इन विधियों से किसान बढ़ा सकते हैं धान का उत्पादन 

Update: 2017-05-08 15:11 GMT
धान की बुवाई।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। खरीफ की मुख्य फसल धान की तैयारी किसान इसी महीने से शुरू कर देते हैं, ऐसे में किसान धान की अलग-अलग तकनीक अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

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नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एनबी सिंह बताते हैं, “किसानों को इसी महीने से धान की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, जिससे बारिश होने के बाद धान लगा सकें। धान लगाने की कई विधियां हैं, जिनसे किसान फसल तैयार कर सकते हैं। समय से धान की फसल लगा देनी चाहिए, नहीं तो कीटों का रोग बढ़ जाता है।”

ये हैं प्रचलित विधियां

लेही विधि

लगातार बारिश होने या फिर बुवाई में देरी होने पर और नर्सरी तैयार न हो पाने पर इस विधि को अपना सकते हैं। इस विधि के लिए दो-तीन दिन पहले से ही किसानों को बीज अंकुरित कर लेना चाहिए। बीज की मात्रा को रात में आठ से दस घंटों तक भिगोना चाहिए। फिर इन भीगे हुए बीजों का पानी निथारकर पक्के फर्श पर बोरे से ढक दें। लगभग 24-30 घंटे में बीज अंकुरित हो जाएंगे। अब बोरों को हटाकर बीज को छाया में फैला दें। बुवाई के समय खेत में पानी ज्यादा न रखें नहीं तो बोये गए अंकुरित बीजों के सड़ने की संभावना रहती है।

रोपाई विधि

सिंचाई की सही व्यवस्था होने पर इस विधि से फसल लगाई जाती है। खेत की दो-तीन जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लेते हैं। रोपाई के पहले खेत की अच्छी तरह से मचाई करें। अगर खेत ऊंचा-नीचा हो तो पाटा चलाकर समतल कर लें।

पैडी सीडर से कतार में बुवाई

इसमें धान के अंकुरित बीज लेकर ड्रम सीडर से बुवाई की जाती है। इस तरह पौधे एक सीध में उगते हैं, जिससे निराई करने में आसानी होती है। पंक्ति के बीच 15-25 दिन बाद चलाया जा सके इससे 20-25 प्रतिशत अधिक पैदावार मिलती है।

किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

सामान्य तौर पर धान की नर्सरी की उम्र 20 से 30 दिन तक होनी चाहिए। मध्यम अवधि में पकने वाले धान की रोपाई 20 से 25 दिन के अन्दर करें। देर से पकने वाली किस्मों की रोपणी की उम्र 25 से 30 दिन उपयुक्त होती है। खेत मचार्इ के दूसरे दिन रोपाई करना ठीक रहता है। रोपारई के समय खेतों में पानी अधिक भरा हो तो अतिरिक्त पानी निकाल देना चाहिए।

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