अगर मछली पालन शुरू करने जा रहे हैं तो इस खबर को जरूर पढ़ें

अगर मछली पालक वर्षभर अपने तालाब का ध्यान रखें तो वर्ष में दो बार एक ही तालाब मछलियों की बिक्री की जा सकती है, जिससे मछली पालकों को मुनाफा होगा।

Diti BajpaiDiti Bajpai   8 Sep 2018 7:47 AM GMT

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अगर मछली पालन शुरू करने जा रहे हैं तो इस खबर को जरूर पढ़ें

लखनऊ। भारत में मछली पालन व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा है। देश के डेढ़ करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे है। लेकिन कभी-कभी जरा सी लापरवाही और जानकारी के अभाव में मछली पालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए वर्षभर इनकी देखरेख करना जरूरी है।

अगर मछली पालक वर्षभर अपने तालाब का ध्यान रखें तो वर्ष में दो बार एक ही तालाब मछलियों की बिक्री की जा सकती है, जिससे मछली पालकों को मुनाफा होगा। अगर आप मछली पालन शुरू करना चाहते है, वर्षभर तालाबों की देखभाल कैसे करें और कब क्या करें इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है। अगर आप नीचे बताई गई बातों को ध्यान रखें तो 3000 से 4000 किलोग्राम मछली का प्रति हेक्टेयर उत्पादन कर सकते हैं।

जानें किस महीनें में क्या करें-

अप्रैल

मत्स्य विभाग के निर्देशानुसार तलाब का सुधार करवाएं तालाब के बंधे चारों ओर के इतने ऊंचे करवा दें कि बारिश और बाढ़ से प्रभावित न हो। पानी आने और निकलने वाले भागों पर पक्के गेट बनवाकर जाली की व्यवस्था करें। पहली बार मत्स्य पालन शुरू करने पर तालाब को सुखाकर जुतवा दें। तालाब से जलीय

खरपतवार और अंवाछनीय मछलियों की सफाई करें। पुराने तालाबों की वार्षिक मरम्मत कराएं आएं और तालाब में कामन कार्प मत्स्य बीज संचय करें।

मई

1. तालाब की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए मत्स्य बीज संचय से पहले 200 से 600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुझे हुए चूने का प्रयोग करें।

2. तालाब में कार्बनिक (गोबर की खाद) 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर की दर से उसकी पहली किश्त का पानी का छिड़काव करें। रासायनिक खादों में यूरिया 200 किलोग्राम सिंगिल सुपर फास्फेट 250 किलोग्राम व म्यूरेट आफ पोटाश 40 किलोग्राम अर्थात कुल मिश्रण 490 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष 10 समान मासिक किस्तों में प्रयोग किया जाना चाहिए।

3. इस प्रकार 49 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रतिमाह रासायनिक खादों के मिश्रण का गोबर की खाद के प्रयोग के 15 दिन बाद तालाबों में डाला जाना चाहिये। अगर तालाब के पानी का रंग गहरा हरा अथवा गहरा नीला हो जाए तो उर्वरकों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए जब तालाब के पानी का रंग उचित अवस्था में आ जाए तो उर्वरकों का प्रयोग फिर से शुरू कर देना चाहिए। तालाब में पानी का स्तर एक मीटर तक बनाए रखें।

4. तालाब में जलीय कीटों, खरपतवार एवं अवांछनीय मछलियों की सफाई करवायें।

5. प्लैंकटान नेट से तालाब में प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता की जांच करें।

6. तालाब में जाल चलवाकर संचित मत्स्य बीज की प्रगति की जांच करें।

यह भी पढ़ें- वीडियो : जानिए कैसे कम जगह और कम पानी में करें ज्यादा मछली उत्पादन

जून

1. तालाब के आउटलेट व इनलेट पानी निकलने व आने के द्धारों पर जाली लगाएं।

2. तालाब में प्लैंकटान नेट से प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता की जांच करें।

3. तालाब में जाल चलवाकर संचित मत्स्य बीज की प्रगति की जांच करें।

4. तालाब में आकर्बनिक खादों की 49 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मासिक किश्त का प्रयोग करें।

5. तालाब में संचयन के लिए मत्स्य बीज का मूल्य जून के अंतिम सप्ताह तक मत्स विभाग के तहसील अथवा जिला कार्यालय में जमा कराएं ।

जुलाई

1. तालाब में जलीय कीटों, खरपतवार तथा अवांछनीय मछलियों की सफाई करवाएं।

2. प्लैंकटान नेट से तालाब में प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता की जांच करें।

3. तालाब में अकार्बनिक खादों की 49 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मासिक किश्त का प्रयोग करें।

4.10000 प्रति हेक्टेयर की दर से मेजरकार्प/विदेशी प्रजाति की अंगुलिकाओं का तालाबों में संचय करें।

5. तालाब में पूरक आहार कृत्रिम भोजन की चावल की पालिश और खल बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर मछलियों के कुल अनुमानित वजन के एक से दो प्रतिशत भार के बराबर प्रतिदिन संचित मछलियों को देना शुरू करें।



अगस्त

1. तालाब में मत्स्य संचय के बाद ऊपर बताई गई विधि से गोबर की खाद एवं अकार्बनिक खादों का तालाबों में प्राकृतिक भोजन की उर्वरता बढ़ाने के लिए प्रयोग करें।

2. तालाब में प्राकृतिक भोजन की जांच करें और आवश्यकतानुसार पूरक आहार (कृत्रिम भोजन) संचित मछलियों को प्रतिदिन देते रहें।

3. जाल चलाकर तालाब में संचित मछलियों की बढ़वार की जांच करें ।

सितंबर

1. तालाब में ऊपर बताई गई विधि से गोबर की खाद एवं अकार्बनिक खादों का तालाबों में प्राकृतिक भोजन की उर्वरता बढ़ाने के लिए प्रयोग करें।

2.तालाब में प्राकृतिक भोजन की जांच करें और आवश्यकतानुसार पूरक आहार (कृत्रिम भोजन) संचित मछलियों को प्रतिदिन देते रहें।

3. जाल चलवाकर तालाब में संचित मछलियों की बढ़वार की जांच करें। तालाब में पानी की गहराई 1 मीटर तक रखें।

अक्टूबर

1. मछलियों की वृद्धि और तालाब में उपलब्ध प्राकृतिक भोजन की जांच कराते रहें।

2. ऊपर बताई गई विधि से मछलियों को प्रतिदिन पूरक आहार और गोबर की खाद एवं रासायनिक खाद की मासिक किश्त का तालाब में प्रयोग करें ।

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नवंबर

1.मछलियों की वृद्धि और तालाब में उपलब्ध प्राकृतिक भोजन की जांच करते रहें।

2. तालाब में जाल चलवाकर संचित मछलियों की वृद्धि की जांच करें।

3. मछलियों के रोग ग्रस्त हो जाने से रोकने के लिए सीफेक्स नामक दवा का एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें ।

दिसंबर

1.मछलियों की वृद्धि और तालाब में उपलब्ध प्राकृतिक भोजन की जांच कराते रहें।

2.मछलियों के रोग ग्रस्त पाये जाने पर तालाब में सबसे पहले 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से चूने का प्रयोग करें। उसके 15 दिन बाद 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पोटेशियम परमैंगनेट (लाल दवाई) का प्रयोग करें।

3.भयंकर रूप से रोग ग्रस्त मछलियों को तालाब से निकालकर जमीन में गाढ़ दें।

4.आवश्यकता समझे तो सीफेक्स दवाई का एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पुनः प्रयोग करें।

जनवरी

1.अंगुलिका संचय के 18 महीने के बाद मछलियों की निकासी तथा विक्रय की व्यवस्था करें।

2. अगर बैंक से ऋण प्राप्त कर तालाब का सुधार कराया है तो बैंक ऋण की किश्त वापस करें।

3.तालाब में पानी का जलस्तर 1.5 मीटर तक बनाए रखें।

4.कामन कार्प मत्स्य बीज का मूल्य मत्स्य विभाग के जिला अथवा तहसील कार्यालय में जमा करवायें।

मार्च

1. तालाब में कॉमन कार्प मत्स्य बीज का संचय करें।

2. अगर तालाब पट्टे पर लिया गया है तो उसके वार्षिक लगान की धनराशि ग्राम समाज कोष में जमा करें।

3. तालाब की वार्षिक मरम्मत करवाएं।

कुछ खास बातें-

1. तालाब में पूरे वर्ष कम से कम 1.5 मीटर पानी का स्तर बना रहे ऐसी व्यवस्था करें।

2‍. बारिश के मौसम में तालाब पर बाढ़ का प्रभाव न पड़े इसका ध्यान रखें।

3.तालाब में पानी का रंग गहरा हरा होने पर रासायनिक खाद का प्रयोग बंद करे दे। पानी का रंग गहरा भूरा और गन्दला होने पर गोबर की खाद का प्रयोग बंद कर दे जैसे तालाब के पानी का रंग सामान्य हो जाये, उवर्रकों का प्रयोग फिर से शुरू कर दें।

4. पहली बरसात में तालाब में पानी आने पर कभी-कभी मछलियां तालाब की तली में सड़ती गलती खाद और वनस्पतियों के कारण आक्सीजन के अभाव में ऊपर आकर परेशान सी टहलने लगती है और व्यवस्था न होने पर मर भी जाती है। ऐसे में बुझे हुए चूने का छिड़काव करे आदमियों को तालाब मे घुसाकर उछाले मछलियों को आक्सीजन मिल जाने से वे शांत हो जायेगी।


      

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