दुधारू पशुओं के लिए गर्भपात बड़ी समस्या, बरतें सावधानी 

Update: 2017-01-23 15:10 GMT
गर्भपात के बाद दूसरे पशुओं काे भी हो सकता है ये संक्रमण

कविता द्विवेदी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

हैदरगढ़ (बाराबंकी)। कुछ दिन पहले गणेश बाजपेई (30 वर्ष) की लापरवाही के कारण उनकी भैंस का गर्भपात हो गया जिससे उनको काफी नुकसान हो रहा गया है।

बाराबंकी जिला मुख्यालय उत्तर पूर्व में लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित हैदरगढ़ क्षेत्र के नरेन्द्रपुर मदरहा गाँव के गणेश के पास एक गाय और एक भैंस है, जिसका दूध बेचकर गणेश अपने परिवार का खर्चा चलाते हैं। गणेश बताते हैं, ‘अपनी गाय को चराने के लिए ले गए थे जब भैंस को वापस लेकर घर आए तो ठीक थी। फिर रात के लगभग दो बजे बच्चे को जन्म दे दिया। बच्चा नाभि सहित बाहर आ गया।’

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. वीके सिंह बताते हैं, ‘गर्भपात एक संक्रामक बीमारी है। संक्रामक बीमारी के कारण गाय और भैंस को समय से पहले गर्भपात हो जाता है, जिस स्थान पर भ्रूण गिरता है अगर वहां की सफाई नहीं की गई तो उस स्थान के संपर्क में आने वाली गायों में भी यह बीमारी फैल जाती है। इतना ही नहीं अगर गाय का चारा भी उस स्थान के संपर्क में आया तो वह भी संक्रमित हो जाता है। हर वर्ष भारत में इस संक्रमण के कारण करोड़ों रुपए का घाटा दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में होता है।’

गर्भपात जैसी गंभीर बीमारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कॉटन स्टेन 19 वैक्सीनेशन की योजना भी बनाई है। जो सभी पशुचिकित्सलयों में नि:शुल्क उपलब्ध है।

डॉ. वीके सिंह आगे बताते हैं, ‘पशुओं में गर्भपात तीन बैक्टीरिया (ब्रुसेल्ला एबोरटस, टाइमोनस फोईटस, विभ्रु) से फैलता है। अगर किसी पशु में एक बार गर्भपात की समस्या आ जाती है तो पशु आमतौर पर दोबारा देर से गर्भ धारण कर पाती है। पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए जिससे ये समस्या हल हो सके।’

हैदरगढ़ क्षेत्र के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ओपी सिंह बताते हैं, ‘ठंड में पशुपालक ध्यान नहीं देते है और पशुओं को बंधा रहने देते हैं। ऐसे में भी पशुओं का गर्भपात हो जाता है। गर्भपात के बाद गर्भ की सफाई के लिए इसे लिट्रोटोन और लिट्रिकफाइफ दवा 200 से 300 ग्राम देकर बच्चेदानी की सफाई कराएं जिससे अगली बार बच्चे का जन्म सही से हो सके। जब दोबारा गर्भधारण करवाये तो यूट्रिवाइव दवा देकर ही करवाए, जिससे गर्भ सुरक्षित रहता है।’

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