एजुकेशन लोन के चलते अवसाद में जा रहें छात्र 

Update: 2017-03-29 15:25 GMT
एजुकेशन लोन न मिलने पर भी अवसाद में चले जाते हैं छात्र।

मीनल टिंगल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। आज के इस दौर में ज्यादातर छात्र उच्च शिक्षा पाना चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते उनको उच्च शिक्षा के लिए लोन लेना पड़ता है जो कि आसानी से मिल नहीं पाता, अगर बमुश्किल मिल भी जाता है तो पढ़ाई पूरी करने के बाद लोन चुकाने के बोझ के नीचे दब जाते हैं, जिससे वह अवसाद में चले जाते हैं।

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लखनऊ की चौक निवासी ममता (33 वर्ष) ने बताया, “मुझे एमए की पढ़ाई करने के बाद वर्ष 2006 में टेक्निकल कोर्स करने के लिए एजुकेशनल लोन लेना था, जिसके लिए मुझे कई बैंकों के चक्कर लगाने पड़े। व्यक्तिगत सम्बन्धों के आधार पर इलाहाबाद बैंक ने लोन दिया। कोर्स के बीच में पिता का देहांत हो गया और जब कोर्स पूरा हुआ तो कई महीनों बाद तक मुझे नौकरी नहीं मिली।” उन्होंने आगे बताया, “मैं लोन न चुका पाने की वजह से तनाव में रहती थी, जिसकी वजह से अवसाद ग्रसित हो गई। इसके बाद मैंने अपने रिश्तेदारों से पैसे लेकर लोन चुकाया और नौकरी मिलने के बाद धीरे-धीरे उनको पैसे लौटाए।”

नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के साल 2014 के आंकड़ों के अनुसार, 18 से 24 साल के बीच के लगभग 44.81 मिलियन भारतीय अंडर ग्रेजुएट छात्रों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह उच्च शिक्षा का खर्च उठा सकें। इनमें 16.6 फीसदी पुरुष और 9.5 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।

मनोरोग चिकित्सक डॉ. मधु पाठक बताती हैं, “मेरे पास ऐसे कई केस आते हैं जिसमें बच्चे उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लेना चाहते हैं लेकिन कई बार बैंकों के चक्कर लगाने के बाद भी जब एजुकेशनल लोन उनको नहीं मिल पाता है तो वह अवसाद में चले जाते हैं। इसके साथ ही ऐसे कई बच्चों की काउंसलिंग भी मैंने की है। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए बमुश्किल एजुकेशन लोन मिल तो गया लेकिन पढ़ाई के बाद नौकरी न मिल पाने के चलते वह लोन चुका नहीं सके। बाद में अवसाद में चले गए, जो उनके लिए बहुत नुकसानदेय होता है।”

कर्नाटक के मांडया की रहने वाली सारा ने एमबीए की पढ़ाई के लिए बैंक से एजुकेशनल लोन लेने का प्रयास किया था लेकिन बैंक ने उसको लोन देने से मना कर दिया। जानकारी के अनुसार पहले भी उसने एजुकेशन लोन ले रखा था जिसको वह चुका नहीं सकी थी। बी.कॉम में 83 फीसदी अंक लाने वाली होनहार सारा को लोन लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यालय द्वारा कर्नाटक के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सारा को लोन दिलाने में मदद करने का आदेश दिया गया। इसके बाद बैंक ने 1.5 लाख रुपए का लोन सारा को दिया।

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