वैज्ञानिक की सलाह पर करिए गेहूँ का भंडारण, लंबे समय तक रहेगा सुरक्षित

गेहूँ की फसल में बुवाई से कटाई तक जितना ध्यान रखना होता है, उससे ज़्यादा ख्याल कटाई से लेकर भंडारण तक रखना होता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक कपिला शेखावत बता रही हैं भंडारण का सही तरीका।

Update: 2024-04-27 09:19 GMT

डॉ कपिला शेखावत

गेहूँ की बाली भूरी होकर झुकने लगे और दानों की नमी मात्रा 16 से 18 प्रतिशत हो वो कटाई की सबसे उत्तम अवस्था है। आप गेहूँ के दाने को दातों के बीच दबाकर देख सकते हैं। अगर एक स्ट्रांग कट साउंड आता है तो वह सबसे अच्छी अवस्था है। उससे पहले हम कटाई करते हैं।

नमी की मात्रा दोनों में ज्यादा होती है इसलिए फंगस या फफूंद के इंफेक्शन की संभावना रहती है और अगर हम इसकी हार्वेस्टिंग में देरी करते हैं तो पक्षी उसे नुकसान पहुँचाते हैं।

मैनुअल हार्वेस्टिंग में सुबह का समय सबसे सही रहता है। जब मौसम ठंडा हो उस समय आपको दराती या हंसिया से मैनुअल हार्वेस्टिंग कर सकते हैं। आपको ध्यान रखना होगा कि शरीर से आप दराती को दूर रखिए और फसल को थोड़ा ऊपर से पकड़ ताकि नुकसान ना हो। तापमान ज्यादा होने के कारण, सिर पर टोपी या गमछा लगा कर रखें और चेहरे पर भी मास्क या सूती कपड़े से ढक कर रखें ताकि धूल ना हो।

कटाई जहाँ पर होती है वहाँ पीने का पानी और एक फर्स्ट ऐड बॉक्स भी अवश्य रखें। आप कटाई के बाद खेत में ही बंडल बना कर रख सकते हैं और तीन से चार दिन आप इसको खेत में सुखा कर रखिए।

बंडल को एक बार पलट भी सकते हैं ताकि जो दानों में नमी है वह 18 प्रतिशत से घट के करीब चौदह से पंद्रह प्रतिशत हो जाए और वह मड़ाई के लिए सबसे उपयुक्त होती है। इसमें आज कल कुछ छोटे रीपर भी हैं जो खेत में ही कटाई करते और उसके साथ में बंडल भी बना कर रख देते हैं। अगर मौसम खराब होने का अंदेशा है तो उन बंडल्स को आप सीधा रख दें और उसको तिरपाल से ढक दें।

गेहूँ की कटाई का दूसरा तरीका है, जहाँ मशीनों का उपयोग करते हैं; जिसमें कंबाइंड प्रमुख है। ऐसी मशीन है जिसके माध्यम से कटाई, मड़ाई, सफाई, यहाँ तक गेहूँ को भी सीधा बोरी में भर दिया जाता है।

भंडारण के लिए अपनाएँ ये तरीका

कटाई के बाद किसानों का मकसद होता है कि उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिल जाए और दूसरा वह इस प्रकार का सुरक्षित भंडारण कर सके जहाँ साल भर वह अपने इस्तेमाल के लायक रख सकें।

जो गेहूँ का भंडारण है वह भी दो उद्देश्य से किया जाता है। जहाँ एक किसान अपने घरेलू उपयोग के लिए भंडारण करते हैं।

जो बल्क स्टोरेज होता है वह बाजार में अच्छी कीमत मिलने तक के लिए किसान करते हैं। किसान जहाँ अपने उपयोग के लिए भंडारण करता है वहां देसी तरीके से नीम की पत्तियाँ और नीम के डंठल भी साथ रख देता है जिससे अनाज खराब ना हो।

लेकिन भंडारण का जो स्थान है वह आप एकदम साफ कर लें। अगर कोई दरारे हैं या कहीं कुछ टूट-फूट है तो आप देख लें आसपास सीलन नहीं होना चाहिए और खराब कंडीशन नहीं होना चाहिए वरना फफूंद की समस्या हो सकती है।

स्टाक करने के लिए जिन बोरियों का इस्तेमाल करते हैं सही तो यही है कि किसान हर बार नई बोरियों का इस्तेमाल करें ,लेकिन अगर पुरानी है तो आप उनको अच्छी तरह से पलट कर धूप में सुखा दें। इसके अलावा आप पाँच प्रतिशत नीम के घोल में डालकर सुखा दें।

भंडारण का आपका जो भी स्थान है, उसमें आप रासायनिक उपचार भी कर सकते हैं, जिसमें डेल्टा मैक्सीन प्रमुख है। आपको चार ग्राम मात्रा प्रति लीटर की दर से या फिर आयरन है जिसकी करीब शून्य दशमलव प्रतिशत का घोल बनाकर आप अपने भंडारण गृह में स्प्रे कर सकते हैं। भंडारण गृह में लाइट अच्छी होनी चाहिए तभी आप गेहूँ साल भर रख सकते हैं।

भंडारण के लिए हम जिस जगह का चुनाव करते हैं वह जमीन से दो फुट ऊपर होना चाहिए, ताकि पानी का भराव होने पर नुकसान न हो। बोरियों को कभी भी दीवार से सटाकर न रखें।

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