समस्या: दुधारू पशुओं के नवजातों के लिए काल बने रहे हैं पेट के कीड़े

Update: 2017-01-20 18:51 GMT
पैदा होने के बाद आठ फीसदी पशु नवजातों की मौत हर वर्ष हो जाती है।

दिति बाजपेई, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। गाय और भैंस के नवजातों के पेट में कीड़े होने से उनकी मौतों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पैदा होने के बाद आठ फीसदी पशु नवजातों की मौत हर वर्ष हो जाती है।

लखनऊ के मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ. टी.एस यादव ने बताया, “सर्दियों में ज्यादातर दुधारू पशु बच्चों को जन्म देते हैं। जन्म से ही उन बच्चों के पेट में कीड़े होते हैं जिसको पशुपालक नजरअंदाज कर देते हैं और बच्चे की मृत्यु हो जाती है। लगभग एक वर्ष में आठ प्रतिशत नवजातों की मृत्यु इसी कारण से हो जाती है। इस मृत्युदर को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया रहा है।”

यह कार्यक्रम अभी लखनऊ में ही चल रहा है, लेकिन प्रदेश के सभी पशु चिकित्सालयों में पेट में कीड़े की नि:शुल्क दवा उपलब्ध है। पशुपालक अपने पशुओं को हर छह महीने पर कीड़े की दवा जरूर दिलवाएं।
डॉ. टी.एस यादव, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, लखनऊ

गोरखपुर में प्राइवेट पशुओं का अस्पताल चलाने वाले डॉ. राकेश दुबे बताते हैँ, “पशुओं के सड़ा-गला खाने, पोंखरों और तालाबों का गन्दा पानी पीने आदि कारणों से पशुओं के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं। यह कीड़े मां से बच्चे के पेट में भी चले जाते हैं, जिससे पशु की मृत्यु भी हो जाती है। पशु के पेट में कीड़े हैं तो उसे ऐल्बोमार दवा दे सकते हैं।” डॉ. राकेश दुबे आगे बताते हैँ, “बछड़े प्राय मिट्टी खाने लगते हैं, जिससे उनके पेट में कीड़े हो जाते हैं। इन्हीं कीड़ों के कारण उन्हें अक्सर क़ब्ज़ हो जाता है अथवा मैटमैले रंग के बदबूदार दस्त आने लगते हैं। गोल कीड़े प्राय बड़े पशुओं (गाय-भैंस) में पाए जाते है।”

कीड़े मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं

1. लम्बे कीड़े

2. गोल कीड़े

ये हैं लक्षण

  • अगर पशु मिट्टी खाने लगे।
  • मैटमेले रंग के बदबूदार दस्त आना।
  • क़ब्ज़ हो जाना।
  • पशु का दुबला होना।
  • अचानक दूध कम कर देना।
  • गर्भधारण में परेशानी।

सावधानी

  • पशुओं को शुद्ध चारा एवं दाना खिलाना चाहिए।
  • साफ पानी पिलाना चाहिए।
  • सफाई का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।

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