बैंगन की फ़सल को कीटों से बचाएगा नया जैविक कीटनाशक
बैंगन में अक्सर कीट लगने की शिकायत रहती है। किसानों के तमाम जतन के बाद भी ये समस्या कम नहीं होती है। अब वैज्ञानिकों ने ऐसा रास्ता ख़ोज निकाला है जो न सिर्फ सुरक्षित है बल्कि किसानों के लिए आसान भी।
बैंगन भारत की सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है। लेकिन बुआई के बाद इसकी फसल पर तमाम तरह के कीटों का ख़तरा बना रहता है। तना और फल छेदक (फ्रूट एंड शूट बोरर) कीट बैंगन की पैदावार को नुकसान पहुँचाते हैं।
भारतीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने तना और फल छेदक कीट से निपटने में खुद बैंगन के आंतरिक नियंत्रण तंत्र और उसके जैव कीटनाशक की प्रभावी उपयोगिता को ख़ोज निकाला है।
तना और फल छेदने वाले कीट को काबू करने के लिए अक्सर किसान ज़रूरी कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं जो न सिर्फ व्यावसायिक नजरिए से बल्कि सेहत के लिए भी ख़तरनाक होता है।
ऐसे में क्या बैंगन, उसका तना और फल छेदक कीट की पारस्परिक क्रिया की रासायनिक पारिस्थितिकी का उपयोग किया जा सकता है? भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), पुणे और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) कॉम्प्लेक्स फॉर नॉर्थ ईस्ट हिल (एनईएच) क्षेत्र, उमियाम, मेघालय से जुड़े शोधकर्ताओं का यह अध्ययन इसी बात का पता लगाने पर है।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सागर पंडित बताते हैं, "हमारा उद्देश्य सिंथेटिक कीटनाशकों के भार को कम करने तथा तना और फल छेदक कीट नियंत्रण के लिए एक सुरक्षित साधन खोजने का था जिसे बैंगन-कीट प्रबंधन में एकीकृत किया जा सके।"
विभिन्न रंग और आकार में उगने वाले बैंगन की ख़ेती पूरे एशिया में बड़े पैमाने पर की जाती है। आलू और टमाटर के बाद बैंगन भारत में तीसरी सबसे ज़्यादा ख़पत होने वाली सोलानेसी पादप कुल की 'सोलनम' प्रजाति की सब्जी है। तना और फल छेदक कीट के हमलों के कारण भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देशों (जहाँ जलवायु में गर्मी होती है) में इसके फल 40 से 100 प्रतिशत तक खऱाब हो जाते हैं।
तना और फल छेदक कीट कोमल टहनियों और फलों के अंदर सुरंग खोदता है। चूंकि वे टहनियों और फलों में अंदर संकरे स्थानों में छिपे रहते हैं, इसलिए उन तक कीटनाशकों की पर्याप्त पहुँच नहीं हो पाती। जिसकी वजह से किसानों को बार- बार और अधिक मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग करना पड़ता है। इससे बाज़ार में पहुँचने वाले बैंगन में कीटनाशकों का बचा हुआ हिस्सा जमा रहता है, जो खरीददारों के लिए ख़तरनाक है।
“रासायनिक पारिस्थितिकी एक विज्ञान है जिसमें यह अध्ययन करना शामिल है कि पौधे, कीड़े, छोटे जीव रसायनों से बनी अपनी भाषाओं का इस्तेमाल करके एक दूसरे के साथ कैसे संवाद करते हैं। हमने पाया कि एक प्रतिरोधी बैंगन किस्म, आरसी-आरएल-22 (आरएल22), में गेरानियोल नाम का पदार्थ पाया जाता है जो तना और फल छेदक कीट को इसकी पत्तियों पर अंडे देने से रोकता है। गेरानियोल, मादा एसएफबी पतंगों को दूर भगाता है। वे गेरानियोल-लेपित पौधों पर नहीं बैठ पातीं। ” डॉ. पंडित बताते हैं।
शोधकर्ताओं ने बैंगन की सात किस्मों की पत्तियों की गंध निकालकर उन्हें फिल्टर पेपर में डुबोकर सात बैंगन किस्मों की महक वाले सात अलग-अलग फिल्टर पेपर बनाए। पतंगों ने न तो RL22 गंध फिल्टर पेपर को छुआ और न ही उस पर अंडे दिए। जबकि वे अन्य छह फिल्टर पेपरों पर बैठे भी और अंडे भी दिए। इससे ये बात साफ़ है कि आरएल22 पत्ती की गंध मादा कीटों के ख़िलाफ एक निषेधात्मक कवच प्रदान करती है।
शोध टीम ने यह भी खुलासा किया कि बैक्टीरिया में आरएल22 के गेरानियोल उत्पादक जीन की क्लोनिंग करके गेरानियोल का उत्पादन प्रयोगशाला में भी किया जा सकता है।
“जीन को सरल प्रजनन के ज़रिए अतिसंवेदनशील किस्मों में स्थानांतरित किया जा सकता है ताकि उन्हें 'तना और फल छेदक'-प्रतिरोधी बनाया जा सके। इसके लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव निर्माण की ज़रूरत नहीं होगी। कारण यह है कि यह बैंगन का अपना जीन है, इसलिए इस जीन से युक्त आनुवंशिक रूप से संशोधित किस्मों को भी आसानी से स्वीकृति मिल सकती है। ' डॉ.पंडित समझाते हैं।
अतिसंवेदनशील बैंगन किस्मों पर गेरानियोल के प्रयोग से मादा पतंगों द्वारा अंडे देने की घटना में 90 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। शोधकर्ता कहते हैं, “हमने RL22 के गेरानियोल उत्पादन जीन को निष्क्रिय कर इसके गेरानियोल उत्पादन को घटा कर भी देखा। ये गेरानियोल-विहीन पौधे 'तना और फल छेदक' पतंगों को नहीं रोक सके। इससे पुष्टि हुई कि आरएल22 का 'तना और फल कीट'-प्रतिरोध गेरानियोल के कारण था।''
गेरानियोल की तना और फल छेदक कीट-रोधी क्षमता की पुष्टि के बाद अब गेरानियोल-उत्सर्जक उपकरणों को बैंगन के खेतों में स्थापना के लिए डिज़ाइन करने का रास्ता साफ़ हो गया है। लम्बे समय के समाधान के रूप में, बैंगन की उच्च गेरानियोल उत्सर्जित करने वाली किस्मों को भी विकसित किया जा सकता है।
कीट भी कीटनाशकों के ख़िलाफ प्रतिरोध विकसित करते हैं, ख़ासकर जब एक ही कीटनाशक यौगिक का उपयोग लंबी अवधि के लिए किया जाता है। इसलिए, एक एकीकृत कीट प्रबंधन कार्यक्रम में अन्य ज्ञात यौगिकों के साथ या अन्य कीट प्रबंधन प्रथाओं के साथ नए यौगिक का उपयोग करना एक आम चलन है।
शोधकर्ता आश्वस्त करते हुए कहते हैं, "गेरानियोल के पूरक के तौर पर हमने तना और फल छेदक कीटों के अन्य प्राकृतिक निवारक ढूढ़ना भी शुरू कर दिया है। "