कच्ची कोठरी में चल रहा सरकारी अस्पताल, मरीजों के हाल बेहाल

Update: 2017-04-02 16:08 GMT
होम्योपैथिक अस्पताल कच्ची कोठरी और झोपड़ी में चल रहा है।

नवनीत अवस्थी, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उन्नाव। साढ़े तीन दशको में कई सरकारें बदली। जनपद से चुने गए जनप्रतिनिधि को स्वास्थ्य मंत्री भी बनाया गया लेकिन गंजमुरादाबाद क्षेत्र के ग्राम भिखारीपुर पतसिया में संचालित होम्योपैथिक अस्पताल की दशा नहीं बदली। यह अस्पताल आज भी कच्ची कोठरी और झोपड़ी में चल रहा है। यहां शौचालय और पेयजल की कौन कहे, अस्पताल में बैठने तक की व्यवस्था नही है।

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गंगा कटरी क्षेत्र में बसे ग्राम भिखारीपुर पतसिया में वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रदेश सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मन्त्री स्व गोपीनाथ दीक्षित ने होम्योपैथिक अस्पताल का लोकार्पण एक कच्ची कोठरी और छप्पर में किया था। उस जमाने में कटरी वासियों को एेसा महसूस हुआ था मानो उनके क्षेत्र में मेडिकल कालेज की स्थापना हो गयी हो।

कच्ची कोठरी में शुभारंभ के बाद इस बात की उम्मीद की गई थी कि समय बीतने के बाद अस्पताल को पक्का भवन मिल जाएगा। तीन दशक से अधिक बीत जाने के बाद भी अस्पताल की दशा नही बदल सकी। यहां कार्यरत वार्ड ब्वाय पुत्ती लाल की माने तो स्टाफ द्वारा कई बार शासन् व प्रशासन को भवन निर्माण के संबन्ध लिखा जा चूका है।

लेकिन किसी भी सरकार ने इस आेर ध्यान नही दिया। अस्पताल स्टाफ द्वारा वर्तमान ग्राम प्रधान से एक अदद शौचालय की गुहार भी नकार दी गयी। अस्पताल आने वालो मरीजों को पेयजल के लिए भी जूझना पड़ता है। अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर सगुफ्ता जबीं का कहना है कि प्रतिदिन दर्जनों मरीज दवा लेने यहाँ आते है। जिन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दवाई रखरखाव पर बोली कि बारिश में दवा को पानी से बचाने के लिए वह हर वर्ष पालीथीन बाजार से लेती हैं।

फार्मासिस्ट योगेन्द्र मौर्या ने कहा कि उनके द्वारा प्रधान से प्रधानमंत्री स्वच्छ् भारत मिशन के तहत बनवाये जा रहे शौचालय के लिए अनुरोध किया गया । हालांकि यहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। जानकारों के अनुसार जिस जगह अस्पताल संचालित है। वह जगह बलरामपुर के राजा के नाम से अंकित है। नियमानुसार इस जगह पर भवन निर्माण नहीं किया जा सकता है। इस अस्पताल में भवन के लिए एक आध बार प्रस्ताव पारित भी हुआ किन्तु जिम्मेदारों द्वारा भूमि उपलब्ध् नहीं करायी गयी। जिसके चलते अस्पताल भवन का निर्माण नहीं कराया जा सका।

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