तस्करी में पकड़ी गई गायों को पाल कर उनके मूत्र और गोबर से बनाते हैं खाद 

Update: 2017-02-14 15:20 GMT
गायों के गोबर से खाद एवं गौमूत्र से प्रेस्टिसाइड।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बनतारा (शाहजहांपुर)। रमेश श्रीवास्तव बीते बीस वर्षों से तस्करी में पकड़ी जाने वाली गायों को पालते हैं उनकी देखभाल करते हैं और उनके मूत्र और गोबर से खाद और पेस्टीसाइड बनाकर उसका इस्तेमाल करते हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर बनतारा गाँव में विनोबा सेवा आश्रम बना हुआ है, जहां पर 125 गाय हैं, जिसमें से 95 गाय ऐसी हैं जो तस्करों से छुड़ाई गई हैं। आश्रम में बीस वर्षों से गोशाला चला रहे संस्थापक रमेश बताते हैं, “गौशाला में वहीं गाय हैं जिनको तस्करी के समय पकड़ा गया है। पहले हम इन गायों को ठीक करते हैं फिर इनके गोबर और गोमूत्र से खाद बनाते हैं।”

गौशाला में एक महीने में लगभग 40 कुंतल खाद बनाई जाती है जिसे 500 रुपए कुंतल बेचते हैं। एक दिन में लगभग 8-10 लीटर गोमूत्र इकट्टा हो जाता है इसको खेतों में छिड़काव में बनने वाली दवा के प्रयोग में लाते हैं। विनोबा सेवा आश्रम की सचिव विमल श्रीवास्तव बताती हैं, “गाय की सेवा और खाद बनाने के लिए आस पास के गाँव की 20 महिलाओं को रखा है। इससे उनको रोजगार भी मिल रहा है।

गोशाला में 85 घन मीटर का गोबर गैस प्लांट भी लगा हुआ है जिससे दस किलोवाट का जेनरेटर चलता है। गोशाला में प्रयोग होने वाली बिजली इसी से चलती है। गाय को खिलाने के हरा चारा भी गोशाला में ही बोया जाता है। बनतारा गाँव में रहने वाली सीमा पिछले तीन साल से गोशाला में काम कर रही है। सीमा बताती है, “हर महीने दो हज़ार रुपए तक कमा लेती हूं जिससे अपने पति के साथ मैं भी घर चलाने में हाथ बटा रही हूं।”

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