अगेती मिंट तकनीकी से कम पानी में जल्दी तैयार होगी मेंथा की फसल

Update: 2017-01-24 17:40 GMT
अगेती मेंथा तकनीकी से कमाएं मुनाफा, पास-पास मेड़ों पर दोनों ओर लगाएं जाते हैं पौधे।

दीपांशु मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। किसानों को मेंथा की खेती अब पारम्परिक तरीकों से करने की जरूरत नहीं है। किसान अगेती मिंट (मेंथा) की वैज्ञानिक विधि से खेती कर कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

चार साल पहले सीमैप के डॉ. सौदान सिंह ने यह विधि विकसित की थी, इसमें मेड़ों के दोनों ओर पौधे लगाकर खेती होती है। इस तकनीक के ज़रिए फसल बहुत कम पानी की खपत और 110 दिन की सामान्य अवधि के बजाए 80-90 दिन में तैयार हो जाती है। कम समय में तैयार होने के चलते किसान खरीफ के पहले दो फसलें ले सकता है।

मैं अगेती तकनीकी से मेंथा की खेती करता हूं। इसमें समय तो बचता ही साथ ही साथ कम लगत होती और मुनाफा अच्छा होता है।
फकुरुद्दीन (45 वर्ष), किसान, अटेसुआ गाँव (बीकेटी ब्लॉक)

किसान जनवरी माह से पॉलीथीन से ढककर कृत्रिम गर्मी से 20-25 दिन में नर्सरी तैयार कर सकता है और फिर फरवरी में ही बुआई कर सकता है। इस विधि से जड़ों का उत्पादन भी सामान्य तरीके के मुकाबले 15-20 फीसदी ज़्यादा होता है। साथ ही, हर हेक्टेयर में तैयार फसल से करीब 50-60 किलोग्राम तेल ज़्यादा निकलता है।

इस तकनीकी से किसान के खेत जो खाली पड़े रह जाते है उनसे छुटकारा मिल जाता है। इस तकनीकी से सिंचाई में काफी बचत होती है। तेल के साथ उसकी गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होती है। सिंचाई बंद करने से आसवन से पहले पौधों को सुखाने की जरूरत नहीं पड़ती, पौधों को सीधे आसवन की टंकी में भरा जा सकता है।
डॉ. दयाशंकर श्रीवास्तव, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर

केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) ने अगेती मिंट का विकास किया, जिससे किसानों को कम समय में अधिक लागत मिल सके। इस विधि से एक हेक्टेयर में 80,000 पौधे लगा सकते हैं।

अगेती मिंट तकनीकी में रखे इन बातों का ध्यान

  • इस तकनीक में समतल क्यारियों के स्थान पर मेड़ बनाकर उस पर रोपाई की जाती है।
  • मेड़ों की दूरी एक दूसरे से 40-50 सेमी और पौध से पौध की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए।
  • कटाई के 15-20 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर देनी चाहिए लेकिन फसल सूखने न पाए।
  • कटाई से पहले सिंचाई करने से पौधों की लम्बाई बढ़ती है लेकिन कुछ समय बाद पौधों की पत्तियां गिरनी शुरू हो जाती हैं।
  • कटाई के समय खेत में नमी है तो पत्तियां और अधिक गिरती हैं।
  • समय-समय पर खेत के पौधों को पास से देखना चाहिए ताकि समय रहते कीट प्रबंधन किया जा सके।

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