गेहूं की कटाई के लिए करें रीपर मशीन का प्रयोग

Update: 2017-03-19 16:47 GMT
जिले में कम्बाइन हार्वेस्टिंग स्ट्रा रीपर विद बाइन्डर या फिर स्ट्रा रीपर का प्रयोग अनिवार्य करें।

दिवेन्द्र सिंह,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। गेहूं की कटाई के बाद खेत में बचे फसल अवशेष को जलाने वाले किसानों की खैर नहीं, कृषि विभाग खेत में जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। उत्तर प्रदेश शासन ने प्रदेशभर के सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सभी अपने जिले में कम्बाइन हार्वेस्टिंग स्ट्रा रीपर विद बाइन्डर या फिर स्ट्रा रीपर का प्रयोग अनिवार्य करें।

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कृषि विभाग के अनुसार, इस बार रबी में 510 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है। इसके साथ ही बिना रीपर मशीन के प्रयोग करने वाले कम्बाइन मशीन मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। फसलों की कटाई और मड़ाई के लिए आधुनिक यंत्र कम्बाइन हार्वेस्टर का प्रयोग होने के कारण धान और गेहूं जैसी फसलें जिनके अवशेष को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है, किसान जला देते हैं। कम्बाइन हार्वेस्टर के प्रयोग होने से भूसे की भी किल्लत हो रही है।

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के उप कृषि निदेशक डीपी सिंह बताते हैं, “पिछले कुछ वर्षों में कम्बाइन हार्वेस्टर के प्रयोग से खेतों में फसल की ठूंठ छूट जाती है, जिसे किसान जला देते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषित तो हो ही रहा है, साथ ही चारे की भी किल्लत हो रही है।” वो आगे कहते हैं, “इसके लिए अभी ही सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया कि ऐसे किसानों के ऊपर कार्रवाई की जाए।” उत्तर प्रदेश सरकार ने फसलों के ठूंठों को जलाने पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन किसान इसको भी नहीं मान रहे हैं।

इससे पहले दिल्ली और इसके पड़ोस में धुंध रोकने के लिए फसलों की कटाई के बाद खूंटी जलाने पर किसानों पर जुर्माना तय करने वाले राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश को कृषि अपशिष्ट पैदा होने और इनके निपटान के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा और पंजाब के भी किसान फसलों की कटाई के बाद बचे फसल अवशेषों को खेत में ही जला देते हैं। पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर में धान की पराली जलाने के बाद लगायी आग की वजह से कई जिलों में धुंध छा गयी थी।

सरकार ने कई वर्ष पहले ही फसलों के अवशेष जलाने को गैरकानूनी घोषित कर रखा है। पंजाब-हरियाणा में जुर्माने से लेकर जेल तक का प्रावधान है, लेकिन हर साल ये प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। कम्बाइन मशीन की मदद से दो एकड़ गेहूं की फसल को बड़ी आसानी से 40 से 45 मिनट के अंदर काट लिया जाता है, जो किसी भी कटाई मशीन की तुलना में बहुत किफायती है। इसी लिए किसान कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग करने लगे हैं। हार्वेस्टर कटाई करने से वो सिर्फ ऊपर से गेहूं की बालियां काट लेते हैं, बाकी नीचे जो डंठल बचता है वो किसी काम नहीं बचता है। उसे किसान जला देते हैं, जिससे भूसे की कमीं भी हो जाती है।

रीपर के प्रयोग से खेत में ही बन जाता है भूसा

इस मशीन की खासियत है कि इससे कटाई करने पर गेहूं की फसल जड़ से कटती है, जिससे फसल का अवशेष नहीं बचता है। जड़ से काटने के बाद ये बालियां निकालकर बाकी डंठल को भूसा बना देती है। कम्बाइन मशीन के साथ एक कंटेनर लगा होता है, जिसमें भूसा इकट्ठा होता रहता है। कंटेनर में हाइड्रोलिक सिस्टम लगा होता है, इससे कटाई-मड़ाई के बाद गेहूं और भूसे को कहीं ले जाने में परेशानी नहीं होती है।

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