धान की फ़सल को बकानी रोग से बचाना है तो अभी से करें तैयारी

पिछले कुछ वर्षों में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड जैसे बासमती उत्पादक राज्यों में फ़सल में बकानी रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। इससे बचने के लिए किसानों को कुछ ज़रूरी उपाय अपनाना चाहिए।

Update: 2023-06-12 13:39 GMT

धान की फ़सल में कई तरह रोग लगते हैं, कई बार समय पर देख भाल न करने पर किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। ऐसी ही एक बीमारी बकानी रोग भी है।

बकानी रोग उभरती हुई समस्या है, यह रोग पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड जहाँ पर बासमती धान की खेती होती है, प्रमुख रूप से देखा जा सकता है।

यह रोग बीज रोपण से लेकर फसल के परिपक्व होने तक विभिन्न अवस्थाओं में दिखायी देता हैं, जिससें फसल और गुणवत्ता की हानि होती है। यह ज़्यादातर बीज जनित रोग है, लेकिन पिछली फ़सल के अवशेषों में भी इसके रोग कारक जीवित रहते हैं रोग के प्रमुख लक्षण नर्सरी में दिखाई देते हैं।

इसमें पौधा पीला पतला होता हैं और बाद की अवस्था में ये असाधारण रूप से पौधे लंबे हो जाते हैं। अगर लंबे समय तक यह समस्या बनी रहती है तो उसमें बालियाँ नहीं बनती हैं। रोग के दूसरे लक्षण में तना गलन और पद गलन भी हैं इसमें पौधों की जड़े काली हो जाती हैं और सड़ जाती हैं। इससे पौधा जमीन से टूट जाता है। उसके बाद में खेत में पौधे सूखे दिखते हैं ऐसे पौधे किसी एरिया न होकर पूरे खेत में दिखाई देते हैं।

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किसान भाइयों को इससे बचाव के लिए हमेशा बीज़ को विश्वसनीय दुकान से ही धान लेना चाहिए। बीज को नमक पानी के घोल में एक बार निकाल लें। इसके लिए 20 लीटर में 150 ग्राम पानी में नमक को मिलाकर घोल बना लें और उसको 15 से 20 तक घोल को डालकर छोड़ दें। 15 मिनट के बाद आप बीजों को अच्छे से हिलाये जिससे रोग ग्रस्त बीज ऊपर तैरने लगेंगे उसके बाद उन बीजों को निकाल लें और बचे हुए बीज को दो से तीन बार साफ पानी से धो लें।

उसके बाद 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर सें कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत, डब्लू पी जी की बाविस्टिन के नाम से बाजार उपलब्ध है, उसका घोल बनाकर बीजों को 24 घंटे तक उसमें रख लें और उसके बाद आप बीज पौधशाला में बुवाई कर दें।

दूसरा, बीज को ट्राइकोडरमा 10 ग्राम प्रति किलो की दर सें बीज शोधन कर सकते हैं। नर्सरी में ट्राइकोडर्मा का पाउडर 10 से 25 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से आप उसका छिड़काव करें और उसके बाद आप नर्सरी लगाएँ। आप खेत की निगरानी करते रहें, ध्यान रखें की जब आप पौध निकाल रहे हैं रोपाई से पहले जड़ टूटे नहीं। पौध शोधन कर सकते हैं पौध उपचार के लिए आप एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कार्बेंडाजिम जो कवकनाशी हैं उसका आप घोल बनाकर पौध को बारह घंटे तक उसमें उसकी जड़ों को डुबाएँ। उसके बाद आप उसकी रोपाई कर दें। फसल की निगरानी करतें रहें। अगर आपको खेत में लक्षण दिखायी देते हैं और थोड़े से पौधों में ये लक्षण हैं तो आप ऐसे पौधे निकाल सकते हैं।

(डॉ विष्णु माया, आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक हैं)

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