नहीं मिली पेंशन, बूढ़े मां-बाप पर आश्रित दिव्यांग

Update: 2017-03-23 16:10 GMT
पेंशन के लिए भटक रहें हैं दिव्यांग।

होरी लाल, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

रायबरेली। अभी भी प्रदेश में कई जगहों पर ऐसे लोग हैं जो अपने हक से महरूम हैं। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते एक लंबा समय बीत गया फिर भी आजतक दिव्यांगों को पेंशन नहीं मिली है। लगातार कोशिश करने के बाद भी पेंशन न मिलने पर लोगों ने परेशान होकर उम्मीद भी छोड़ दी है।

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“सब कुछ ठीक चल रहा था। कभी भी किसी सरकारी योजना की तरफ मुंह नहीं किया। अपनी मेहनत से परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। बाद में आठ साल पहले ट्रेन से हुए एक हादसे में पैर कट गया। उसके बाद तो सब कुछ खत्म हो गया।” यह कहना है रायबरेली जिले के रहने वाले रामशंकर प्रजापति का। दिव्यांग पेंशन के लिए भी रामशंकर ने चक्कर लगाए, मगर अब तक पेंशन नहीं मिल सकी है।

रायबरेली मुख्यालय से 25 किलोमीटर स्थित टेरा-बरौला ग्राम के रामशंकर प्रजापति (38 वर्ष) गंगादीन कुम्हार के एकलौते पुत्र हैं। रामशंकर बताते हैं, “2009 में एक हादसे में मेरा पैर कट गया। 2010 में पेंशन पास हो गई थी लेकिन अब तक पेंशन नहीं मिली।”

इन मुद्दों के संबंध में जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित कुमार सिंह ने कहा कि जो व्यक्ति पेंशन के पात्र हैं, उन्हें पेंशन जरूर मिलेगी। उन्होंने इस बात का भरोसा दिलाया कि इस मामले में जांच कराई जाएगी। इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

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