#स्वयंफेस्टिवल: नीलगाय से खुद बचाते हैं अपनी फसल

Update: 2016-12-31 11:27 GMT
किसान चौपाल में अपनी समस्या बताते किसान।

स्वयं डेस्क/ महेंद्र सिंह (कम्युनिटी जर्नलिस्ट) 33 वर्ष

दिगवार /ललितपुर। “रात मे कोई गाँव मे नहीं रुकता, फसल की रखवाली के लिए खेत पर जाना पड़ता है, नहीं तो रोज (नील गाय) फसल नष्ट कर देगी। नीलगायों के झुन्ड के झुन्ड घूमते हैं, जिस खेत में घुसी समझो खेत तबाह। तीन साल से सूखा पड़ रहा है, अन्न का दाना भीं नही मिली। इस साल फसल तो ठीक है,लेकिन रोज (नीलगाय) का आतंक है। "सरकार से मारने की अनुमति नहीं? अनुमति लेने के टेड़े नियम हैं। हम लोगों के पास तो बंदूक नहीं, कि अनुमति लेकर मार दें। ऐसे में मजबूरी है, रोजगाय (नीलगाय) को मार भी नहीं सकते। फसल की सुरक्षा के लिए दिन और रात रखवाली करनी पड़ती है।" कृषि गोष्ठी में अपनी बात बताते हरीराम कुशवाहा (42वर्ष) ने अपनी समस्या रखी।

मलखान कुशवाहा (35 वर्ष) ने बताया कि "रोज का काफी प्रकोप है, घर के सभी सदस्य दिन और रात खेत पर रहते हैं, क्योंकि फसल की रखवाली नहीं करेंगे, रोज फसल को उजाड़ देंगे।

नीलगाय से निपटने के लिए, अपनी फसल सुरक्षित करने के लिए कृषि विभाग के डा० राम कृष्ण भारती (विषय वस्तु विशेषशज्ञ) ने उपाय बताते हु कहा कि "रोज अर्थात नीलगाय से अपनी फसल को बचाने के लिए फसल वाले खेत में लाठी, डन्डे या बांस को लगा दें, जिसमें तार या पहली रस्सी बांध दीजिए! ये उपाय करने से रोज (नीलगाय) फसल को ज्‍यादा नुकसान नही हो पाएगा।"

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