अंग प्रत्यारोपण के बारे में जरूरी हैं ये बातें जानना

Update: 2017-10-11 13:33 GMT
ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सही जानकारी होना जरूरी।

लखनऊ। कई बार कोई इंफेक्शन होने जाने के कारण व्यक्ति के शरीर का अंग काम करना बंद कर देता है। ऐसे में उसे दूसरे अंग की जरूरत होती है जो ऑर्गन ट्रांसप्लांट के जरिए दिया जाता है। इसके लिए जरूरी है ऑर्गन का मैच होना अगर आर्गन बिना मैच हुए लगा दिया जाता है तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। ऑर्गन ट्रांसप्लांट से किसी को जीवनदान मिल सकता है लेकिन कई बार सही जानकारी न होने के कारण ये जरूरतमंद तक नहीं पहुंच पाते हैं।

ऑर्गन डोनेशन क्या होता है, यदि किसी व्यक्ति की इच्छा कोई अंग दान करने की रही है तो मृत्यु उपरांत उसे जरूरतमंद को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। यहां हम बता रहे हैं आपको इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां---

कौन कर सकता है अंगदान

कोई भी व्यक्ति ऑर्गन डोनर हो सकता है। चाहे उसकी उम्र, जाति, वर्तमान या पूर्व में उसकी सेहत संबंधी क्या स्थिति रही है। एक बच्चा भी डोनर हो सकता है, जिसके लिए उसके माता-पिता से अनुमति लेने की जरूरत होती है। लेकिन एक्टिव कैंसर, एक्टिव एचआईवी, एक्टिव इन्फेक्शन या आईवी ड्रग का प्रयोग करने वालों को लेकर थोड़ा अंतर्विविरोध है। हेपेटाइटिस सी के रोगी अंग दान कर सकते हैं, जिन्हें पहले से ही हेपेटाइटिस हो और ऐसा ही हेपेटाइटिस बी के मामले में भी होता है। कैंसर के अधिकांश मरीज कॉर्निया डोनेट कर सकते हैं।

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ऑर्गन डोनेशन कैसे कर सकते हैं

ऑर्गन डोनेशन के लिए किसी संस्था के साथ रजिस्टर होना जरूरी है। लेकिन ऐसा करने से पहले इससे जुड़ी सारी स्थितियों के बारे में जरूर पता कर लें।

किडनी सबसे ज्यादा डोनेट की जाती है

ऑर्गन डोनेशन में किडनी एक ऐसा अंग है जो सबसे अधिक डोनेट किया जाता है क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति एक किडनी के साथ भी सामान्य जिंदगी जी सकता है। वैसे लिवर का हिस्सा भी लिविंग डोनर डोनेट कर सकता है, लेकिन ऐसा कम ही होता है।

कौन-से अंग दान किए जा सकते हैं

हार्ट, लिवर, किडनी, आंतें, फेफड़े और पेनक्रियाज ब्रेन डेथ की स्थिति में ही डोनेट किए जा सकते हैं। हालांकि अन्य टिशूज जैसे कॉर्निया, हार्ट वल्व, स्किन, बोन आदि केवल नेचुरल डेथ की स्थिति में डोनेट किए जा सकते हैं।

अंगों की समय सीमा

अमेरिका के साइंटिफिक रजिस्ट्री ऑफ ट्रांसप्लांट रिसिपिएंट के अनुसार डोनेट किए गए अंग की भी अपनी सीमाएं होती हैं। ट्रांसप्लांट किए गए पेनक्रियाज 57 प्रतिशत रोगियों में पांच साल तक काम करते हैं, यानी इसका अर्थ है कि रोगी को दोबारा ट्रांसप्लांट करवाने की जरूरत पड़ सकती है। ट्रांसप्लांट किया गया लिवर 70 प्रतिशत मरीजों में पांच साल या उससे अधिक कार्य करता है। या इससे अधिक भी हो सकता है यदि ऑर्गन लिविंग डोनर से प्राप्त हुआ हो। हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद 76 प्रतिशत मरीजों के जीने का प्रतिशत पांच साल होता है। हालांकि, फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की स्थिति में 52 प्रतिशत मरीजों में ही पांच साल या उससे अधिक जीने की संभावना रहती है।

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