जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान तो ग्रामीणों ने खुद बना ली सड़क, बरसात में बच्चे नहीं जा पाते थे स्कूल

सतना के जिले इंदरहा गांव के लोग सड़क के लिए परेशान थे। कई बार अधिकारियों के पास गये, जनप्रतिनिधियों के पास गये, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में ग्रामीणों ने खुद मिलकर चलने लायक सड़क बना ली।

Update: 2020-07-28 11:00 GMT

सतना(मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश के सतना जिले में आने वाली ग्राम पंचायत रामपुर चौरासी के इंदरहा टोला गांव के लोगों का सब्र का बांध टूटा तो सयाने क्या बच्चों ने भी कुदाली और फावड़ा उठा लिया। सड़क पर मिट्टी डालकर तीन से चार किलोमीटर की सड़क को इस लायक बना दिया कि लोग अब आराम से पैदल चल सकेंगे। जिले के इस गांव तक पहुंचने का जो रास्ता है वह आज भी कच्चा है, जिस पर पैदल चलना तक मुश्किल था। परेशान ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन से लेकर तमाम नेताओं के यहां दस्तक दी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

सोहावल जनपद में आने वाले इस गांव की आबादी करीब छह हजार है जिसमें 12 टोले बने हुए हैं। ग्रामीणों की शिकायत है कि सड़क ना होने की वजह से बच्चे-बुढ़े गिर जाते हैं, स्कूल की गाड़ियां नहीं आ पाती थीं। सड़क के लिए कई सालों से संघर्ष कर रहे छोटेलाल सिंह बताते हैं "आजादी के 70 साल बाद भी आज तक यहां कुछ काम नहीं हुआ। हम लोग पैदल नहीं चल पाते थे और इसके लिए हम हर जनप्रतिनिधि से मिले सांसद, विधायक, जनपद सबसे. सरपंच तो इसी गांव का रहने वाला है लेकिन उसने भी ध्यान नहीं दिया। बच्चे-बुढ़े गिरते रहते हैं। स्कूल की गाड़ियां नहीं आ पाती हैं। बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। इसलिए हमें मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा।"

अन्य ग्रामीणों का कहना है कि हमें मोदी, शिवराज और कमलनाथ से कोई मतलब नहीं है। हमारे जो स्थानीय जनप्रतिनिधि हैं वो कोई बात नहीं सुन रहे हैं।

इंदरहा की सड़क को लेकर ग्राम सचिव अनिल द्विवेदी ने कहा, "पंचायत सड़क नहीं बना सकती क्योंकि सड़क लंबी है। इसका काम आरईएस (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) और पीडब्ल्यूडी (केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, भारत) कर सकते हैं बड़े स्तर का काम है। इसकी लंबाई 3 से 4 किलोमीटर है इसलिए पंचायत मुरमीकरण भी नहीं करा सकती है। हां यह जरूर है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए इसका प्रस्ताव रखा गया है। इसे अगर अस्थायी बनाया भी तो हर साल यही हाल होगा। रामपुर चौरासी बड़ी पंचायत है। लोग इधर-उधर बसे हुए हैं इसलिए सड़कें बनाना आसान नहीं है। इन्ही बातों से खफ़ा होकर ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर सड़क बनाई हैं हालांकि अभी भी यह पक्की नहीं है लेकिन इस लायक है कि इसमें पैदल चला जा सकता है।"

चार साल में 25 सीसी सड़कें बनाई

ऐसा भी नहीं है कि ग्राम पंचायत रामपुर चौरासी ने काम नहीं किया। पिछले चार सालों में पंचायत ने दो दर्जन से भी अधिक कांक्रीट सड़कों का निर्माण कराया है। पंचायत दर्पण पोर्टल के आंकड़ों की माने तो रामपुर चौरासी पंचायत ने सीमेंट कांक्रीट (सीसी) सड़कों का मकड़जाल फैलाया है।


वर्ष 2015 से 2018 के बीच 25 सीसी सड़कें बनाई गईं इनकी कुल लागत 61 लाख 51 हजार 587 रुपए आई। चार अलग-अलग मदों से इनका निर्माण हुआ जिसमें पंच परमेश्वर से 10, 14 वें वित्त आयोग से 13, राज्य वित्त आयोग जनपद स्तर और गौण खनिज मद से एक-एक सड़क बनाई हैं जिनमें क्रमश 33 लाख 44 हजार 87, 21 लाख 77 हजार 500, 40 हजार और 5 लाख 90 हजार रुपए खर्च भी किए जा चुके हैं।

मनरेगा से 8 सैकड़ा सड़कें बनी

इंदरहा गांव के लिए भले ही ये आंकड़े बेमानी साबित हो रहे हों लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत वित्तीय वर्ष 2019- 20 में सतना जिले में 858 सड़कें पूर्ण की गईं। इसके अलावा 715 पर काम चल रहा है और 424 को निर्माण की अनुमति दी गई. जिसमें सोहावल जनपद में 65 सड़कें पूर्ण की गईं, 100 पर काम चल रहा है या रुका हुआ है इसके अलावा 44 को कार्य अनुमति दी गई है।

20 साल में 452 पीएमजीएसवाई सड़कें

जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 20 सालों में चार सैकड़ा से भी अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है। पीएमजीएसवाई के आधिकारिक पोर्टल के आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो वर्ष 2000 से लेकर अब तक 452 सड़कें बनाई गई हैं. जिसमें 1619.750 किलोमीटर का जाल बिछाया गया है। निर्माण में 43221.47 लाख रुपए की लागत लगी. यहीं नहीं 1657.92 लाख का मेंटीनेंस कॉस्ट भी रखा गया. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 112 सड़कों का निर्माण कार्य कराया गया जिनकी लंबाई 1473.367 किमी थी।

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