इंसान बनना सिखाती है इंमपैथी भावना

Update: 2016-07-26 05:30 GMT
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इंमपैथी एक ऐसी भावना है, जो हमको इंसान बनाती है। दूसरों का दर्द, मुसीबत समझने में हमारी मदद करती हैं। दूसरों के नजरिए को समझने में हमारी मदद करती है। यह एक दूसरे पर तरस खाने, मोहब्बत और ख्याल रखने से अलग है। हम अपने बच्चों के अंदर इंमपैथी पैदा कर सकते हैं क्योंकि इंसान एक सामाजिक प्राणी है जब एक दूसरे के दर्द और जरूरतों का एहसास होगा तो हम एक बेहतर इंसान बनेंगे। 

1- अजनबियों के बारे में जानने की कोशिश करें, जों बहुत इंपैथिटिक लोग होते हैं वो बस या ट्रेन में  बगल में बैठे हुए लोगों के साथ बात करने की कोशिश करते हैं। जैसे बच्चे बहुत ज्यादा सवाल पूछते हैं क्योंकि उनके अंदर जानने की इच्छा होती है वैसे ही और लोगों के बारे में जानना जो हमसे अलग दिखते हैं और अलग सोच रखते हैं उनको भी जानने की कोशिश करना और इज्ज्त करना। दूसरों की जिंदगी को समझने की कोशिश करना और ऐसे सवाल का पूछना जो दूसरों को बुरा लगे, दूसरों में अपनी रूचि दिखाना।

2- हम एक तरह के लोग जो समुदाय के खिलाफ एक सोच रखते हैं जिसकी वजह से हम उन तरह के लोगों से मिलना और समझना नहीं चाहते हैं। जब कोई हमसे अलग दिखता है या किसी और जगह के समुदाय का है तो उनके और अपने अंदर जो आम बात है वो ढूढें। फिर ये समझे कि आगे भले ही लोग उनसे अलग दिखते हैं लेकिन हम सब अंदर से उनके जैसे हैं।

3- कुछ दिन के लिए उनकी जिंदगी जीकर देखें जिनको आप बुरा समझते हैं या एक दूसरे के धर्म समझने के लिए कुछ दिन तक दूसरे धर्म वालों के साथ रहें। या कोई गरीब रिश्तेदार जिसको सिर्फ पैसा मांगना अच्छा लगता है उनके साथ रहकर देखें। 

4- दूसरों को सुने और अपनी भावनाएं उनसे साझा करने से आपसी रिश्ते बेहतर होते हैं । एक दूसरे को समझने की कोशिश करें और अपनी दिक्कतें और परेशानियां दूसरों के साथ शेयर करने से उनके संघर्ष को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे, जो लोग बहुत इंपैथेटिक होते हैं वो ज्यादा कामयाब और पंसद किए जाते हैं और समाज में उनकी इज्जत भी होती है। 

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