संयुक्त किसान मोर्चा के रेल रोको आंदोलन का पंजाब-हरियाणा में दिखा ज्यादा असर

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलनकारी किसानों ने 18 फरवरी को 4 घंटे के लिए कई राज्यों में ट्रैक पर बैठकर प्रदर्शन किया।

Update: 2021-02-18 10:41 GMT
हरियाणा में रेल रोको आंदोलन के दौरान रेलवे ट्रैक पर बैठे आंदोलनकारी किसान। फोटो साभार संयुक्त किसान मोर्चा

तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को 4 घंटे तक रेल रोको आंदोलन चलाया है। इस दौरान पंजाब-हरियाणा में इसका सबसे ज्यादा असर दिखाई दिया। किसान नेताओं ने मध्य प्रदेश और यूपी के भी कई इलाकों में कुछ देर के लिए रेलवे ट्रैक बाधित किया गया।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश जगहों पर रेल रोको आंदोलन के दौरान ट्रेनें रोकीं गई। किसान रेलवे ट्रैक पर कब्जा जमाकर बैठ गए। पंजाब और हरियाणा के कई शहरों में किसानों ने रेलवे ट्रैक पूरी तरह बंद रखा। करनाल, यमुनानगर में किसान रेलवे ट्रैक पर बैठे दिखे। यूपी के गाजियाबाद, शामली, अमरोहा में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता ट्रैक पर बैठे नजर आए हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था रेल रोको आंदोलन 12 बजे से 4 बजे तक शांतिप्रिय तरीके से होगा। उन्होंने आंदोलन के बाद ट्वीट किया कि चक्का जाम सफल रहा।

कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि अध्यादेश आने के बाद किसान अलग-अलग तरीकों से अपना विरोध जता रहे हैं। किसानों ने सबसे पहले 24 सितंबर को पंजाब में तीन दिवसीय रेल रोको अभियान शुरु किया। फिर 25 सितंबर का राष्ट्रीय स्तर पर भारत बंद का ऐलान किया गया। 26 नवंबर को देश में कई जगहों पर नए श्रम और कृषि कानूनों के खिलाफ रेल रोकी गई थीं। इसके बाद दिल्ली पहुंचे किसान आंदोलनकारियों ने 6 फरवरी को चक्का जाम किया। जिसका पंजाब हरियाणा में सबसे ज्यादा असर देखने को मिला था। उस दौरान यूपी और उत्तराखंड को चक्का जाम से बाहर रखा गया था।  इससे पहले किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकाला था, जिसके बाद काफी हंगामा हो गया था।


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