पॉलीहाउस में उगा रहे जैविक तरीके से सब्जियां 

Update: 2017-03-05 22:37 GMT
पॉलीहाउस में उगाई सब्जियां दिखाता किसान।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बरेली। किसान पॉलीहाउस में जैविक तरीके से खेती कर एक साथ कई फसलें उगा रहे हैं और दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं। इनके पॉलीहाउस को देखने दूसरे जिलों के भी किसान आते हैं।

बरेली जिले के पिथरी चैनपुर ब्लॉक के केशरपुर गाँव के किसान हरीश तवांर ने (41 वर्ष) जिले में सबसे पहले पॉलीहाउस में खेती की शुरुआत की है। वो इन दिनों टमाटर की फसल के साथ अपने पॉलीहाउस में धनिया, गेंदा, जैसी फसले भी उगा रहे हैं। हरीश तवांर बताते हैं, “पॉलीहाउस के अंदर खेती करके अच्छा मुनाफा हो जाता है, इसमें एक साथ कई फसलें लगाई हैं।

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मैंने पूरी तरह से जैविक खेती अपनायी है, इसमें रसायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं होता है।” पॉलीहाउस में सब्जियों की खेती से स्थानीय किसानों को पहले के मुकाबले अच्छी पैदावार मिल रही है। पॉलीहाउस विधि से सहफसली खेती कम जोत के किसानों के लिए न सिर्फ मौसमी सब्जियां उगाने में मददगार है बल्कि फल, फूलों के उत्पादन के लिए भी यह तरीका उपयोगी साबित हो रहा है।

आईवीआरआई के वैज्ञानिक देते हैं नई तकनीक की जानकारी

बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक केन्द्र के वैज्ञानिक हरीश तवंर के पॉलीहाउस में कृषि की नई तकनीक की जानकारी देते हैं। पॉलीहाउस लगवाने के बाद मिले अच्छे मुनाफे के बारे में हरीश बताते हैं, “खेत में उगाए गए टमाटर की तुलना में पॉलीहाउस में उगाए गए टमाटर का भाव अच्छा मिलता है।”

पिछले एक साल से हरीश ने पॉलीहाउस में खेती की शुरुआत की थी, जो बरेली जिले के किसानों के लिए एकदम नई तकनीक थी। हमारे यहां के वैज्ञानिक समय-समय पर जाकर उनको फसलों की जानकारी देते रहते हैं।”
डॉ. बीपी सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र

कैसे उगाते हैं कई फसलें

पॉलीहाउस के माध्यम से सहफसली खेत कर किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। हरीश बताते हैं, “पॉलीहाउस में टमाटर की फसल बेल की तरह लगायी जाती है, जिसे सहारा देकर ऊपर चढ़ा दिया जाता है। नीचे की ज़मीन खाली होने से इस पर बड़े आराम से धनिया, बैंगन जैसी सब्जियों की सहफसली कर सकते हैं।’

जैविक तरीके से उगा रहे हैं सब्जियां

हरीश तवंर पॉली हाउस में किसी भी तरीके की रसायनिक कीटनाशक और उर्वरकों का प्रयोग नहीं करते हैं। कीटनाशक के रूप में वो नीम तेल, गोमूत्र, लहसुन का प्रयोग करते हैं। हरीश बताते हैं, “रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल तो सभी करते हैं, लेकिन मैं जैविक तरीके से ही खेती करता हूं। कीटों के लिए मैंने इन्सेक्ट ट्रैप लगाया है, जिससे कीट-पतंगे उसमें फंस जाते हैं, ऐसे में बिना किसी पेस्टीसाइड के इस्तेमाल के हम इनसे छुटकारा पा लेते हैं।”

बिना बीज के उगा रहे बैंगन

हरीश इस बार बिना बीज के बैंगन की खेती रहे हैं, हरीश बताते हैं, “अभी तक लोग बीज वाले बैंगन की खेती करते हैं, लेकिन इस बार मैंने बिना बीज वाला बैंगन लगाया है। ये यूरोपियन और अमेरिकन देशों में उगाया जाता है।” वह बताते हैं, “पॉलीहाउस में उगायी गईं फसलें आम फसलों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होती हैं, क्योंकि इसमें तापमान को नियंत्रित कर सकते हैं।”

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