इस गाँव के किसानों के लिए वरदान है सब्जियों की खेती

Update: 2017-01-31 19:40 GMT
चितौरी गाँव में साल के बारह महीने हर तरह की सब्जियां उगाई जाती हैं। बैंगन, टमाटर, मिर्च, गोभी, कद्दू, लौकी, सेम, मटर, चुकंदर, मूली, गाजर, गोभी जैसी सब्जियां यहां हर मौसम में मिलती हैं।

दिवेन्द्र सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

जसरा (इलाहाबाद)। गेहूं, धान जैसी परंपरागत फसलों से फायदा न होने पर बीस वर्ष पहले यहां के किसानों ने सब्जियों की खेती की शुरुआत की थी। आज पूरे जिले में इस गाँव की पहचान सब्जियों की खेती के रूप में होती है। यह गाँव है इलाहाबाद का चितौरी गाँव।

जिला मुख्यालय से लगभग 28 किमी. दूर जसरा ब्लॉक के चितौरी गाँव के 80 प्रतिशत ग्रामीण खेती करते हैं। ये सभी करीब बीस साल पहले तक गेहूं, धान जैसी फसलों की खेती करते थे लेकिन फायदा न होने पर सब्जियों की खेती पर रुख कर लिया।

चितौरी गाँव के किसान कुलदीप सिंह (35 वर्ष) सब्जियों की खेती करते हैं, इस समय उन्होंने खेत में पालक, मूली, मिर्च, गोभी जैसी सब्जियां लगाई हैं। कुलदीप सिंह बताते हैं, ‘धान गेहूं की खेती जितनी मेहनत है उतना फायदा नहीं। वहीं अब सब्जियों की खेती से खूब मुनाफा कमा रहे हैं। मेरे पूरे गाँव में सब इसी की खेती करते हैं।’

जिले के शिवगढ़, सोराव, नवाबगंज और जसरा के गाँवों में किसान सब्जियों की खेती कर रहे हैं। इलाहाबाद जिले के साथ ही प्रतापगढ़ और मध्य प्रदेश के रीवां जिले तक यहां से सब्जी जाती है। उद्यान विभाग भी किसानों को नयी तकनीक के बारे में जानकारी देता रहता है।
उमेश कुमार उत्तम, जिला उद्यान अधिकारी, इलाहाबाद

जसरा सब्जी मंडी में भी इसी गाँव से सब्जियां जाती हैं, साथ ही प्रतापगढ़ के महुली मंडी तक भी किसान सब्जियां ले जाते हैं। चितौरी गाँव में साल के बारह महीने हर तरह की सब्जियां उगाई जाती हैं। बैंगन, टमाटर, मिर्च, गोभी, कद्दू, लौकी, सेम, मटर, टमाटर, चुकंदर, मूली, गाजर, गोभी जैसी सब्जियां यहां हर मौसम में मिलती हैं।

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