चिड़ियाघर में शेरों को रास नहीं आ रहे मुर्गे, मीट की हुई किल्लत

Update: 2017-03-24 19:33 GMT
नवाब वाजिद अली शाह में शेरों को नहीं खा रहे हैं ठीक से खाना।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने अवैध बूचड़खाने बंद करने के निदेंश तो दे दिए, लेकिन इसका सीधा असर पड़ा है, लखनऊ और कानपुर चिड़ियाघर में रहने वाले मांसाहारी जानवरों को भोजन नहीं मिल पा रहा है।

लखनऊ स्थित नवाब वाजिद अली शाह चिड़ियाघर में बाघ, शेर भालू आदि कई मांसाहारी जानवरों के लिए रोज़ाना 200 किलो मीट की सप्लाई हो रही थी वहीं इसके आधे मीट की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है।

चिड़ियाघर के अपर निदेशक डॉ उत्कर्ष शुक्ला ने बताया, “सभी बूचडखानों को बंद कर दिया है इसलिए थोड़ी सी परेशानी आ रही है। जू में जितने भी मांसाहारी जानवर है उनको भूखा नहीं रखा जा रहा है। जू में जितना मांस पहले आ रहा था उतना अभी भी आ रहा है।”

चिड़ियाघर में बाघ रोजाना 12 किलो मांस खाते है

चिड़ियाघर में बब्बर शेर और टाइगर रोजाना 12 किलो मांस खाते है। वहीं बिल्ली 2 किलो, सियार 2 किलो, पैंथर 5 किलो तक कच्चा मांस खाते हैं। जो स्थिति लखनऊ चिड़ियाघर की है, वहीं कानपुर के चिड़ियाघर का भी हाल है जहां मांसाहारी जानवरों को भोजन न मिलने की वजह से भूखे रहना पड़ रहा है। बुधवार को कानपुर में चार बूचड़खाने बंद कर दिए, इस वजह से जानवरों को मांस की सप्लाई भी कम हो पा रही है।

अवैध बूचड़खाने का बंद होना, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के चुनाव पूर्व वादों में से एक है। इसी तरह घोषणापत्र में किए गए अपने वादे को निभाने के लिए बीजेपी ने सत्ता में आते ही एक्शन लेना शुरू कर दिया है। कानपुर चिड़ियाघर में इस समय शेर अजय और शेरनी नंदनी को मिलाकर कुल 70 मांसाहारी जानवर हैं।

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