रासायनिकों के प्रयोग से भूमि हो रही बंजर

Update: 2017-03-06 20:42 GMT
कृषि विभाग ने मृदा शक्ति परीक्षण के लिए औरैया जिले की तीनों तहसीलों से 60 हजार मृदा के नमूने किसानों से भराए

इश्तियाक खान, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

औरैया। किसान फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग अधिक मात्रा में कर रहे हैं, जिससे मृदा की उपजाऊ शक्ति क्षीण होती जा रही है। पूरे जिले से लिए गए 60 हजार मृदा नमूनों का परीक्षण प्रयोगशाला में हो चुका है। किसान चार अनुपात दो अनुपात एक से खाद न डालकर अधिक डाल रहे हैं।

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कृषि विभाग ने मृदा शक्ति परीक्षण के लिए जिले की तीनों तहसीलों से 60 हजार मृदा के नमूने किसानों से भराए। पांच हेक्टेयर के एरिया में एक जगह का नमूना लिया जाता है। इससे क्षेत्र की खेती में उपजाऊ शक्ति का आंकलन हो जाता है। भूमि परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष महेश चंद्र बताते हैं, “प्रत्येक फसल में फर्टिलाइजर डालने का 4:2:1 का अनुपात चलता है। इसके बावजूद किसान अधिक खाद डालते हैं जो कि गलत है।” महेश आगे बताते हैं, “खेती में मुख्य पोषक तत्व नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश (एनपीके) है। इसमें नाईट्रोजन, पोटाश की मात्रा अधिक है जबकि फास्फोरस सामान्य है। सूक्ष्म तत्व जिंक कॉपर, आयरन, मैगनीज (जेडएम) है। आयरन मात्रा हल की जुताई से पूरी होती रहती है जबकि डीएपी की मात्रा मृदा में इसलिए अधिक पाई जा रही है। किसान बढी हुई फर्टिलाइजर की मात्रा को कम करने के लिए हरी खाद, गोबर की खाद का प्रयोग करें। जैविक खेती से किसान और अधिक फसल अच्छी पैदावार कर सकते है।”

किस खाद से क्या लाभ

पोटाश

फसल में पोटाश डाली जाती है। इससे फसल के दाने में चमक आती है। दाना अच्छा गुणवत्तापूर्ण होता है। इसी के साथ फसल में रोग लगने की संभावना खत्म हो जाती है। एक हेक्टेयर में 50 किलो से अधिक पोटाश न डालें।

यूरिया

ये खाद फसल उग आने पर डाली जाती है। इस खाद से पौधा हरा-भरा रहता है। जमीन में यूरिया नमी पैदा करती है और पौधा जल्दी बढ़ता है। यूरिया एक हेक्टेयर में दो कुतंल 10 किलो डाली जाए जब किसान ढाई से तीन कुंतल डाल देते हैं।

किसान फर्टिलाइजर की जगह हरी और गोबर खाद का प्रयोग करें। इससे खेती की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और मिट्टी क्षारीय होने से भी बचेगी। किसान फर्टिलाइजर मुक्त जैविक खेती करें।
विजय कुमार, उप कृषि निदेशक

डीएपी

डीएपी खाद फसल की बुवाई से पहले जुताई के समय डाली जाती है, क्योंकि ये खाद ऐसी है कि नमी मिलने पर पत्थर हो जाती है फिर घुल नहीं सकती है। फसल में बुवाई से पहले खाद डाली जाती है इससे जड़े मजबूत होती हैं, शाखाएं (कल्ले) अधिक निकलते हैं, जिससे फसल की पैदावार बढ़ जाती है। डीएपी एक हेक्टेयर में एक कुंतल पांच किलो डालें।

प्राइवेट परीक्षण में लगते हैं 104 रुपए

अगर किसान मृदा का परीक्षण प्राइवेट स्तर से कराते हैं तो मुख्य पोषक तत्व (एनपीके) और सूक्ष्म पोषक तत्व (जेडएम) के लिए 104 रुपए देने पड़ते हैं, जबकि सरकारी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में नि:शुल्क जांच होती है।

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