जीवनशैली में बदलाव दूर करेगा माइग्रेन

Update: 2016-06-11 05:30 GMT
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लखनऊ। माइग्रेन ऐसी बीमारी है, जो तेजी से बढ़ रही है। भागदौड़ की जिंदगी में लगातार तनाव माइग्रेन के रुप में बदलने लगती हैं। सिरदर्द का एक गंभीर रूप जो बार-बार या लगातार होता है, उसे माइग्रेन कहते हैं। माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा में अध-कपारी भी कहते हैं। इसके बारे में बता रहे हैं विवेकानंद पॉलीक्लीनिक के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ एके पाण्डेय...

माइग्रेन के कारण

माइग्रेन के कई कारण हो सकते हैं। ज्यादातर लोगों को भावनात्मक वजहों से माइग्रेन की दिक्कत होती है। इसीलिए जिन लोगों को हाई या लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं उनके माइग्रेन से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।

कैसे बचें माइग्रेन से 

वैसे तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है फिर भी थोड़ी सी सावधानी रखकर आप इस बीमारी को खुद से दूर रख सकते हैं। ऐसा नहीं है कि माइग्रेन लाइलाज बीमारी है, अगर आप माइग्रेन से परेशान हैं तो इसके लिए सबसे जरूरी है खुद की जीवनशैली और खानपान में बदलाव लाना।

माइग्रेन में क्या खाएं

अगर आपको माइग्रेन है तो नाश्ते में ताजा और सूखे फलों का सेवन करें। खाने में प्रोटीन की शामिल करें। मसलन दूध, दही, पनीर, दालें, मांस और मछली आदि। रात्रि में चोकरयुक्त रोटी, चावल या आलू जैसी स्टार्च वाली चीजों के साथ सलाद भी लें।

माइग्रेन में न खाएं

अगर आपको माइग्रेन है तो आप डिब्बाबंद पदार्थों और जंक फूड का सेवन न करें। इससे आपका माइग्रेन और खतरनाक होता जाएगा। चूंकि जंक फूड में मैदे की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इसे कम से कम खाएं। इनमें ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।

माइग्रेन के लक्षण

आमतौर पर इसका शिकार होने पर सिर के आधे हिस्से में दर्द रहता है जबकि आधा दर्द से मुक्त होता है। जिस हिस्से में दर्द होता है, उसकी भयावह चुभन भरी पीड़ा से आदमी ऐसा त्रस्त होता है कि सिर क्या बाकी शरीर का होना भी भूल जाता है। माइग्रेन मूल रूप से तो न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। ये कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, जी मिचलाने, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

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