आफ सीजन की वजह से नहीं दिखेगी आम की चमक

Update: 2017-03-22 16:10 GMT
उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की कमी की आशंका से चिंतित हैं बाग मालिक।

उन्नाव। आम की फसल के लिए इस बार मौसम अनुकूल नजर नहीं आ रहा है। पेड़ों में कम बौर ने बाग मालिकों के चेहरों पर चिंता की रेखाएं खींच दी हैं। उद्यान विभाग और आम उत्पादक इस सीजन में फलों के राजा आम के कम उत्पादन होने की आशंका जता रहे हैं। बाग मालिकों का मानना है कि इसबार 15 से 20 प्रतिशत आम उत्पादन पर असर पड़ेगा। जिसकी वजह से आम के दाम भी बढ़ेंगे।

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जिले में सफीपुर, हसनगंज, औरास, फतेहपुर चौरासी व मियागंज क्षेत्र आम पट्टी के लिए प्रसिद्ध हैं। लगभग 36530 हजार हेक्टेअर के क्षेत्रफल में आम के बाग फैले हुए हैं। उद्यान विभाग के मुताबिक, आम उत्पादन में ऑन और आफ ईयर का फंडा चलता है।

ऑन ईयर में पछत्तर से अस्सी क्विटल प्रति हेक्टेअर का उत्पादन होता है जबकि आफ ईयर होने पर उत्पादन घटकर इसका आधा रह जाता है। इस बार आफ ईयर है। एेसे में कम उत्पादन होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि उद्यान विभाग ने 737906 मीट्रिकटन आम उत्पादन का लक्ष्य रखा है। जबकि पिछले साल इससे करीब 15 से 2 प्रतिशत ज्यादा आम पैदा हुआ था।

इस बार आम का आफ सीजन है। इस कारण उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। फिलहाल आम बाग मालिक मौजूदा समय में फफूंदनाशक व कीटनाशक का छिडक़ाव जरूर कर दें। जिससे उत्पादन में ज्यादा प्रभाव न पड़े।
आरबी वर्मा, अपर जिला उद्यान निरीक्षक

आफ ईयर होने से आम महंगा बिकने की आशंका है। शौकीन लोग रेट सुनकर उदास हो सकते हैं। इस बार व्यापार में मुनाफे की संभावना को देखते हुए काफी व्यापारियों ने पहले ही आम के बाग खरीद लिए हैं। बाग खरीदने वाले व्यापारियों में जिले के ही नहीं बल्कि दूसरे जनपदों के भी शामिल हैं। हसनगंज क्षेत्र मैंगो बेल्ट के नाम से जाना जाता है। यहां के अधिकांश किसान आम के बाग के भरोसे ही रहकर साल भर अपना परिवार चलाते हैं।

दूसरे नंबर पर सफीपुर क्षेत्र है। आम के उत्पादन पर मियागंज क्षेत्र तीसरे नंबर पर है। जिले में दशहरी, लगड़ा, चौसा, लखनऊवा व बजरी आम की वैराइटी का उत्पादन होता है। इसके अलावा रामकेला आम भी काफी मात्रा में होता है लेकिन यह केवल अचार के लिए प्रयोग किया जाता है। दशहरी आम खाड़ी देशों में निर्यात भी होता है। इसके अलावा दशहरी देश के अन्य राज्यों कलकत्ता, पूर्वांचल, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों में भी जाता है। प्रदेश में आम उत्पादन में जनपद का नंबर 7वां है।

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