नगर निगम की अनदेखी से कूड़े से घिरा कुष्ठ आश्रम

Update: 2017-01-17 21:21 GMT
शहरभर का कूड़ा आश्रम के आगे ही डालता है नगर निगम।

बसंत कुमार

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। "ईश्वर ने हमारे साथ अनदेखी की तो समाज पीछे कैसा रहता। दर-दर भटकते हैं, किसी ने रहने के लिए घर बना दिया तो अब घर के चारों तरफ शहर भर का कूड़ा जमा होता है। ऐसा लगता है कि कूड़ों के बीच में कुष्ठ आश्रम बना है।" ऐसा कहना है 60 वर्षीय कुष्ठ आश्रम के प्रधान गहलो का।

मुजफ्फरनगर की रहने वाली गायत्री मोदी ने मेरठ में हापुड़ फाटक के पास 1947 में विवेकानन्द कुष्ठ आश्रम का निर्माण करवाया था। इस आश्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए कुष्ठ मरीजों के 55 परिवार निवास करते हैं। आश्रम के पास ही निगम द्वारा कूड़ा डालने के कारण 55 परिवारों के 200 से ज्यादा सदस्य नरकीय ज़िन्दगी जीने को मजबूर हैं। इस आश्रम में रहने वाले ज्यादातर लोगों की ज़िन्दगी मांगकर और दान मिलने से चलती है।

आश्रम के प्रधान गहलो बताते हैं, "पहले कूड़ा आश्रम से कुछ दूर डाला जाता था, लेकिन धीरे-धीरे आश्रम के गेट तक नगर निगमकर्मी कूड़ा डालने लगे। यहाँ कूड़ा डलने से हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ठंड में तो स्थिति कुछ ठीक भी रहती है, लेकिन गर्मी के दिनों में मच्छर बहुत परेशान करते हैं और बरसात के दिनों में बदबू के कारण खाना भी नहीं खाया जाता है। आश्रम के अंदर तक गंदा पानी भर जाता है।" गहलो आगे बताते हैं, "हमने इसके लिए नगर निगम, डीएम सबसे शिकायत की, लेकिन हमारी शिकायत सुनने वाला नहीं है। इतनी बार शिकायत करने के बाद अब तो शिकायत करने का भी मन नहीं होता है।"

यहां अब तो रहना मुश्किल हो रहा है। सारे रास्ते खराब हैं। सड़कें खराब होने से दान देने वाले भी यहां आने से कतराते हैं। पूरे मेरठ शहर का कूड़ा आश्रम के सामने ही फेंका जाता है। शहर के कूड़े के साथ-साथ शहर में मरे हुए जानवरों को भी नगर निगम के कर्मचारी यहीं फेंक जाते हैं।
भामा, आश्रम में रहने वाली महिला

क्या कहते हैं मेयर

इस सम्बन्ध में मेरठ के मेयर हरिकांत अहलुवालिया कहते हैं, "पहले गबरी क्षेत्र में मेरठ का कूड़ा डाला जाता था, लेकिन वहां लोगों के विरोध के बाद कूड़ा कुष्ठ आश्रम से कुछ आगे डाला जाने लगा। नगर निगम के कर्मचारी कूड़ा आश्रम के आगे डालने लगे, इसको लेकर नगर आयुक्त से कई बार बात की गई, लेकिन मेरठ के नगर आयुक्त किसी भी तरह से हमारी मदद नहीं कर रहे हैं। इस मामले में मैं आगे भी नगर आयुक्त को लिखूंगा।" हरिकांत आगे बताते हैं, "यहां अब तक कूड़ा निस्तारण यंत्र नहीं लगा था, लेकिन मेरी कोशिश के बाद 1 जनवरी 2017 को कूड़ा निस्तारण का शिलान्यास हुआ है।"

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