सब्जी की ज़ायद फसलें सामान्य बारिश से सुरक्षित 

Update: 2017-03-11 14:00 GMT
ज़ायद फसल को बारिश की वजह से कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। दो दिन पहले मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार शुरू हुई पूर्वानुमानित बारिश की वजह से किसान परेशानी में आ गए हैं। ये हाल सभी किसानों का नहीं है। जहां गेहूं के साथ चना, मटर जैसी दलहनी फसलों को नुकसान पहुंचा है, वहीं सब्जी की जायद फसल लगाने वाले किसान फिलहाल संतुष्ट हैं। हाल में की गई बुवाई की वजह से फसल को बारिश की वजह से कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है।

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सीतापुर के 33 वर्षीय किसान श्वेतांक त्रिपाठी का कहना है, “यहां जिले में तो कहीं-कहीं बुवाई हो चुकी है और कहीं-कहीं अभी भी लोग कर रहें हैं। बुवाई हुए तो अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। पौधे अभी छोटे हैं तो नुकसान काहे का, अभी तक तो कोई नुकसान नहीं हुआ। अगर आगे भी ऐसे ही बारिश हुई तब भी ठीक है।”जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी दूर रेवसा ब्लॉक के सिकोहा गांव के श्वेतांक त्रिपाठी कहना है कि इस समय जायद फसलों की तैयारी चल रही है। कुछ किसान बुवाई की तैयारियों में जुटे हैं तो कुछ मौसम को देखते हुए उनकी देखभाल कर रहें हैं। खरबूज, खीरा, लौकी, कद्दू और करेला, तुरई और अन्य ज़ायद फसलें लग चुकी हैं। उन्होंने आगे बताया, “बल्कि इस बारिश से ये अच्छा हुआ कि उन फसलों को सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ी। खेत सूखा था, नमी की कमी थी तो अभी तो सही है। मैंने जो फसल लगाई है उसमें 25 मार्च तक फूल आऐंगे। फरवरी शुरुआत में ही बुवाई जो की थी। चार-पांच चरणों में बुवाई की जाती है।”

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उप्र (शाकभाजी) के उद्यान निरीक्षक जयप्रकाश पाल बताते हैं, “15फरवरी से जायद फसलों (सब्जियों) को लगाने की शुरुआत की जाती है। वैसे तो फरवरी के शुरू में ही फसलें लगने लगती हैं। जो फसल लगाई गईं हैं, अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। पौधे अभी बच्चे हैं तो इस तरह की बारिश से नहीं नुकसान है।”आलू के खेत खाली होने के बाद लोबिया, टिंडा, भिंडी और सभी कद्दूवर्गीय सब्जियां लगाईं गईं हैं। उन्होंने बताया कि बारिश से तो नहीं लेकिन बीमारियों से पौधों को सुरक्षित रखना जरूरी है।

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