स्वास्थ्य केंद्रों में बाहर से लिखते दवाई

Update: 2017-03-31 13:56 GMT
गाँवों के स्वास्थ्य केंद्रों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।

दीपांशु मिश्रा ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में नई सरकार के कड़क तेवर के बाद शहरों के सरकारी कार्यालयों-अस्पतालों की कार्यप्रणाली भले सुधरी हो लेकिन गाँवों के स्वास्थ्य केंद्रों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।

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लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरोजनीनगर पर इलाज कराने आए पवन कुमार (24 वर्ष) ने बताया, “मैं सरकार को सबसे पहले ये बताना चाहूंगा कि स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर समय पर नहीं आते हैं। समय 10 बजे सुबह से शाम चार बजे तक का है, लेकिन डाक्टर तीन बजे तक हर हालत में चले जाते हैं।’’

उन्होंने आगे बताया, “इसके लिए सरकार को कोई ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए कि डाक्टर समय पर आये और समय पर ही जाएं। इसके अलावा जो डाक्टर दवाइयां लिखते हैं, वह यहां पर उपलब्ध नहीं होती है। इसके कारण लोगों को काफी दूर जाना पड़ता है और महंगी दवाई खरीदनी पड़ती है।’’

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरोजनीनगर के अधीक्षक संजय कुमार ने बताया, “सरकार से मैं ये चाहूंगा कि सबसे पहले गाँव में जो उपकेन्द्र खुले हुए उन पर बिजली की सुविधा दी जाये। बिजली की व्यवस्था होने से वहां पर उसकी हालत काफी सुधर जाएगी। इसके अलावा लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए लगातार दवाइयों का छिड़काव करवाते रहना चाहिए।’’

उन्होंने आगे बताया, “समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में सबसे पहले कुछ विशेषज्ञों को रखा जाए जिन्हें बीमारियों को सम्पूर्ण जानकारी हो। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कमरों की संख्या बढ़ायी जाए और केन्द्रों के ढांचों को सुधारा जाये।’’ पीपरसंड गाँव से अपना इलाज करवाने आये रामनरेश ने बताया, “सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दवाइयां मिलने की दिक्कत है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर दो से ज्यादा डाक्टर नहीं हैं। डाक्टर की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए।’’

जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर अर्जुनपुर आशीष गुप्ता (21 वर्ष) ने बताया, ‘’गाँव में स्वास्थ्य उपकेन्द्र है लेकिन खुलता कम है, ये महिलाओं की सुविधाओं के लिए अच्छा है अगर नियमित खुले। यहां पर सबसे पहले डॉक्टर को रोज बैठना चाहिए।’’

इटौंजा सामुदायिक केंद्र के बारे में इलियास (35 वर्ष) बताते है, ‘’सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मेरी पत्नी को भर्ती नहीं किया गया जिसके कारण उसका प्रसव अस्पताल के बाहर ही हो गया था। हम सरकार से यह कहना चाहेंगे कि भर्ती की व्यवस्था और सुधरनी चाहिए। स्टॉफ के बात करने का तरीका बहुत गन्दा होता उसमें सुधार होना चाहिए।’’

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