मिलिए लखनऊ के पारंपरिक सेवइयां बनाने वाले कारीगरों से

पूरी दुनिया ईद मना रही है और ईद-उल-फित्र का यह त्योहार मीठी सेवइयों के बिना पूरा कैसे हो सकता है, मिलिए लखनऊ के ऐसे ही कुछ कारीगरों से जिनकी वजह आपके घर तक सेवइयां पहुंचती हैं।

Update: 2022-05-02 12:28 GMT

लखनऊ, उत्तर प्रदेश। लखनऊ का अमीनाबाद हमेशा की तरह चहल-पहल से भरा होता है, यहां की एक गली में आप भूनी जा रही सेवइयों की खुशबू के पीछे पहुंच जाएंगे। जहां पर रमजान महीने की शुरूआत से पहले ही सेवइयां बननी शुरू हो जाती हैं।

ईद नजदीक आते ही बाजार में रौनक बढ़ जाती है, लेकिन इस दौरान एक चीज सबसे खास होती है, जो इस त्योहार का सबसे जरूरी हिस्सा होती हैं, वो हैं सेवइयां लेकिन बाज़ार से आपकी रसोई तक पहुंचने से पहले ये बनती कैसे हैं क्या आपको पता है? ..

आतिशम अपने परिवार में चौथी पीढ़ी के तीसरे व्यक्ति हैं जो सेवइयां बनाते हैं, उनका परिवार आसपास के इलाके में सेवइयां बनाने के लिए जाना जाता है। उनकी छत पर सेवइयां पर्दे की तरह लटकती दिखती हैं, जिसे बड़ी नजाकत से वहां फैलाया जाता है, जिसका निरीक्षण के घर के बुजुर्ग करते हैं।

सेवई को सुखाया जाता है, फिर इसे भूना जाता है। फोटो: अभिषेक वर्मा

आतिशम ने गांव कनेक्शन को बताया, "सेवइयां बनाने के तरीके में बहुत कुछ नहीं बदला है। यह अभी भी केवल आटे और पानी से बनता है और कुछ नहीं।"

पारंपरिक रूप से सेवइयां कैसे बनाई जाती हैंं?

बड़े-बड़े ड्रमों में से गेंहू का आटा निकाकलर पानी के साथ एक आटा मेकर में डाला जाता है जहां सही मात्रा में पानी से एक आटा बनाया जाता है। हाथ से बने छोटे छिद्रों वाली एक छलनी को नीचे रखा जाता है और गुंथा हुआ आटा छलनी से होकर गुजरता है और बेहतरीन सेवइयां बनती जाती हैं।

अतिशम ने दोहराया, "ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे आधुनिक तकनीक बारीक सेवइयां बना सकती है जैसा कि हम यहां बनाते हैं। हो सकता है कि यह मोटी हो सकती है, लेकिन इतनी बारीक नहीं।"

हवा में हल्की सेवइयों को स्टील की छड़ों पर सावधानी से लपेटा जाता है, जिन्हें आतिशम के घर की छत पर सुखाने के लिए स्टैंड पर रखा जाता है। सेवइयां सूखने के बाद भूनी जाएंगे, जिसे बाद में बेचने के लिए भेजा जाएगा।


"हम ईद के दौरान ज्यादा सेवई बनाते हैं, लेकिन फिर भी हम इसे रक्षा बंधन जैसे अन्य अवसरों के लिए भी बनाते हैं। सेवइयों से कई चीजें बनाई जा सकती हैं, मीठी और नमकीन दोनों तरह की। हमारे पास अलग-अलग मोटाई के सेवइयां हैं जो इस पर निर्भर करती हैं कि क्या बनाया जाना है, "आतिशम ने समझाया।

लकड़ी के आग में भुनी हुई, सुनहरे भूरे रंग के रंगों में सेवइयां पैक की जाती हैं, जिसे रसोई में ले जाने के लिए तैयार रखा जाता है जहां उन्हें घी में भुना जाता है, सूखे मेवों में पकाया जाता है और दूध और चीनी में पकाया जाता है, परिवार और दोस्तों को प्यार से परोसा जाने से पहले। राजाओं के लिए एक व्यंजन, और वास्तव में, शाही मुगलों की मेज पर यह कैसे पसंदीदा था, इसकी भी कहानियां हैं।

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