कानपुर नगर में 90 प्रतिशत पूरा हुआ ‘यूनिक आइडी नंबर’ संबंधित सर्वे

Update: 2017-04-29 16:48 GMT
जारी है संबंधित सर्वे का काम।

अमित कुमार, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

कानपुर। अब किसी खेत के खसरा, खतौनी जैसी जानकारी लेने के लिए किसानों को भटकना नहीं पड़ेगा, सारी जानकारी घर बैठे ही मिल जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने आधार नंबर की तरह ही हर किसान को खेत का यूनिक आइडी नंबर देने का फैसला किया था। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जिस तरह पूरे देश में एक आधार नंबर एक ही आदमी का हो सकता है, उसी तरह यह भी होगा।

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इसके लिए तीन अप्रैल को शुरू हुआ काम अब खत्म होने की कगार पर है। कानपुर नगर में इसका लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा भी कर लिया गया है, क्योंकि इस सर्वे को पूरा करने के लिये तय सीमा एक माह रखी गयी थी। लेखपाल को गाँव-गाँव जाकर सर्वे करना था और उनके द्वारा किए गए सर्वे का सत्यापन करने की जिम्मेदारी एसडीएम और तहसीलदार, कानूनगो को दी गयी थी। जिससे किसी व्यक्ति की कृषि योग्य भूमि को ऊसर, बंजर आदि न बता दी जाए।

एडीएम वित्त एवं राजस्व संजय चौहान ने बताया, “यूनिक आईडी नंबर किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी है। सर्वे का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है और 10 मई तक इस काम को पूरा भी कर लिया जाएगा। एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और लेखपालों को तीन अप्रैल को कलेक्ट्रेट में प्रशिक्षण देने के बाद इस काम को शुरू किया गया था इस यूनिक आईडी नम्बर के आ जाने के बाद जमीन सम्बन्धी धोखाधड़ी के मामले काफी हद तह कम हो जाएंगे।”

इस कोड के कई फायदे भी

इस कोड के कई फायदे भी है जैसे कोई भी मुकदमों को छिपाकर भूमि को नहीं बेचा जा सकेगा क्योंकि जमीन की सारी स्थिति रेवेन्यू कोड कंप्यूटराइज मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर पर होगी और खेत का गाटा संख्या डालते ही जमीन की सारी स्थिति सामने आ जायेगी जमीन पर कोई मुकदमा है की नहीं जमीन राजस्व अभिलेखों में ऊसर, बंजर, बाग आदि के नाम पर दर्ज है साथ ही इस यूनिक आइडी नंबर से जमीन का मानचित्र, खसरा खतौनी लिंक होगा। कहीं भी बैठा कोई भी साफ्टवेयर पर जाकर यह देख सकेगा कि जमीन के सामने कितनी चौड़ी सड़क है। उसके आसपास किसकी जमीन है। जमीन के वर्तमान मालिक के पहले कौन-कौन मालिक थे इसकी भी जानकारी यह दे देगा।

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