FIFA U-17 World Cup : खेल के जरिए खोई बहनों को खोजना चाहती है ये लड़की, प्रधानमंत्री से लगाएगी गुहार

Neetu SinghNeetu Singh   5 Oct 2017 7:41 PM GMT

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FIFA U-17 World Cup : खेल के जरिए खोई बहनों को खोजना चाहती है ये लड़की, प्रधानमंत्री से लगाएगी गुहारअपनी बिछड़ी बहनों को खोजकर 17 वर्षीय काजल उन्हें रखना चाहती है अपने पास।

लखनऊ। काजल अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप देखने दिल्ली पहुंच गयी है। काजल को 'मिशन इलेवन मिलियन' के तहत ये मौका मिला है। लेकिन वो दिल्ली कुछ और भी सपने लेकर गयी है। वो इस बहाने अपनी बहनों तक पहुंचना चाहती है जो उनसे वर्षों पहले बिछड़ चुकी हैं। प्रधानमंत्री से मिलकर उनसे भी मदद की गुहार लगाने की दिली इच्छा है।

महिला एवम बाल विकास कल्याण विभाग लखनऊ, द्वारा संचालित राजकीय बाल गृह (बालिका) मोतीनगर में रहने वाली काजल दसवीं की छात्रा है। काजल की आँखों में आंसू थे पर आत्मविश्वास भी अडिग था। उसने बड़ी गम्भीरता से कहा, “मुझे भरोसा है कि मेरी खोई हुई दोनों बहनें एक न एक दिन जरूर मिलेंगी। मैं फुटबॉल इसलिए खेलना चाहती हूँ क्योंकि मुझे लगता है खेल के माध्यम से हमें कई जगहों पर जाने का मौका मिलेगा, हो सकता है मैं कभी उस स्टेशन पर पहुंच पांऊं, जहाँ पर मेरी बहनें मुझसे बिछड़ गई थीं।” उसने कहा, “मैं अपनी बहनों को बहुत याद करती हूँ, उम्मीद करती हूं, वो जहाँ भी होंगी, अच्छी होंगी। जब मैं और बड़ी हो जाऊँगी तो उन्हें जरूर खोजूंगी। ये मरा सपना तभी पूरा हो सकता है जब मैं एक अच्छी खिलाड़ी बनूंगी।”

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छह अक्टूबर को भारत में फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप की शुरुआत दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में होगी जिसमें दुनिया भर की 24 टीमें खिताब के लिए आपस में टकराएंगी। इन्हें छह ग्रुप में बांटा गया है, ये 52 मैच छह शहर (नई दिल्ली, नवी मुंबई, गोवा, कोच्चि, गुवाहाटी, कोलकाता) में खेले जाएंगे। छह अक्टूबर को भारत का पहला मुकाबला अमेरिका के खिलाफ होगा।

यूथ मिनिस्ट्री मिशन इलेवन मिलियन की लखनऊ स्टेट कोआर्डिनेटर श्वेता अरोरा ने बताया, “काजल लखनऊ से पांच मिलियन को पूरा करने वाली बच्ची है। एक से लेकर 11 मिलियन कम्प्लीट करने वाले 11 मिलियन बच्चों को पूरे देश से चुना गया है, छह अक्टूबर को फीफा वर्ल्ड कप की ओपनिंग है उस दिन इन बच्चों को प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिलेगा।”

बालिका गृह में खड़ी काजल

काजल बचपन में अपनी तीन बहनों और पापा के साथ गुवाहाटी से ट्रेन से कहीं जा रही थी। पर काजल को शायद इस बात का अंदाजा नहीं था कि अगले ही पल वो अपने पिता और बहनों से बिछड़ जाएगी। काजल उस पल को यादकर मायूस हो जाती है और कहती है “उस समय मैं कितने साल की थी ये मुझे नहीं पता है, एक दिन मम्मी पापा की आपस में लड़ाई हुई और मम्मी ने आग लगा ली, वो बच नहीं पायीं, मम्मी के न रहने के कुछ दिन बाद पापा हम चारों को लेकर कहीं जा रहे थे, ट्रेन से उतरकर पापा पानी भरने गए उसी समय ट्रेन चल दी, हम चारों उसी ट्रेन के डिब्बे में रह गये।”

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अगले स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी तो काजल अपनी बहनों के साथ उतर गयी। उस समय काजल को लगा पापा तक पहुंचने के लिए उसे दूसरी ट्रेन में बैठना होगा। दूसरी ट्रेन में काजल अपनी सबसे छोटी बहन को लेकर पहले ट्रेन में चढ़ गयी, उसकी दो छोटी बहनें पूजा और पुचकी नवादा प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी थी। काजल के ट्रेन में चढ़ते ही ट्रेन चल दी। अगले स्टेशन पर ट्रेन रुकेगी और वो वापस नवादा स्टेशन अपनी बहनों के पास पहुंचेगी ये सोचकर कई दिनों तक भूखी प्यासी काजल अपनी छोटी बहन को गोद लिए एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन उतरती गयी और दूसरी कई ट्रेनें बदलती गयी। पर वो उस निवादा स्टेशन दोबारा कभी नहीं पहुंच पायी।

बालिका गृह की शिक्षका प्रगति खरे जिनके साथ काजल दिल्ली गयी है। उन्होंने कहा, “जब यहाँ के बच्चों को ऐसी जगहों पर जाने का मौका मिलता तो हमें बहुत खुशी होती है, क्योंकि ये बच्चे अपनों से दूर होते हैं, इन्हें अपनों का प्यार नहीं मिलता है अगर इन्हें इस तरह के मौके मिलते हैं तो ये खुश हो जाते हैं।” वो आगे बताती हैं, “जब भी खेल की बात आती है तो काजल का नाम सबसे पहले आता है, ये खेल के साथ ही अनुशासित भी बहुत है, हर काम को आगे आकर करना इसकी पहचान है, सभी के साथ मिलकर काम करती है और किसी भी रोने नहीं देती है।”

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बिछड़ी हुई काजल अपनी छोटी बहन को गोद लिए भटकते-भटकते लखनऊ पहुंच गई। काजल बताती हैं “मैं ट्रेन बदलते-बदलते लखनऊ पहुंच गयी, एक चाय की दुकान पर बर्तन धुलकर अपनी छोटी बहन के लिए एक गिलास दूध माँगा, उसी समय एक गोरी दीदी मिली जो मुझे शिशु गृह ले गयी, मेरी छोटी बहन मेरे साथ सिर्फ एक महीने ही रह पायी फिर वो बीमार होकर मर गयी।” उसने अपने आप को सम्भालते हुए कहा, “सातवीं तक यहाँ पढ़ाई करने के बाद मुझे वापस मेरे गाँव भेजा गया, श्मसान घाट, कामख्या मन्दिर और जंगल ये कुछ ही चीजें मुझे अपने घर तक पहुंचने के लिए याद थीं, हमारा घर टूट गया था, पापा मर चुके थे, वहां की भाषा मुझे समझ नहीं आ रही थी, इसलिए मै वापस लखनऊ आ गयी।”

अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप देखने काजल अपनी शिक्षिका प्रगति खरे के साथ दिल्ली गयी है

काजल को वालीबॉल, हैण्डबॉल, लैक क्रिकेट, राउंडर्स खेल बहुत हैं। काजल प्रधानमंत्री से मिलकर क्या कहना चाहेगी इस सवाल के जवाब में उसने कहा, “हमारे जैसे बच्चों को पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिलती है, हमारा अपना कोई नहीं होता है, हम अपने पैरों पर खड़े हो सकें इसके लिए हमें ऐसी ट्रेनिंग दी जाए जिससे हम नौकरी कर सके, बस इतना ही कहूंगी।” वो आगे बताती हैं, “पहली बार ऐसी खबर मिली कि मुझे प्रधानमंत्री जी से मिलने का मौका मिल रहा है, न ही खुश हूँ न ही दुखी हूँ, जैसी थी वैसी ही हूँ, मुझे खुद भी समझ नहीं आ रहा है ये सब कैसे हो गया, बस इतना जानती हूँ कि फुटबॉल खेलकर एक दिन अपनी बहनों को जरूर खोज लूंगी।”

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