बड़ी-बड़ी कंपनियों को चुनौती देता एक शख़्स

Bidyut Majumdar | Apr 11, 2018, 11:08 IST
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बीते दो दशकों में भारत में गाड़ियों की संख्या में बेतहाशा बढ़त हुई है। सिर्फ दिल्ली मुंबई या बैंगलोर ही नहीं छोटे कस्बे और गांवों में भी हर चौथे शख्स के पास कम से कम मोटर साइकिल तो है ही। बड़े शहरों में कार या मोटर साइकल के पंक्चर हो जाने पर उसे सुधारने के लिए कई बड़ी कंपनियां बाज़ार में उतर आई हैं जो सालाना एक तय रकम लेकर, किसी भी वक्त गाड़ी के खराब होने या पंक्चर होने पर आपकी बताई हुई जगह पर पहुंच जाती हैं।

हालांकि छोटे कस्बों और गांव में अभी ये कंपनियां सक्रिय नहीं है लेकिन इसी दिशा में मध्यप्रदेश के शहर इंदौर के रहने वाले फिरोज़ खान ने एक नई पहल की है। बिना किसी बड़ी लागत और जटिल बिज़नेस मॉडल के वो चलती-फिरती पंक्चर बनाने की दुकान चला रहे हैं। अपनी मोटरसाइकिल को ही उन्होनें पक्चर बनाने की दुकान में बदल लिया है।

दिन हो या रात, इंदौर के किसी भी इलाके से उन्हें कोई भी शख्स कॉल कर सकता है और फिरोज़ अपनी 'मोटरसाइकल कम पंक्चर की दुकान' लिए उस शख्स की मदद करने पहुंच जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि हाइवे वगैरह पर कार या मोटरसाइकल पंक्चर होने पर मुसाफिर परेशान हो जाते हैं, ऐसे मुसाफिरों के लिए फिरोज़ खान मददगार साबित होते हैं।

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फिरोज़ खान अपनी चलती फिरती दुकान के साथ

कैसे शुरु हुई मोबाइल पंक्चर शॉप?

फ़िरोज़ खान कई सालों से पंक्चर की दुकान चलाते थे और इसी से उनकी ज़िंदगी का गुज़ारा होता था लेकिन साल 2015 में जब उज्जैन में मेला लगा तो फिरोज़ ने देखा कि मेले में आने-जाने वाले लोग गाड़ियों के पंक्चर होने से काफी परेशान हो जाते थे। उसी मेले में उन्होंने ये मोबाइल पंक्चर शॉप शुरु की, हालांकि उस वक्त ये सेवा सिर्फ उज्जैन मेले के लिए थी, लेकिन धीरे-धीरे मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने का ये काम पूरे इंदौर में फैल गया।

आज फिरोज़ पूरे इंदौर में मोबाइल पंक्चर शॉप चलाते हैं। वो बताते हैं, "अक्सर देर रात मेरे पास कॉल आती है जिसमें गाड़ी पंक्चर होने की वजह से कोई किसी हाइवे पर फंसा होता है तो कोई किसी और सड़क पर, सौ में से 99 बार मैं मदद के लिए जाता हूं"। फिरोज़ खान को मौजूदा वक्त में तमाम लोग जानते हैं उनकी मीठी ज़बान और मदद करने की ख्वाहिश को तमाम लोग पसंद करते हैं। उनकी इस चलती फिरती दुकान की इंदौर पुलिस भी इज़्ज़त करती है क्योंकि किसी गाड़ी के पंक्चर होने से, सड़क पर लगे ट्रैफिक जैम को हटाने के लिए अक्सर फिरोज़ की मदद लेती है।

मोटर साइकिल को बना दिया दुकान

बेटी को पापा पर गर्व है

फिरोज़ खान की एक बेटी है। नाम है अलीना जो पांचवी में पढ़ती है। अलीना अपने पापा के काम के बारे में ज़्यादा तो नहीं जानती लेकिन वो इतना समझती है कि जब कोई किसी परेशानी में फंस जाता है तो वो पापा उसकी मदद करते हैं।

वो अपने पापा को किसी सुपर हीरो से कम नहीं समझती। न सिर्फ अलीना बल्कि फिरोज़ की दुकान के पास में कारोबार करने वाले विजय बताते हैं, "फिरोज़ भाई का काम बेहद शानदार है, शहर में काफी लोग उन्हें जानते हैं, हालांकि कभी कोई सरकारी मदद तो नही मिली लेकिन शहर के सभी लोग उन्हें प्रोत्साहित करते हैं" विजय बताते हैं कि सोशल मीडिया पर उनकी चलती फिरती दुकान की तस्वीर कई बार वायरल हो चुकी है, जिसके अक्सर उन्हें इंदौर के बाहर से भी कई बार लोग फोन करते हैं तब फिरोज़ उन्हें बताते हैं कि वो सिर्फ इंदौर में ही काम करते हैं।

चलती फिरती दुकान फिरोज़ की चलती फिरती पंक्चर शॉप इस वक्त पूरे इंदौर में जानी जाती है। वो हर विज़ित के सौ रुपये लेते हैं चाहे पंक्चर मोटर साइकल का हो या फिर कार का। दिन हो या रात अगर फिरोज़ के पास कॉल आती है और उन्हें लगता है कि कोई वाकई परेशान है और मुसीबत में फंसा है तो वो जल्द से जल्द उसके पास पहुंचते हैं और मदद करते हैं।

जो सर्विस फ़िरोज़ दे रहे हैं, यही सेवा बड़ी-बड़ी कंपनियों भी दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर वगैरह में बड़े टीम-झाम के साथ देती है और मुसीबत में फंसे शख्स से ज़्यादा पैसे वसूलती हैं, फिरोज़ अपनी छोटी सी कोशिश से ऐसी तमाम बड़ी बड़ी कंपनियों को ख़ामोशी से चुनौती दे रहे हैं।

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