सोनभद्र के 37 गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कसेगी नकेल, एक सप्ताह के भीतर मान्यता कराने के आदेश

Update: 2017-02-04 22:14 GMT
प्रतीकात्मक फोटो।

भीम जायसवाल/राकेश गुप्ता, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

दुद्धी (सोनभद्र)। अब दुद्धी में 37 अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर जल्द कार्रवाई होगी। इन सभी स्कूलों के संचालकों के साथ बैठक कर खण्ड शिक्षा अधिकारी ने इन स्कूलों को नोटिस भेजा है। इन स्कूलों को चेतावनी दी गई है कि 15 दिनों में मान्यता कराएं या स्कूल बंद कर दें।

सर्व शिक्षा अभियान और माध्यमिक शिक्षा अभियान के नियमों के तहत बिना मान्यता के धड़ल्ले से चल रहे विद्यालयों के संचालकों के खिलाफ लाखों रुपए का जुर्माना किया जा सकता है। साथ ही जुर्माने की राशि अदा न करने पर सजा तक का प्रावधान है। इन्ही नियमों के मद्देनजर दुद्धी खण्ड शिक्षा अधिकारी की ओर से गैर मान्यता प्राप्त कुल 37 अंग्रेजी व हिंदी माध्यम में नोटिस देने से विद्यालयो के संचालको में हड़कम्प की स्थिति बन गयी है।

स्कूलों को एक हफ्ते के अंदर मान्यता कराने की चेतावनी दी गई। ऐसा न करने पर स्कूल में ताला लगाने के आदेश दिए गए हैं। अन्यथा ऐसे स्कूल संचालक एफआइआर के साथ जुर्माना भरने को तैयार रहें।
राजीव यादव, खंड शिक्षा अधिकारी, दुद्धी

हाल में खण्ड शिक्षा अधिकारी राजीव यादव ने दुद्धी विकास खण्ड में संचालित कुल स्कूलों की सूची मांगी। सूची में परिषदीय विद्यालयों की कुल संख्या 283 है, जिसमें प्राथमिक 205 और उच्च 73 और 5 स्टेट के विद्यालय हैं। वहीं कुल 48 प्राइवेट विद्यालय मान्यता प्राप्त हैं, जबकि 37 गैर मान्यता प्राप्त हैं, जिसमें दुद्धी कस्बे के चर्चित स्कूल शामिल हैं। इनमें अंग्रेजी माध्यम के डीपीएस, सीपीएस, लिटिल एंजल, पीडीएस सैंट जेवियर कैमूर वैली आदि स्कूल शामिल हैं।

ऐसे में खण्ड शिक्षा अधिकारी राजीव यादव ने बीआरसी पर बगैर मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालकों के साथ बैठक बुलाई गई। खण्ड शिक्षा अधिकारी ने नोटिस भेजकर ब्लॉक क्षेत्र के बगैर मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालकों को तलब किया था, जिसमें लगभग तीन दर्जन लोगों ने ब्लाक सभागार के बैठक में हिस्सा लिया। खण्ड शिक्षा अधिकारी ने बगैर मान्यता प्राप्त संचालकों को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि एक सप्ताह के अन्दर अभिलेख पूर्ण करके कार्यालय में जमा कर दें, अन्यथा सीधे एफआईआर दर्ज की जाएगी।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

Similar News