क्षारीय मिट्टी और खारे पानी में बढ़िया उत्पादन देती है सरसों की ये किस्म

अगर आपकी भी ज़मीन की मिट्टी लवणीय और क्षारीय है और आप खेती नहीं कर पा रहे हैं तो सरसों की नई किस्म की खेती कर सकते हैं।

Update: 2023-09-25 09:42 GMT

जिस तरह से जलवायु परिवर्तन की वजह से कभी तापमान बढ़ता और घटता रहता है, इस अवस्था में भी इसका उत्पादन अच्छा मिलता है। ये किस्म सूखा और ऊसर दोनों अवस्थाओं में बढ़िया उत्पादन देती है।

देश के एक बड़े हिस्से की मिट्टी लवणीय और क्षारीय है, जिसकी वजह से वहाँ पर कृषि उत्पादन भी नहीं हो पाता है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की ऐसी किस्म विकसित की है जो क्षारीय मिट्टी और खारे पानी में भी बढ़िया उत्पादन देगी।

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा ने सरसों की लवण सहिष्णु किस्म सीएस-64 विकसित की है। इस किस्म को हरियाणा के साथ ही पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के नमक प्रभावित क्षेत्र में उगा सकते हैं।

सीएसएसआरआई, करनाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक (प्लांट ब्रीडिंग) डॉ. जोगेंद्र सिंह सीएस-64 के बारे में बताते हैं, "सीएस-64 को केंद्र सरकार की कमेटी ने हरियाणा, राजस्थान, यूपी, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लिए लॉन्च किया है। इस किस्म की खासियतों की बात करें तो ये सहनशील किस्म है, ये लवणीय और क्षारीय मिट्टी के प्रति सहनशील किस्म है।"

वो आगे बताते हैं, "ये किस्म अधिक तापमान के साथ ही कम तापमान में बढ़िया उत्पादन देती है। राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर शेखावाटी में भी हमने इसका ट्रायल किया है, वहाँ पर माइनस पाँच तापमान पहुँच गया था, इसकी वजह से वहाँ पर दूसरी फ़सलें खत्म हो गईं थीं, लेकिन ये ख़राब नहीं हुई।"


जिस तरह से जलवायु परिवर्तन की वजह से कभी तापमान बढ़ता और घटता रहता है, इस अवस्था में भी इसका उत्पादन अच्छा मिलता है। ये किस्म सूखा और ऊसर दोनों अवस्थाओं में बढ़िया उत्पादन देती है।

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में 49157 हेक्टेयर लवणीय और 183399 हेक्टेयर क्षारीय मिट्टी का क्षेत्र है, जोकि कुल 232556 हेक्टेयर है, इसी तरह पंजाब में कुल 151717 हेक्टेयर क्षारीय, राजस्थान में 195571 हेक्टेयर लवणीय और 179371 क्षारीय और कुल 374942 हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 21989 लवणीय व 1346971 क्षारीय और कुल 1368960 हेक्टेयर जमीन प्रभावित है।

"सामान्य अवस्था में इसका उत्पादन लगभग 27 से 29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है, जबकि तनाव की स्थिति भी इससे 21 से 23 क्विंटल उत्पादन प्रति हेक्टेयर मिल जाता है। जबकि दूसरी किस्मों से प्रति हेक्टेयर छह-आठ क्विंटल उत्पादन ही मिलता है।" जोगेद्र सिंह ने आगे कहा।

अगले साल रबी सीजन में किसानों के लिए सीएस-64 किस्म का बीज मिलने लगेगा।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़, रायबरेली, कौशांबी में लवणीय और क्षारीय मिट्टी वाली ज़मीन है। प्रतापगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रीय केंद्र, कालाकांकर की मदद से यहाँ पर सरसों का ट्रायल किया गया है और बढ़िया उत्पादन भी मिला है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ एके श्रीवास्तव गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "प्रतापगढ़ में एक बड़ा एरिया प्रभावित है, जहाँ पर पहले कुछ भी खेती नहीं हो पाती थी, लेकिन अब ऐसी कई किस्में आ गई हैं जो लवणीय और क्षारीय ज़मीन में बढ़िया उत्पादन देती हैं। हमने यहाँ के किसानों को बीज दिए थे, जिसका रिजल्ट भी अच्छा मिला है।"


सीएस-64 के साथ ही किसान इन किस्मों की कर सकते हैं खेती

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान ने उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए सीएस-62 किस्म विकसित की है। इसकी उपज सोडिक मिट्टी में 21-23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सामान्य मिट्टी और पानी में 25-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

इसी तरह सीएस-60 किस्म राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए विकसित की गई है। सामान्य मिट्टी में इसका उत्पादन 25-29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और नमक प्रभावित मिट्टी में भी 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाता है।

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