क्या आप जानते हैं घोड़ों और गधों की इन नस्लों के बारे में

Diti BajpaiDiti Bajpai   12 Jan 2019 8:58 AM GMT

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क्या आप जानते हैं घोड़ों और गधों की इन नस्लों के बारे में

लखनऊ। आपको अभी तक गाय, भैंस, भेड़ बकरी ही नस्लों के बारे में पता होगा। हमारे देश में घोड़ों और गधों की भी कई प्रकार नस्लें हैं। राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो में पंजीकृत नस्लों के मुताबिक भारत में सात प्रजाति के घोड़े और एक प्रजाति के गधे नस्ल की जानकारी दी गई है।

विकासशील देशो में कार्यशील गधो, घोड़ों और खच्चरों की संख्या लगभग 1 करोड़ 12 लाख है। दुनिया के लगभग 2% और एशिया महाद्वीप के लगभग 5% अश्वजातीय पशु भारत में पाए जाते हैं। वर्तमान में इनकी कुल संख्या 15 लाख है, जिनमें अधिकांश संख्या गधे, खच्चर और टट्टू की है। यह पहाड़ी और शुष्क वातावरण वाले क्षेत्रों में रहने वाली ग्रामीण आबादी को अपनी भारवाही शक्ति द्वारा आजीविका प्रदान करते हैं। इनकी कुछ आबादी सेना, पुलिस, सीमा सुरक्षा बल, रेसिग उद्योग और खेल में भी पाई जाती है।


भूटिया

इस नस्ल के घोड़े हिमालय पर्वत के निचले क्षेत्रों और भूटान में पाए जाते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक संख्या में पाए जाने वाले ये टट्टू प्राय भूरे, बादामी और चितकबरे रंग के होते हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 1.30.1.32 मीटर और भार 275.360 किग्रा तक होता है। ये सवारी करने और बोझा ढ़ोने के काम आते हैं।

काठियावाड़ी

इस नस्ल के घोड़े पूरे भारत में फैले हुए हैं, लेकिन मुख्य रूप से यह गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में पाए जाते हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 1.30-1.50 मीटर और वक्ष परिधि 1.37-1.52 मीटर होती है। इनका उपयोग घुड़सवारी, घुड़दौड़, खेलो, सुरक्षा और सफारी में होता है।


स्पीति

ये घोड़े हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी में पाए जाते हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 1.20 मीटर तथा शारीरिक सरंचना मजबूत होती है। स्पीति नस्ल के घोड़े ठंडे भागो में रहने और प्रतिकूल परिस्थितियों को भी सहन करने में सक्षम होते हैं। यह दुर्गम क्षेत्रों में आसानी क्षेत्रों से चलने और बोझा ढ़ोने के काम के लिए उत्तम माने जाते हैं।

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मारवाड़ी

यह घोड़े राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में पाए जाते हैं। इनकी ऊँचाई 1.40-1.50 मीटर के लगभग होती है और ये प्रतिकूल परिस्थितियों में अल्प आहार पर जीवित रह सकते हैं। यह चुस्त, सुंदर और शांत प्रकृति के होते हैं। इनका प्रयोग खेलो, घुड़दौड़, सफारी, घुड़सवारी व अन्य कार्यों में किया जाता है।

जन्सकारी

इस नस्ल के घोड़े लेह-लद्दाख क्षेत्र में पाए जाते हैं। शुद्ध नस्ल के जन्सकारी घोड़े भूरे-श्वेत रंग के होते हैं। ये घोड़े चैतन्य दिखते हैं और इनकी ऊँचाई 1.20-1.40 मीटर होती है। इनका उपयोग पहाड़ी क्षेत्रों में या क्षेत्रों तायात, सामान एवं सवारी ढ़ोने तथा पोलो खेलने में किया जाता है।

मणिपुरी

इस नस्ल के घोड़े मणिपुर एवं असम में पाए जाते हैं। ये आकर में छोटे होते हैं और इनकी ऊँचाई 1.10-1.30 मीटर तक होती है। शरीर भार लगभग 300 किग्रा. होता है। मणिपुरी घोड़े सुन्दरता और गति के लिए प्रसिद्ध हैं। मणिपुरी घोड़ो का उपयोग यातायात, सामान और सवारी ढ़ोने तथा पोलो खेलने के लिए किया जाता है।

कच्छी-सिन्धी

घोड़े की इस नस्ल का मूल स्थान गुजरात के कच्छ जिले की भुज तालुका के बन्नी एवं खावड़ा स्थान है, इसीलिए स्थानीय लोग इन्हें कच्छी के नाम से जानते हैं। इसका प्रजनन क्षेत्र पाकिस्तान के सिध के बहुत नजदीक है। इसलिए इसका नाम कच्छी- सिन्धी रखा गया है। इनकी ऊँचाई लगभग 1.45 मीटर तक होती है और शरीर का भार लगभग 300 किग्रा. होता है। इनका उपयोग परिवहन, सवारी, खेल, सफारी व व्यापार में किया जाता है।


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स्पीति गधा

स्पीति गधे समुद्र तल से 3000 से 4200 मीटर के मध्य स्थित लाहौल-स्पीति के स्पीति क्षेत्र और किन्नौर जिले के पूह क्षेत्र में पाए जाते हैं। ये गधे बहुत मजबूत और निश्चित रूप से अविश्वसनीय सहनशीलता वाले होते हैं। ये मुख्य रूप से भूरे, काले और काले- भूरे रंग के होते हैं। इनका उपयोग परिवहन में होता है।

(स्त्रोत- भाकृ अनुप-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक सं साधन ब्यूरो, करनाल)

     

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