चुनावों में बनारस के लोगों से किए गए वायदे कितने पूरे हुए कितने नहीं, लेकिन एक चीज जो साफ दिखती है कि उनकी वजह से एक युवा बनारसी राजनीति में दिलचस्पी लेने लगा है।

बनारस में हुए विकास कार्यों की वजह से शहर में काफी बदलाव दिखता है। "सड़कों और नालियों की सफाई के साथ ही ट्रैफिक पर भी काफी काम हुआ है। लोगों में सफाई के लिए विचार बदले हैं, लोग सफाई के लिए सोचते हैं। लोग मतदान के लिए जागरुक हुए हैं और उन्होंने सोचना शुरू किया है, "बनारस हिन्दू विवि में शोध छात्रा साक्षी सिंह कहती हैं।

दूसरी ओर बनारस का आम युवा राजनीति के मौजूदा हालातों पर भी चिंतिति दिखता है। किस तरह राजनेता मुद्दों पर बात न करके एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करते हैं। बीएचयू की छात्रा वर्तिका कहती हैं, "आज बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर बात न करके आज सिर्फ एक दूसरे की ही आलोचना करते रहते हैं।"

योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक न पहुंचना एक बड़ी चुनौती है। साथ ही युवा के तौर पर किन चीजों पर सबसे पहले काम होना चाहिए इस बारे में बीएचयू की छात्रा भावना कहती हैं, "हमारी पहली जरूरत है कि सभी को रोजगार मिले, हमारी आधारभूत जरूरतें पूरी हो जाएं और भ्रष्टाचार-जो सिस्टम के साथ ही सबसे अधिक राजनीति में है वो भी खत्म हो।"

वहीं साक्षी कहती हैं, "हम लोगों का नाम लेके वोट तो लिया जा रहा है, लेकिन हम कितने मजबूत हैं ये नहीं दिख रहा, हमारी बातें मजबूती से आगे आ नहीं पातीं। हम बता ही नहीं पाते कि हम क्या चाहते हैं? युवाओं के नाम पर वोट लिया जाता है, लेकिन उसे आगे नहीं बढ़ाया जाता।"

"युवाओं के तौर पर सबसे पहले ये होना चाहिए कि सबसे पहले रोजगार मिले और भ्रष्टाचार कम हो, जो सबसे अधिक राजनीति में ही है, "साक्षी आगे कहती हैं।

पिछले पांच सालों में बनारस में हुए बदलावों के बारे में वर्तिका कहती हैं, "शहर की सड़कें साफ हुई हैं, घाटों पर पहले लोग बैठ नहीं सकते थे, पर अब साफ हुए हैं।"

प्रियंका के बनारस से चुनाव लड़ने के बारे में युवाओं को भरोसा था कि मोदी पर असर नहीं पड़ता। "प्रियंका गांधी भले ही चुनाव लड़तीं लेकिन मोदी जी का प्रभाव दोगुना हो जाता," भावना कहती हैं।

इसी बीच साक्षी कहती हैं, "बात वो नहीं है, महत्वपूर्ण ये है कि कौन कितना बनारस आता है, प्रियंका जी को तो यहां घाट कितने हैं ये भी नहीं पता होगा, लेकिन मोदी जी को जरूर पता होगा।" 

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