हर वर्ष लाखों खर्च होने के बाद भी बाढ़ से उजड़ते हैं ग्रामीणों के आशियाने

Update: 2017-07-06 14:30 GMT
सरयू नदी।

गोरखपुर। जिले में हर साल बाढ़ के चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मध्य भाग से राप्ती व दक्षिणांचल इलाके से घाघरा (सरयू) नदी होकर गुजरती है। इसके आसपास के लोगों को बाढ़ के दिनों में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उस समय प्रशासनिक तैयारियों की पोल खुल जाती है, जबकि हर साल बांधों के रखरखाव पर काफी धनराशि खर्च होती है। फिर भी कोई बेहतर स्थिति नजर नहीं आती है।

दरअसल बाढ़ से बचाव को लेकर जिला प्रशासन की ओर से बैठक कर आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं। जिलाधिकारी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा भी किया है। बावजूद इसके धरातल पर बाढ़ को लेकर कोई खास इंतजाम या बांधों के मरम्मत का कार्य नजर नहीं आता है। बता दें कि जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने एक सप्ताह पूर्व गोला तहसील क्षेत्र के पहरिया, तुर्कवलिया, डेरवा गाँव का निरीक्षण कर नदी के कटान को देखा। इन गाँवों में नदी की कटान जारी है। इस पर जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता से गाँव में कार्य योजना बनाकर तत्काल कटान को रोकने के लिए वैकल्पिक तौर पर बम्बोकेट की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।

कमिश्नर ने दिया सारी तैयारियों को जल्दी पूरा करने का आदेश

कमिश्नर अनिल कुमार ने बाढ़ से बचाव के लिए सभी तैयारियां पूरी करने के लिए निर्देश बाढ़ विभाग को दिए हैं। उन्होंने कहा कि आपातस्थिति से निपटने के लिए अपनी पूरी तैयारी होनी चाहिए। वहीं नगर निगम के अधिकारियों को सभी पम्प स्टेशनों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा महानगर के नालों की सफाई कराने के भी निर्देश नगर निगम को दिए हैं। इस कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह निर्देश कमिश्नर ने आयुक्त सभागार मे मंडल के बाढ़ से बचाव के लिए जनपदों की तैयारियों की समीक्षा बैठक के दौरान दिए। उन्होंने बाढ़ खंड एवं सिंचाई विभाग को निर्देशित किया कि वे बाढ़ निरोधक कार्यों जैसे बंधों के देखरेख व मरम्मत कार्यों को पूरा करने के साथ ही संवेदनशील व कटान के स्थलों के पास बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाएं। उन्होंने कुशीनगर के एपी बंधे को कटान से बचाव के लिए कराये जा रहे निरोधात्मक कार्यों मे तेजी लाने का निर्देश दिए हैं।

गोरखपुर में गंडक व सिंचाई के मुख्य अभियंता बीपी सिंह ने कहा, ''बाढ़ से बचाव के सभी इंतजाम कर लिए गए हैं, अगर कहीं पर कोई दिक्कत है तो उसे दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। राप्ती व घाघरा दोनों नदियों के बांधों पर पैनी नजर है। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।''

दक्षिणांचल पर पैनी नजर की जरूरत

जिले के दक्षिणांचल में गोला तहसील क्षेत्र से होकर घाघरा नदी गुजरती है, बाढ़ के दिनों में सबसे अधिक परेशानी इस क्षेत्र के ग्रामीणों को होती है। इसी आशंका के चलते प्रशासन की नजर इस क्षेत्र में सबसे अधिक रहती है। इसके लिए सिंचाई व बाढ़ खंड को तेजी से काम करने की जरूरत है।

हार्वट व महेवा बांध को ठीक करने की दरकार

शहर को बचाने के लिए राप्ती तट के किनारे हार्वट व महेवा बांध को दुरुस्त करने की दरकार है। शहर को बाढ़ से बचाने के लिए इन बांधों का दुरुस्त होना जरूरी है। हालांकि जल निगम की ओर से पंपिग मशीन को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया गया है। हार्वट बांध पर जल निगम की ओर से अधिक पावर की दो नई मशीनें लगाई गई हैं। ये मशीनें शहर के पानी को नदी में फेंकने के काम आएंगी। दिलचस्प बात यह है कि इन बांधों के अंदर काफी आबादी बस चुकी है।

उत्तर प्रदेश में बाढ़ की आहट से बढ़ीं चिन्ताएं

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