कभी शौक में शुरू किया था सजावटी मछली पालन, आज चला रहे हैं ओडिशा का पहला ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल

ओडिशा के कटक में केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर की मदद से राज्य का पहला ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल शुरू किया गया है, इस स्कूल को पिछले कई सालों से मछली पालन कर रहे राजेश रंजन महापात्र संचालित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की मदद से रंगीन मछलियों का व्यवसायिक पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Divendra SinghDivendra Singh   14 Sep 2021 1:20 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कभी शौक में शुरू किया था सजावटी मछली पालन, आज चला रहे हैं ओडिशा का पहला ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल

प्रधानमंत्री मस्त्य संपदा योजना के जरिए रंगीन मछलियों के पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। फोटो: पिक्साबे

कभी शौक के लिए सजावटी मछलियों को पालने वाले राजेश रंजन महापात्र आज न केवल सजावटी मछलियों का व्यवसाय कर रहे हैं, बल्कि उनके फार्म पर ओडिशा के पहले ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल की शुरूआत की गई है, जहां पर दूसरे लोगों को भी मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

ओडिशा के कटक जिले में आनंदपुर गांव के रहने वाले राजेश रंजन महापात्र (42 वर्ष) ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग की शुरूआत के बारे में गांव कनेक्शन से बताते हैं, "पहले मैं एक्वेरियम में मछलियां पालता था, कई साल तक प्राइवेट कंपनियों में जॉब भी की, मुझे लगा कि मछलियों को व्यवसाय शुरू करना चाहिए। साल 2007 में जॉब छोड़कर अपने गांव में मछलियों को पालने लगा"

राजेश आज पांच एकड़ में मछली पालन कर रहे हैं। फोटो: अरेंजमेंट

वो आगे कहते हैं, "जब मैंने शुरूआत की तो ओडिशा में इसका उतना चलन नहीं था, तब सिफा (CIFA) के डायरेक्टर सरोज सर सीनियर साइंटिस्ट थे, वो शुरू से मदद करते रहे, मेंटली बहुत सपोर्ट किया। कई साल तक गांव में ही करने के बाद 2017-18 में लगा कि इस छोटी सी जगह से काम बढ़ाना चाहिए, तब गाँव में बहुत जमीन ढूंढी लेकिन मिली नहीं, तब हम हमने घर से 40 किमी दूर पांच एकड़ जमीन खरीदी।"

राजेश ने कटक जिले के तंगी चौद्वार ब्लॉक के कोचिला नौगांव में पांच एकड़ जमीन खरीदकर वहां फार्म डेवलप किया। राजेश बताते हैं, "कई महीनों बाद फार्म तैयार हो गया। अब तो पूरे ओडिशा से लोग मुझसे जानकारी लेते रहते हैं, लॉकडाउन में तो कई लड़कों ने अपना काम भी शुरू कर दिया है।"

शुरूआत में मार्केटिंग में आयी दिक्कत, आज फार्म पर ही बिक जाती हैं मछलियां

ओडिशा में रंगीन मछलियों का कारोबार शुरू करने पर पहले राजेश को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि ज्यादातर रंगीन मछलियां कोलकाता में तैयार होती हैं, वहीं से पूरे देश में सप्लाई होती हैं।

राजेश बताते हैं, "शुरू में परेशानी हुई कि यहां के दुकान मुझसे मछलियां लेना ही नहीं चाहते थे, वो चाहते थे कि वो बाहर से ही मंगा कर बेचते रहे हैं। उनको भी यह भी लगता था कि अच्छी मछलियां सिर्फ कोलकाता में ही तैयार होती हैं, तब मैंने थोक दुकानदारों के बजाए छोटे-छोटे दुकानदारों को जोड़ा, आज पूरे ओडिशा में आज हमारे यहां मछलियां जा रही हैं। बहुत से लोग यही से लेकर आकर ले जाते हैं।"

भारत में पिछले कुछ सालों में रंगीन मछलियों का बाजार तेजी से बढ़ा है। फोटो: पिक्साबे

राजेश की मदद से 15 किसानों ने शुरू किया है मछली पालन

राजेश से जानकारी लेकर 15 किसानों ने अपना ऑर्नामेंटल मछलियों का व्यवसाय शुरू कर दिया है।

हो जाती है 6 लाख से अधिक की कमाई

राजेश को साल भर में 6 लाख से अधिक की कमाई हो जाती है। राजेश कहते हैं, "मछलियों को तैयार करने में करीब दो लाख की लागत आयी थी, जबकि 6 लाख 50 हजार की आमदनी ही हुई थी, धीरे-धीरे आमदनी और भी बढ़ती जाएगी।"

केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर ने शुरू किया है ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल

केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान ने राजेश के फार्म पर ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल की शुरूआत की है। केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सरोज कुमार स्वाईं गांव कनेक्शन से बताते हैं, "राजेश सिफा के साथ पिछले कई साल से जुड़े हुए हैं, थोड़ा-बहुत ब्रीडिंग कर रहे थे और साथ में नौकरी भी कर रहे थे, फिर हमने कहा कि सारी तकनीकी जानकारियां हम देंगे और जो भी मदद हो पाएगी हम करेंगे।"

4 सितंबर को केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सरोज कुमार स्वाईं, ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल के शुरूआत के दिन राजेश महापात्र को सम्मानित करते हुए।

वो आगे कहते हैं, "राजेश अपने घर से 30-40 किमी दूर जमीन खरीदकर वहां पर फार्म की शुरूआत की, उसे तैयार करने में 6-8 महीने लगे, पांच एकड़ जमीन में 100 से ज्यादा टैंक बनाए हैं। हमें लगा कि अगर यहां कि यहां पर एक्वाकल्चर स्कूल की शुरूआत की जाए तो यहां पर दूसरे लोगों को भी ट्रेनिंग मिल जाएगी। क्योंकि हम लोगों का हर एक किसान तक नहीं पहुंच पाते हैं तो हम ट्रेनर तैयार करते हैं जो दूसरे किसानों को प्रशिक्षित करेंगे। इसीलिए हमने सोचा कि राजेश के यहां पर इसे शुरू किया जाएगा।"

आदिवासी महिलाओं को भी दिया जाएगा प्रशिक्षण

ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल में जल्द ही आदिवासी महिलाओं को मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। डॉ स्वाईं बताते हैं, "यहां पर हम आदिवासी महिलाओं को भी तैयार करेंगे और मछली पालन का प्रशिक्षण देंगे और उन्हें सरकारी मदद भी दिलाएंगे। हम महिलाओं को टैंक और तकनीकी देंगे, यह महिलाएं महिलाओं का प्रोडक्शन करेंगी और सेल करने के लिए राजेश को दे देंगी। क्योंकि राजेश पहले से कर रहे हैं तो वो महिलाओं की मदद करेंगे। इसके साथ ही स्कूल में कोई भी आकर प्रशिक्षण ले सकता है।"

इससे पहले पश्चिम बंगाल के जलपाई गुड़ी में भी चल रहा है ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल

इससे पहले पश्चिम बंगाल के जलपाई गुड़ी में इसी तरह का स्कूल शुरू किया था, वहां पर भी एक किसान के मदद से शुरू किया गया है, जहां पर लोग प्रशिक्षण लेने लगे हैं।


प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आर्नामेंटल मछलियों को दिया जा रहा है बढ़ावा

अगर कोई ऑर्नामेंटल मछलियों का व्यवसाय शुरू करना चाहता है तो प्रधानमंत्री मत्स्य योजना की मदद से मछली पालन का व्यवसाय शुरू कर सकता है।

इस योजना के तहत कई छोटे-बड़े प्रोजेक्ट हैं। पहला प्रोजेक्ट बैकयार्ड सजावटी मछली पालन इकाई (समुद्री और मीठे पानी दोनों) है, जिसमें कुल तीन लाख की लागत आती है, योजना के तहत इसमें सामान्य वर्ग के लिए 40% (1.20 लाख) और महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के को 60% (1.80 लाख) की सब्सिडी मिलती है।

दूसरा मध्यम स्तर की सजावटी मछली पालन यूनिट (समुद्री और मीठे पानी की मछली) है, इसमें 8 लाख की लागत आती है, योजना के तहत इसमें सामान्य वर्ग के लिए 40% (3.20 लाख) और महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के को 60% (4.80लाख) की सब्सिडी मिलती है।

ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल की मदद से दूसरे लोगों को रंगीन मछलियों को पालने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

एकीकृत सजावटी मछली इकाई (ताजे पानी के लिए प्रजनन और पालन-पोषण मछली), इसमें 25 लाख की लागत आती है, योजना के तहत इसमें सामान्य वर्ग के लिए 40% (10 लाख) और महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के को 60% (15 लाख) की सब्सिडी मिलती है।

एकीकृत सजावटी मछली इकाई (समुद्री मछली के लिए प्रजनन और पालन), इसमें 30 लाख की लागत आती है, योजना के तहत इसमें सामान्य वर्ग के लिए 40% (12 लाख) और महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के को 60% (18 लाख) की सब्सिडी मिलती है।

मीठे पानी की स्थापना सजावटी मछली ब्रूड बैंक, इसमें 100 लाख की लागत आती है, योजना के तहत इसमें सामान्य वर्ग के लिए 40% (40 लाख) और महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के को 60% (60 लाख) की सब्सिडी मिलती है।

मनोरंजक मात्स्यिकी को बढ़ावा देना, इसमें 50 लाख की लागत आती है, योजना के तहत इसमें सामान्य वर्ग के लिए 40% (20 लाख) और महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के को 60% (30 लाख) की सब्सिडी मिलती है।

ornamental fish CIFA #Odisha #fish farming #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.