पशु चिकित्सालयों में नहीं मिलते डॉक्टर

Update: 2017-04-01 10:35 GMT
पशु चिकित्सालयों से डॉक्टर नादारद। 

दिति बाजपेई (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

शाहजहांपुर। जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर कांट ब्लॉक के आदौपुर गाँव के मो. असीफ (30 वर्ष) की बकरी को पंद्रह दिन पहले पोकनी रोग (पेट खराब होना) हुआ था। जब वो पशु चिकित्सालय ले गये तो उन्हें डॉक्टर नहीं मिले मजबूरी में उनको मेडिकल स्टोर से दवा लेनी पड़ी।

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यह समस्या रामदयाल की ही नहीं, बल्कि ज्यादातर पशुपालकों की है। डॉक्टरों की अनुपस्थिति के चलते पशुओं को सही समय पर इलाज नहीं मिल पता है। ददरौल ब्लॉक के गद्दीपुर गाँव में रहने वाले तेजराम यादव (40 वर्ष) बताते हैं, ‘’अगर सरकारी डॉक्टर को घर बुलाओ तो वे आ तो जाते हैं पर उनको पेट्रोल का भी पैसा देना पड़ता है।

इसके बाद दवा भी महंगी लिखते हैं। अस्पताल में मिलते नहीं हैं इसलिए उनको फोन करके मजबूरी में डॉक्टर को घर बुलाना पड़ता है।” उत्तर प्रदेश में कुल 2,200 पशुचिकित्सा केंद्र हैं। राष्ट्रीय कृषि आयोग के अनुसार देश में 5000 पशुओं पर एक पशुचिकित्सालय स्थापित होना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश में 21 हज़ार पशुओं पर एक पशु चिकित्सालय उपलब्ध हैं।

नियमानुसार पशु चिकित्सालयों के खुलने का समय सुबह आठ बजे से दोपहर ढाई बजे तक होता है। लेकिन ज्यादातर पशुपालक नादारद रहते हैं।

जो कार्यालय का समय है उस समय पर पशुपालक उपस्थित रहते हैं। उसके बाद उनका काम फील्ड का रहता है। अगर ऐसा है तो इस पर ध्यान दिया जाएगा।
डॉ. वीके सिंह, पशुपालन विभाग 

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