अमित शर्मा, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
जम्मू कश्मीर। कश्मीर मुद्दे पर करीब दो दशकों से चल रहे विद्रोह के चलते अब तक करीब दो सौ मंदिर जलाए गए हैं, कई क्षतिग्रस्त किए गए और भी कई ऐसे घटनाओं को सुनना जारी रहा है। ऐसे में राजौरी जिले में धार्मिक रूप से संवेदनशील इलाके में धार्मिक सद्भावना और इंसानियत की मिसाल पेश की जा रही है। जम्मू के राजौरी जिले के गांव रछ्वा में स्थित एक मंदिर की रखवाली एक मुस्लिम परिवार तीन पीढ़ियों से कर रहा है।
अब मेरी उम्र 40 साल है लेकिन जब से मैंने होश संभाला है तब से मैं इस मंदिर को देखता आ रहा हूं। बचपन में मेरे पापा ने मुझसे कहा था कि अब इस मंदिर की देखभाल हमें ही करनी है।अनवर हुसैन, मंदिर की देखभाल करने वाले मौलाना
अनवर हुसैन कहते हैं कि जिस तरह विश्व में ताजमहल एक अजूबा है उसी तरह जम्मू में यह मंदिर भी किसी अजूबे से कम नहीं है। मंदिर के आसपास रहने वाले लोग बताते हैं कि जब इलाके में आतंकवाद चरम पर था तब यहां के मुस्लिम परिवारों ने इसे बचाया था। 1990 के दौर में चल रहे विद्रोह ने उग्रवादियों ने कई मंदिरों को निशाना बनाया था तब मुसलमानों ने ही मंदिर की हिफाजत की थी।
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मौलाना अनवर हुसैन कहते हैं कि इस मंदिर को लेकर भी मेरे मन में वही आस्था और सम्मान है जो मस्जिद के लिए है। अपनी सुंदर शिल्पकला के लिए मशहूर इस मंदिर में कोई पंडित परिवार नहीं रहता लेकिन कभी-कभी आस पास के किसी गांव के पंडित यहां पूजा करने आते रहते हैँ।
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