पशुपालकों के लिए वरदान जैसे हैं पशु आरोग्य मेले

Diti BajpaiDiti Bajpai   11 March 2018 6:39 PM GMT

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पशुपालकों के लिए वरदान जैसे हैं पशु आरोग्य मेलेपशु आरोग्य मेले में निशुल्क दवा लेते पशुपालक। 

रतीराम कुमार (45 वर्ष) की गाय बहुत समय से बांझपन की समस्या से जूझ रही थी, उनको नहीं पता था इसका इलाज संभव है। अपनी गाय का इलाज कराने के बाद अब वह काफी खुश है उनका कहना है कि वो फिर से दूध सकेगी।

प्रदेश सरकार द्वारा लग रहे पशु मेले में रतीराम अपनी गाये को लेकर आए थे। लखनऊ जिले से करीब 20 किलो मीटर दूर जुग्गौर ग्राम सभा में रतीराम अपने परिवार के साथ रहते है। उनके पास दो भैंसे और एक गाय है। पशुपालकों को पशु संबधी जानकारी और इलाज के लिए प्रदेश में वृहद स्तर पर पशु मेलों के आयोजन किया जा रहा है। इन मेलों में बांझपन चिकित्सा, दवाई वितरण, लघु शल्य चिकित्सा और कीटनाशक दवा वितरण, पशु बधियाकरण और टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान और गर्भ परीक्षण पालतू पशुओ में एंटी रैबीज टीकाकरण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन पर उत्तर प्रदेश में चलाए जा रहे इस मेले का उद्देश्य किसानों को लाभ देना है।

"इन मेलों में अब तक लाखों पशुओं को इलाज किया जा चुका है। यह मेले मंडल स्तरीय और न्याय पंचायत स्तर पर लग रहे है। जहां-जहां मेलों को आयोजन किया जा रहा है वहां पहले सर्वे कराया जाता है, ताकि जो बीमार पशु है उनका इलाज हो सके। एक दिन में लगभग तीन हजार से ज्यादा पशु रजिस्टर्ड हो रहे है।" ऐसा बताते हैं, उपनिदेशक डॉ. अरविंद कुमार सिंह।

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इस मेले से पशुपालकों को होने वाले लाभ के बारे में डॉ. अरविंद बताते हैं, "एक ही जगह पशुओं को कई तरह जानकारी, निशुल्क इलाज और दवा मिल रही है, जिससे पशुपालकों को फायदा हो रहा है। इन मेलों के द्वारा पशुपालको में अच्छे जानवर पालने की जागरूकता आएगी। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए यह मेला बहुत ही उपयोगी है।"

19वीं पशुगणना के अनुसार के उत्तर प्रदेश में 205.66 लाख गोवंशीय, 306.25 लाख महिषवंशीय, 13.54 लाख भेड़, 155.86 लाख बकरी, 13.34 लाख सूकर और 186.68 लाख (कुक्कुट) है। प्रदेश के 70 प्रतिशत लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों द्वारा पशुपालन व्यवसाय किया जा रहा है। पशुधन के माध्यम से देश की सकल घरेलू उत्पादन में लगभग नौ प्रतिशत का सीधा योगदान है।

प्रदेश में सबसे पहले यह मेला 23 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किया था। उन्होंने कार्यक्रम में कहा था कि "उत्तर प्रदेश सरकार पूरे राज्य में यह मेला लगाएगी और इसके जरिए हमारा गरीब किसान जो पशु की देखभाल करने में कभी-कभी संकोच करता है, आर्थिक कारणों से कभी-कभी वह कर नहीं पाता है, इसलिए ऐसे किसानों को पशुधन सेवा से बहुत बड़ी राहत होगी। आने वाले दिनों में हमारे पशु पालकों के लिए बहुत उत्तम सुविधा और सेवा होगी।"

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रायबरेली जिले के टिकारी ब्लॉक में लगे मेले में आए सरोज सिंह बताते हैं, "हमारी भैंस को फोड़ा हो गया था बहुत इलाज कराए सही नहीं हुआ। अब यहां डॉक्टर ने ऑपरेशन किया और दवा लिखी है। मिनिरल मिक्चर और कैल्शियम भी मिला है। अगर ये मेला महीने में एक बार लग जाए तो बहुत आसानी होगी सब लोग एक ही जगह मिल जाते है।"

इस मेले में न सिर्फ पशुओं का फ्री इलाज हो रहा है बल्कि मौके पर गाय और भैंस जैसे दुधारू पशुओं का किसान बीमा भी किसान करवा रहे है।दूध देने वाली गाय का चार हजार रुपये प्रति लीटर के हिसाब से 60 हजार रुपये तक का बीमा होगा। वहीं छह हजार रुपये प्रति लीटर के हिसाब से भैंस का भी अधिकतम 60 हजार रुपये का बीमा करवाए जाने की सुविधा मेलों में मुहैया करवाई जा रही है।

पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश के रोग एंव प्रक्षेत्र निदेशक डॉ ए. एन. सिंह बताते हैं, "पशुपालकों के लिए यह मेला काफी उपयोगी साबित हो रहे है। जहां पर भी मेले का आयोजन किया रहा है। वहां बड़ी संख्या में लोग भाग ले रहे है और इलाज करा रहे है। यह मेला हर साल लगवाया जाएगा। भारत सरकार के बजट से पूरे प्रदेश में मेला के आयोजन किया जा रहा है। इस मेले पशुपालकों को मुफ्त दवा, मिनिरल मिक्चर, कृमि नाशक दवाएं दी जा रही है। साथ बीमारियों के बारे में पशुपालक खुद जान रहे। पशुओं को बीमारी से कैसे बचाया जाए और उत्पादन कैसे बढ़ें इसके बारे में भी जागरुक किया जा रहा है।"

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चिनहट के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश कुमार गौतम बताते हैं, "पशुओं के लिए आहार सबसे महत्वपूर्ण है। उसके लिए किसानों को बताया जा रहा है कि पशुओं के किस तरह का आहार दें जिससे उनके दूध में फैट की मात्रा बढ़ सके इसके अलावा मौसम में हो रहे बदलाव में पशुओं का ध्यान किस जरह रखें इसके बारे में जानकारी दी जारी है। पशु आहार और मिनिरल मिक्चर मेलों में नि:शुल्क बांटे भी जा रहे है।"

              

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