कहीं कागजों में गुम न हो जाए इटौंजा स्टेशन, हॉल्ट बनाने की तैयारी कर रहा रेलवे

Update: 2017-02-16 09:38 GMT
इटौंजा रेलवे स्टेशन।

अश्वनी द्विवेदी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। पूर्वोत्तर रेलवे में लखनऊ से सीतापुर बड़ी लाइन बिछाने का काम चल रहा है, जिसमें बहुत से छोटे-छोटे स्टेशनों को ख़त्म करके हॉल्ट बनाया जा रहा है। इनमें से एक इटौंजा स्टेशन को भी सरकार की मंशा हॉल्ट बनाने की है। पूर्वोत्तर रेलवे के इस स्टेशन पर एक प्लेटफार्म है। हालांकि क्षेत्रीय जनता के कई बार विरोध प्रदर्शन के बाद इटौंजा स्टेशन को फिर से स्टेशन बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। मगर कहीं ऐसा न हो कि इटौजा स्टेशन कहीं कागजों में गुम न हो जाएं।

इस बारे में किसान यूनियन के उपजिलाध्यक्ष सुनील मिश्र का कहना है कि इटौंजा रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन करीब तीन हजार लोग यात्रा करते हैं। मलिहाबाद, माल से लेकर बाराबंकी बार्डर तक बहरौरा, बदैया, सैदापुर, इटौंजा, महोना तक सैकड़ों ग्राम पंचायतों के यात्रियों के लिए रेल सहज साधन है। इस स्टेशन को हॉल्ट बनाने से हजारों लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।

इटौंजा को फिलहाल हॉल्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। स्थानीय निर्माण विभाग द्वारा प्रस्ताव रेलवे को भेजा गया है, किंतु अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। अगर स्वीकृति आ जाती है तो हम स्टेशन बनाए जाने के लिए आगे की कार्रवाई करेंगे।
आलोक कुमार सिंह, डीआरएम

इटौंजा में सिर्फ सिंगल बड़ी लाइन बिछाई जा रही है, जिसे लेकर ग्रामीणों में बेहद आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इटौंजा को स्टेशन का दर्जा दिया गया है तो फिर स्टेशन पर क्रास लाइन भी बिछानी चाहिए थी। जिस तरह से काम चल रहा है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि रेलवे इटौंजा स्टेशन को हॉल्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है।

वहीं, किसान नेता बबली गौतम का आरोप है कि तत्कालीन स्टेशन मास्टर ने इटौंजा से दैनिक पास बनाने बंद कर दिया। ऐसे में इटौंजा स्टेशन की आय रिपोर्ट में कम दिखाई गयी है। साथ ही इटौंजा से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या महज 1670 प्रतिदिन रिपोर्ट में बताई गई है, जबकि इटौंजा स्टेशन से करीब 3 हजार यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं।

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