‘भारत के लिए मेडल जीतने का सपना’ 

Update: 2017-03-31 16:23 GMT
लॉन बॉल खेलने वालों में मनु उत्तर प्रदेश से इकलौती खिलाड़ी हैं। 

अजय मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कन्नौज। उन लोगों के लिए मनु पाल के माता-पिता नसीहत हैं जिन्होंने अपनी बेटी को पढ़ाने के साथ ही लॉन बॉल खेल प्रतियोगिता की दुनिया में भेजने के लिए हर तरह का सहयोग किया। पिछले साल वह तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों यश भारती पुरस्कार से सम्मानित हुईं।

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लॉन बॉल खिलाड़ी मनु पाल का सपना है कि भारत के लिए अगले साल आस्ट्रेलिया में होने वाले कॉमनवेल्थ में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतें। मनु पाल (30 वर्ष) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 195 किमी दूर बसे कन्नौज जिला मुख्यालय के छिबरामऊ, मोहल्ला सराफान की रहनेवाली हैं। पिता रामनरायन पाल सीआरपीएफ में सेवाएं दे चुके हैं। मां हरिप्यारी देवी गृहणी हैं। भाई राहुल (27 वर्ष) हरियाणा यूनिवर्सिटी से एमटेक कर चुका है।

‘गांव कनेक्शन’ से खास बातचीत में मनु ने बताया, “साल 2008 में जब वह गुवाहाटी में बीएड कर रही थी तो अपने दोस्तों के साथ लॉन बॉल की प्रतियोगिता देखने गई थी। वहां से प्रभावित होकर मैंने लॉन बॉल खेलना शुरू कर दिया। पहली बार दिसम्बर 2008 में गुवाहाटी में नेशनल चैंपियनशिप में प्रतिभाग किया।” उन्होंने आगे कहा, “फरवरी में कॉमनवेल्थ का ट्रायल भी हुआ। रांची में ओपेन ट्रायल हुआ। यहां पर कई राज्यों से करीब 100 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया। 16-16 लड़के-लड़कियों की टीमों का दो साल का कैंप हुआ। न्यूजीलैंड, मलेशिया, गुवाहाटी और दिल्ली में इंटरनेशनलशिप टेस्ट सीरीज में प्रतिभाग कर चुकी हूं।”

अतीत की यादों में खोते हुए वह कहती हैं, “साल 2010 में दिल्ली में जब मैंने प्रतिभाग किया तो 16 लोगों में से 12 फिर आठ लोग रह गए थे। बाद में छह लोगों में मैं भी शामिल थी। पेरिस डबल्स प्रतियोगिता में उसकी छठवीं रैंकिंग आई थी। जीतने का मन तो बहुत था लेकिन कुछ ही अंक कम होने की वजह से छठवें नंबर पर संतोष करना पड़ा।” साल 2011 में राष्ट्रीय खेल में एक स्वर्ण पदक जीता। 34वीं और 35वीं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक भी झटके। साल 2016 में बुरनई दारूल सलाम में कांस्य पदक भी पाया। अब तक मनु 10 से अधिक पदक जीत चुकीं हैं।

टीम बनाकर कोच बनने की चाहत

मनु का कहना है, “मैं चाहती हूं कि मैं खेलूं या न खेलूं लेकिन एक टीम यूपी से जरूर बनाऊं। टीम को खुद प्रशिक्षण भी दूं। मैंने आस्ट्रेलिया से कोच की डिग्री भी ली है। सूबे में लॉन बॉल खेलने के लिए अगर मैदान बन जाएं तो बहुत अच्छा रहेगा। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव को इसके लिए कई पत्र भी भेजे थे।”

मैं सोच रहा हूं कि यूपी में भी लॉन बॉल के लिए मैदान हो। अध्ययन कर रहा हूं। इसके लिए बजट की भी जरूरत पड़ेगी। तत्कालीन डीएम अनुज कुमार झा और मेरे प्रयास से मनु को यश भारती मिल सका था।
आरडी पाल, जिला क्रीडा अधिकारी, कानपुर

यूपी में नहीं है कोई मैदान

लॉन बॉल खेलने वालों में मनु उत्तर प्रदेश से इकलौती खिलाड़ी हैं। यहां ऐसा कोई भी मैदान नहीं है, जिस पर वह प्रैक्टिस कर सके। इसके लिए वह दिल्ली में रहकर प्रैक्टिस करती है। मैदान न होने की वजह से वह सूबे की ओर से नहीं बल्कि दिल्ली की ओर से खेलती है।

तत्कालीन डीएम अनुज कुमार झा ने खिलाड़ी मनु के लिए सौरिख में बन रहे स्टेडियम में ही लॉन बॉल खेलने के लिए मैदान बनाने की बात कही थी। यह इंटरनेशनल खेल है। मनु खिलाड़ी भी इंटरनेशनल हैं। इसके लिए सूबे के कई खिलाड़ी भी होने चाहिए। बाहर निकलकर मनु ने कामयाबी पाई है। यह विदेशोंमें जन्मा खेल है जो भारत में भी खेला जाने लगा है।
अमिताभ कुमार, जिला युवा कल्याण एवं पीआरडी अधिकारी, कन्नौज

रेस में पिता का और घर में मिला मां का साथ

मनु बताती हैं, “मेरी सफलता में घरवालों का बहुत बड़ा योगदान है। अगर वह साथ न देते तो शायद मैं यहां न पहुंच पाती। पिता गुवाहाटी और असम में तैनात रहें हैं। वहीं पर क्रास कंट्री रेस की प्रैक्टिस और प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने आगे बढ़ने में सहयोग ही किया। मम्मी घर का काम नहीं करने देती थीं। कहती थीं कि पढ़ाई ही करो।’’

मैं जहां भी तैनात रहा, बेटी को कभी भी निराश नहीं होने दिया। खेलकूद प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया। उसे दौड़ के लिए सुबह अपने साथ ले जाता था। संसाधन न होने की वजह से बेटी उत्तर प्रदेश में प्रैक्टिस नहीं कर पाती है।
रामनरायन पाल (मनु के पिता)

लॉन बॉल के बारे में

  • भारत के असम, रांची, दिल्ली, कलकत्ता, केरला, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश समेत 17 राज्यों में खेला जाता है।
  • उत्तर प्रदेश में नहीं है कोई मैदान।
  • सूबे से सिर्फ कन्नौज की मनु पाल की खेलती हैं यह खेल।
  • लॉन बॉल के लिए मैदान बिल्कुल सीधा होता है।

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