सही तापमान पर करें आलू का भंडारण, आलू नहीं पड़ेगा मीठा

Update: 2017-02-06 14:52 GMT
आलू के भंडारण में ऊर्जा तकनीक अपनाने की सलाह, मंडियों में किसानों को मिल सकेगा बेहतर दाम।

अजय मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कन्नौज। कोल्ड स्टोरेज में आलू का भंडारण सही तापमान पर नहीं किया जाता है, जिससे आलू को खाने में मिठास आ जाती है। साथ ही जल्द खराब भी होने लगता है, जिससे किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाते हैं।

देश में आलू भंडारण की तकनीक बहुत पुरानी है। सब्जी, बीज एवं प्रोसेसिंग का आलू एक ही तापमान एक-दो डिग्री सेल्सियस पर भंडारित किया जाता है। इससे बीज का आलू तो सुरक्षित रहता है, लेकिन खाने में इस्तेमाल करने और प्रोसेस का आलू मीठा हो जाता है।
वी.के. सिंह, जनरल मैनेजर, यूपीएल लिमिटेड कंपनी

वो आगे कहते हैं, ‘‘आलू मीठा होने से खाने में बेहतर नहीं लगता है। अधिक दिनों तक वह सुरक्षित भी नहीं रह पाता है। तापमान सही न मिलने की वजह से किसान अगर कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालकर बाहर की मंडियों में भेजते हैं तो जल्द खराब हो जाता है।‘‘ ऊर्जा तकनीक में आलू का भंडारण 48-50 डिग्री फारनेहाइट यानि 10-12 डिग्री सेल्सियस पर किया जाता है। इससे खाने वाले आलू के साथ ही प्रोसेसिंग के आलू की गुणवत्ता बेहतर रहती है। आलू में मिठास नहीं आती है। अंकुरण यानि किल्ले भी नहीं फूटते हैं। खाने में भी आलू अच्छा होता है। ऊर्जा तकनीक में भंडारित आलू का स्टार्च शुगर में नहीं बदलता है।

हर साल बढ़ जाती है आलू की मांग

आलू की डिमांड 15-20 फीसदी प्रतिवर्ष बढ़ रही है। वर्ष 2016 में 28 लाख मीट्रिक टन आलू ऊर्जा तकनीक में भंडारित किया गया। साथ ही इस तकनीक से प्रति क्विंटल 100-200 रूपये आलू देश की प्रमुख मंडियों दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम और मुंबई में महंगा बिक रहा है।

दिल्ली एनसीआर की मंडियों में मिठास रहित आलू यानि शुगर फ्री इन टेस्ट की प्रतिदिन आवक 300-350 ट्रक होती है। अभी तक देश के 860 से अधिक कोल्ड स्टोरेज ऊर्जा तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। इससे किसानों की आय भी बढ़ी है। जनरल मैनेजर ने बताया कि चिप्स, फ्रेंचाफ्राई, पोटैटो फलैक्स आदि बनाने वाली कंपनियां ऊर्जा उपचारित आलू का ही उपयोग करती हैं।

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