कुपोषित बच्चों को नहीं मिल रहा घी, कैसे तंदुरुस्त होंगे बच्चे ? 

Update: 2017-01-13 20:06 GMT
अतिकुपोषित बच्चों को हर दिन दिया जाना है 20 ग्राम घी।

स्वयं डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अति कुपोषित बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर घी पहुंचाने के निर्देश दिए गए थे ताकि बच्चों को तंदुरुस्त बनाया जा सके लेकिन कई जिलों में अभी तक एक बार भी बच्चाें को घी नहीं नसीब हो सका है।

यूपी में कुपोषण को दूर करने के लिए हौसला पोषण योजना चलाई जा रही है। हौसला पोषण योजना के अंतर्गत पांच साल तक के अति कुपोषित बच्चों को खाने के साथ प्रतिदिन 20 ग्राम देशी घी दिया जाना है। बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर की दूर देवरा गाँव के आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकत्री सुशीला बाजपेई (34 वर्ष) बताती हैं, “कुपोषित बच्चों के सर्वे के बाद बच्चों को भोजन के साथ घी देने की योजना तो चली थी और पिछले छह महीने में एक बार घी भी वितरण हुआ था, लेकिन उसके बाद आज तक बच्चों के लिए घी नहीं मिला।”

सरकार द्वारा सितम्बर 2015 में चलाये गये वजन दिवस अभियान के तहत कुल 14.70 लाख बच्चे अतिकुपोषित पाये गये। कुपोषण को खत्म करने के लिए ‘हौसला पोषण मिशन’ योजना की शुरुआत 25 जुलाई 2016 को हुई। बाराबंकी की बाल विकास अधिकारी निर्मला शर्मा बताती हैं, “हौसला पोषण मिशन के तहत कुपोषित बच्चों को घी वितरण करवाया जाना है। जन्म के समय जिन बच्चों का वजन ढाई किलो से कम होता है उनको कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। घी वितरण सुचारू रूप से हो ही रहा है। अगर किसी आंगनबाड़ी केंद्र पर घी नहीं जा रहा है तो जल्द से जल्द भिजवाया जायेगा।”

उत्तर प्रदेश में 0-5 वर्ष तक के अल्प वजन बच्चों की संख्या लगभग 35 प्रतिशत, गम्भीर रूप से अल्प वजन बच्चों की संख्या 13 प्रतिशत तथा जन्म के समय 2.5 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों की संख्या 22.5 प्रतिशत है। सीतापुर जिले की आंगनबाड़ी केंद्र कोराडिया तृतीय की कार्यकत्री शैल शुक्ला (28 वर्ष) बताती हैं, “हमारे आंगनबाड़ी केंद्र में घी वितरण एक दो बार हुआ है। हमारे केंद्र में बच्चों के लिए देशी घी नहीं आता है।”

यूनिसेफ के मुताबिक भारत में पांच साल से कम उम्र के 20 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषित और 48 प्रतिशत बच्चे अंडरवेट हैं यानि वजन सामान्य से कम है। यूनिसेफ के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में कुपोषण शहरों से ज्यादा है, जिसका कारण समय से पहले होने वाले जन्म और महिलाओं को पोषण के विषय में कम जानकारी होना और खुद कुपोषित होना है। कन्नौज जिले हरईपुर गाँव की आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकत्री ममता मिश्रा (33 वर्ष) बताती हैँ, “अभी छह महीने पहले ही हौसला पोषण योजना के तहत हम सभी कार्यकत्रियों को कुपोषित बच्चों के लिए किसी को एक, किसी को दो डिब्बा देशी घी मिला था, उसके बाद से आज तक घी के दर्शन भी नहीं हुए।”

बाल एवं पुष्टाहार विभाग के विशेष सचिव अरुण कुमार मिश्रा ने पूर्व में बताया था, “प्रदेश में छह महीने से पांच वर्ष के अति कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन मध्यान्ह में गर्म भोजन परोसा जा रहा है। बच्चों को फल के साथ-साथ देशी घी भी दिया जा रहा है। जिले में अतिकुपोषित बच्चों को 20 ग्राम प्रति बच्चा प्रति दिन देशी घी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दुग्ध विकास विभाग व पीसीडीएफ द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आपूर्ति की जा रही है। अगर कहीं दिक्कत आ रही है तो वह जल्द ही दूर होगी।”

सोनभद्र के जिला कार्यक्रम अधिकारी अजित कुमार सिंह बताते हैं, “योजना के तहत कुपोषित बच्चों को पोषाहार के साथ-साथ 25 दिन में प्रति बच्चे को आधा किलो देशी घी देना है। हमारे यहां 28 दिसंबर को बजट आ गया था। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में भी पहुंचाया गया है। अगर कहीं नहीं पहुंच रहा है तो जल्द वहां पहुंचाया जाएगा।”

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