आक्सीटोशिन इंजेक्शन लगाकर दूध देने पर मजबूर की जाती हैं गाय और भैंसें

Update: 2017-02-02 09:03 GMT
इस इंजेक्शन के लगाने के बाद दुधारू गाय से निकाले गये दूध की शुद्धता पर भी असर पड़ रहा है।

संतोष कुमार सिंह, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

काकोरी। लखनऊ जनपद के काकोरी विकास खण्ड क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में काफी अरसे से दुधारू मवेशियों पर अंधाधुंध प्रतिबंधित आक्सीटोशिन इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। प्रतिदिन इंजेक्शन लगाना दुधारू मवेशियों के लिए घातक है। इस इंजेक्शन के लगाने के बाद दुधारू गाय से निकाले गये दूध की शुद्धता पर भी असर पड़ रहा है और प्रतिदिन इस प्रकार के इंजेक्शनों का गायों पर प्रयोग किया जाता रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब देशी नस्ल की गाय भी विलुप्त हो जाएंगी।

काकोरी विकास खंड के बेगरिया गाँव निवासी (35 वर्षीय) पशुपालक अवन कुमार उर्फ पप्पू ने बताया कि हमारे पूर्वज गाय को पूज्यनीय मानते थे और गाय से दूध निकालने के लिए गाय को गाना सुनाते थे। ऐसा हमारे पिता कहते थे, लेकिन अब सभी दुधारू जानवर को जो भी हो चाहे वह गाय ही क्यों न हो, सभी दुधारू पशुओं को दूध निकालने वाला इंजेक्शन लगाया जाता है। इंजेक्शन से पशुओं को नुकसान ज्यादा होता है।

ऑक्सीटोसिन का उपयोग पशु के बच्चा जनते समय अगर डिलीवरी होने में दिक्कत होती है तब देते हैं। दूध उतारने के लिए आक्सीटोसिन का इस्तेमाल सही नहीं है। इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है और पशु कमजोर हो जाते है। उनकी गर्भधारण की क्षमता भी प्रभावित होती है। 
डॉ. नागेंद्र गुप्ता, पशु चिकित्साधिकारी, भिठौली पशु चकित्सालय

काकोरी विकासखंड के सरोसा भरोसा गाँव के निवासी (50 वर्षीय) सुजीत बताते हैं कि दूध निकालने वाला इंजेक्शन मशीन का काम करता है। इंजेक्शन लगाते ही दुधारू पशु का पूरा शरीर ढीला हो जाता है। ऐसे में तुरन्त जानवर का दूध निकल जाता है। वहीं, ढिधिया गाँव की निवासी पशुपालक जशोमती रावत बताती हैं, "हमारे छोटे-बड़े एक दर्जन पशु हैं। दूध निकालने के इंजेक्शन का सहारा तो लेती हूं लेकिन दूध निकालने वाला इंजेक्शन लगाते-लगाते गाय कमजोर हो जाती है। यह आसानी से मेडिकल स्टोर पर मिल जाता है।

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