छत्तीसगढ़ी ग्वालों की संस्कृति लोककलाओं की पहचान है राउत नृत्य

Update: 2017-01-22 16:22 GMT
इस नृत्य में ग्वाल अपनी विशेष वेशभूषा पहनकर, हाथ में सजी हुई लाठी लेकर टोली में गाते-नाचते घर-घर जाते हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। छत्तीसगढ़ी ग्वालों की संस्कृति और लोककलाओं का प्रतीक माना जाने वाला राउत नृत्य भारत की लोककलाओं में बहुचर्चित नृत्य शैली है। यह नृत्य वैसे तो दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा में किया जाता है, लेकिन आजकल राउत नृत्य विशेष आयोजनों और दूसरे पर्वों में भी किया जाता है।

इस छत्तीसगढ़ी लोककलाओं को अपने ब्लॉग के माध्यम से अन्य राज्यों तक पहुंचाने का काम कर रहे राजेश चंद्राकर (42 वर्ष) बताते हैं, ‘’राउत नृत्य खासतौर पर यादव समुदाय के लोगो में ज़्यादा प्रचलित है।

राउत नृत्य खासतौर पर यादव समुदाय के लोगो में ज़्यादा प्रचलित है। इस नृत्य में ग्वाल (यादव समुदाय) अपनी विशेष वेशभूषा पहनकर, हाथ में सजी हुई लाठी लेकर टोली में गाते-नाचते घर घर जाते हैं।
राजेश चंद्राकर

इस नृत्य में ग्वाल (यादव समुदाय) अपनी विशेष वेशभूषा पहनकर, हाथ में सजी हुई लाठी लेकर टोली में गाते-नाचते घर घर जाते हैं। जब यह टोली किसी घर पर पहुंचती है, तो लोग इस टोली को अनाज भेंट करते हैं और इसके बदले टोली उन्हें आर्शीवाद देती है।’’

राउत नृत्य में सिर्फ पुरुष ही शामिल होते हैं। टोली में नाचने वाले लोग अपने गले में माला व सिर पर गम्छा बांधकर नृत्य करते हैं। नृत्य के बीच में टोलियों के लोग भक्ति, पर्व और हास्य संदर्भों से युक्त होते हैं। इसमें ढोलक, दफड़ा, टिमकी, मोहरी, दफड़ा और सिंगबाजा जैसे वाद्य यंत्रों को इस्तेमाल किया जाता है।

राउत नृत्य को आगे बढ़ाने और इसमें शामिल होने वाले लोगों की सहायता करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार हर वर्ष प्रदेश के बिलासपुर क्षेत्र में राउत नाच महोत्सव आयोजित करती है। इस आयोजन में विशेष रूप से देश के अलग-अलग हिस्सों से नर्तकों की टोलियां आती है,जिन्हें सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जाता है।”

राउत नृत्य में गाया जाने वाला गीत

होररररेररर

पूजा परय पुजेरी के संगी (हेररय)

अरेरेरे धोवा चाऊर चढ़ाई हे (हेररय)

पूजा परत हे मोर गोवर्धन के ददा शोभा बरन नहीं जाए (हेरर)

होरयेहरररररर

धमधा बांधेव पचेरी रेर भेड़ा (हेरररय)

अरे गांठे दियेरर हरेरईहा (हेररय)

गाय केहेव धावर वो तेल पठरे दे घोरे रईहा (हेररर)

आराररराराररररारारारा हरदी पिसेंव कसौंदी वो दाई (हेररय)

अउ घस घस पिसेंव आदा (हेररय)

गाय केहेव धावर वो तें सोहई पहिरले सादा हे (हेरर)

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