किचेन के बजट को बिगाड़ बैठी नोटबंदी 

Update: 2016-11-19 16:41 GMT
स्वाद के नाम खर्च करने में लोगों ने कर दी कटौती। (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: गूगल इमेज)

प्रदीप मिश्रा (स्वयं डेस्क)

बीघापुर (उन्नाव)। देश में नोटबंदी के फैसले से भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने की भले ही बात की जा रही हो पर मौजूदा समय में लोग इससे परेशान जरूर नजर आ रहे हैं। यहां तक की घरों में किचेन का जायका भी इससे अछूता नहीं रह गया है। फुटकर पैसों की कमी से सब्जी व अन्य खानपान की वस्तुओं पर भी साफ असर दिख रहा है।

सभी छोटे नोट जुटाने में मशगूल

महिलाओं का कहना है कि नोटबंदी के बीच खर्च के लिए मिलने वाले रुपयों में कटौती कर दी गई है। अब कम पैसों में घर का खर्च चलाना मजबूरी हो गई है। पांच सौ व एक हजार की नोट पर लगी पाबंदी के बीच फुटकर पैसों की कमी हो गई है। प्रतिबंधित नोटों को बैंक में जमा करने के साथ ही छोटे नोटों का इंतजाम करने में लोग परेशान हैं। मीना नाम की एक हाउस वाइफ कहती हैं, "जब तक हालात सुधरते नहीं हैं तब तक लोग हर तरफ से छोटे नोट का जुगाड़ करने में व्यस्त हैं। इस बीच घरों में महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल लिया है। फुटकर पैसों की किल्लत के चलते महिलाएं फुटकर पैसे के अनुरूप ही खर्च कर रही हैं।"

टूटे रुपए के मुताबिक स्वाद की चाह को लिया समेट

वहीं, गृहणी सुशीला के अनुसार सब्जियों के दाम में गिरावट के बावजूद फुटकर पैसे के अनुरूप खर्च करना मजबूरी हो गई है। सुशीला ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी तो महिलाओं के सामने ही है। पुरुष प्रतिमाह खर्च करने की सीमा से कम पैसे दे रहे हैं, उसमें ही घर चलाने की मजबूरी है। इसी में सब्जी, बच्चों का दूध, फल आदि सब चलाने को विवश हैं। इसी तरह गृहणी वंदना बताती हैं कि पैसा कम होने की समस्या के बीच कई सुविधाओं में कटौती करनी पड़ी है। किचेन के बजट पर सबसे अधिक असर पड़ा है। कुछ ऐसा ही कहना आरती का भी है। वह बताती हैं कि किचेन, बच्चों के स्कूल की पढ़ाई और घर में आए निमंत्रण पत्र को भी ध्यान में रखना पड़ता है। आटा, चावल व दाल की तैयारी तो की जा चुकी है, लेकिन सब्जी के लिए तो फुटकर निकालना ही पड़ रहा है।

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