किताबें, एंड्रॉइड टीवी, कम्प्यूटर और इंटरनेट से लैस कर्नाटक के ग्रामीण पुस्तकालयों के जरिए लिखी जा रहीं बदलाव की कहानियां

जब महामारी की वजह से स्कूल बंद कर दिए गए, उस समय कर्नाटक सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक पुस्तकालयों में सुधार के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया। राज्य के 1.8 मिलियन से ज्यादा छात्रों को इन ग्रामीण पुस्तकालयों में मुफ्त सदस्यता प्राप्त है जो नवीन तकनीक से लैस हैं।

Pratyaksh SrivastavaPratyaksh Srivastava   20 July 2022 7:17 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
किताबें, एंड्रॉइड टीवी, कम्प्यूटर और इंटरनेट से लैस कर्नाटक के ग्रामीण पुस्तकालयों के जरिए लिखी जा रहीं बदलाव की कहानियां

इन पुस्तकालयों में हुए सुधार की उन छात्रों ने भी सराहना की जो सीखने के माहौल में मौलिक रूप से सकारात्मक बदलावों को महसूस कर रहे हैं। सभी फोटो: अरेंजमेंट

'तमसो मा ज्योतिर्गमय' - संस्कृत में इसका अर्थ है 'अंधकार से प्रकाश की ओर चलो, बढ़ो'।

कर्नाटक ग्रामीण पुस्तकालय ग्रामीण बच्चों के जीवन को रोशन कर रहे हैं। जो कभी खराब और सुनसान इमारतें हुआ करती थीं, जिनमें टूटी और धूल भरी किताबों की अलमारियां थीं। जहां अब चमकीले रंग के फर्नीचर, इंटरनेट कनेक्शन वाले कंप्यूटर और कहानियों की सैकड़ों किताबें रखी गई हैं।

पिछले एक साल में, कर्नाटक में ग्रामीण पुस्तकालयों को आधुनिक शिक्षा केंद्रों में बदल दिया गया है और हाल ही में, केंद्र सरकार ने भी इन केंद्रों पर ध्यान दिया है और देश के दूसरे राज्यों की सरकारों से अपने राज्यों के सार्वजनिक पुस्तकालयों में समान परिवर्तन करने के लिए कहा है।

6 जुलाई को एक आधिकारिक पत्र में, केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव, आलोक प्रेम नागर ने लिखा है कि 'कर्नाटक राज्य की पहल अन्य राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को अपनाने के लायक हैं।


इन पुस्तकालयों में हुए सुधार की उन छात्रों ने भी सराहना की जो सीखने के माहौल में मौलिक रूप से सकारात्मक बदलावों को महसूस कर रहे हैं।

यादगीर जिले के अब्बेतुमकुर में कर्नाटक के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में आठवीं कक्षा के छात्र युवराज ने गाँव कनेक्शन को बताया, "हम यहां सिर्फ किताबें या अखबार ही नहीं पढ़ते हैं, हम नई नई चीजें सीखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का भी इस्तेमाल करते हैं।" छात्र आगे बताया, "क्ले मॉडलिंग, एंकरिंग, कोडिंग और इंटरनेट ब्राउजिंग से हमें नए कौशल सीखने को मिलते हैं जो न केवल हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं बल्कि मुझे खुश भी करते हैं। मैं इन सब के लिए लाइब्रेरियन और अपने शिक्षकों को धन्यवाद देना चाहता हूं।"

कुल 5 हजार 6 सौ 23 सार्वजनिक पुस्तकालयों को पुनर्जीवित करने की परियोजना मार्च, 2019 में शुरू हुई जब राज्य सरकार के ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग से इन सार्वजनिक पुस्तकालयों की बागडोर अपने हाथ में ले ली। ये सार्वजनिक पुस्तकालय राज्य में ग्राम पंचायतों में स्थित हैं।

ग्रामीण पुस्तकालयों में सुधार के लिए, 3,000 से अधिक पुस्तकालयों को फर्नीचर, बच्चों के अनुकूल मोरल्स, बीन बैग, इनडोर प्लांट, शतरंज सेट से लैस किया गया है। साथ ही 2,600 पुस्तकालयों को कंप्यूटर और इंटरनेट से लैस किया गया है, और बाकी इस साल किया जाएगा। साथ ही, 1300 पुस्तकालय ऑनलाइन सीखने के लिए एंड्रॉइड टीवी और डिजिटल उपकरणों से लैस हैं।


अब तक, कर्नाटक में कुल 18 लाख 5 हजार 7 सौ 8 स्कूली छात्रों ने इन ग्रामीण पुस्तकालयों की मुफ्त सदस्यता प्राप्त की है।

इन पुस्तकालयों को दोबारा जीवित करने की बात करते हुए राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग की प्रमुख सचिव उमा महादेवन ने गांव कनेक्शन को बताया कि ये ग्रामीण पुस्तकालय सिर्फ एक तामझाम या एक्सट्रा ऐड-ऑन नहीं हैं, बल्कि समाज के बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

वरिष्ठ नौकरशाह ने बताया, "ग्रामीण छात्रों के लिए, वे सीखने की जगह हैं। हमें खुशी है कि पिछले डेढ़ साल में 18 लाख ग्रामीण बच्चों को मुफ्त में पुस्तकालय सदस्य के रूप में नामांकित किया गया है।" उन्होंने बताया, "इसके अलावा, दान के माध्यम से 11 लाख से अधिक किताबें इकट्ठा की गई हैं, जिससे यह एक सार्वजनिक आंदोलन बन गया है। और पुस्तकालयों में इंटरनेट के साथ कंप्यूटर रखने से ग्रामीण बच्चों के लिए ऑनलाइन संसाधनों तक पहुंच मुमकिन हो गई है।"

महादेवन ने प्रकाश डाला, "हम ग्रामीण समुदायों को गार्डन लाइब्रेरी, टेरेस लाइब्रेरी, करियर मार्गदर्शन कक्षाओं, भाषा कक्षाओं आदि के साथ आगे बढ़ते हुए देखकर खुश हैं। ग्रामीण पुस्तकालय परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली स्तंभ हो सकते हैं।"

पुस्तकालयों में सुधार के अलावा, पुस्तकालय पर्यवेक्षकों का वेतन भी 7,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है, जबकि पुस्तकालय के काम के समय को चार घण्टे से बढ़ाकर छह घंटे कर दिया गया है।

ओडुवा बेलाकू: पढ़ने की रोशनी

कर्नाटक में सार्वजनिक पुस्तकालयों के पुनर्जीवित पर आधिकारिक नोट में उल्लेख किया गया है कि COVID-19 के मद्देनजर, स्कूलों को महीनों तक बंद करने के लिए मजबूर किया गया था।

यह भी कहा कहा गया,"ग्रामीण बच्चों को पढ़ाई से जुड़े रहने के लिए एक रास्ता चाहिए था। 'ओडुवा बेलाकू' (पढ़ने की रोशनी) पूरे कर्नाटक में ग्रामीण सार्वजनिक पुस्तकालयों को पुनर्जीवित करने, बच्चों को पढ़ाई से जुड़े रहने में मदद करने और समुदायों में पुस्तकालय संस्कृति का निर्माण करने के लिए एक कार्यक्रम के शक्ल में शुरू हुआ।"


इन ग्रामीण पुस्तकालयों को कई चरणों में सुधार के लिए लिया गया था।

उन्होंने कहा,"कई ग्राम पंचायतों को नए स्थान दिए गए हैं, और कुछ को नए भवन मिले हैं। ज्यादातर पुस्तकालयों को बिजली के कनेक्शन, बुक रैक, फर्नीचर, पढ़ने के कमरे या बालकनी, छात्रों के लिए अध्ययन डेस्क, कुर्सी और वरिष्ठों के लिए गार्डन बेंच मिले हैं। आकर्षक मोरल चित्रों की पेंटिंग पुस्तकालय भवनों की दीवारों पर की गयी है।"

सभी के लिए, नि:शुल्क लाइब्रेरी

पुनरूद्धार परियोजना के तहत पुस्तकालय की सदस्यता निःशुल्क की गई। ग्रामीण विकास विभाग की प्रेजेंटेशन में उल्लेख किया गया है, "इसके बाद चंद महीनों में, दस लाख ग्रामीण बच्चों ने नामांकन किया। उन्हें पुस्तकालय सदस्यता कार्ड दिए गए हैं ताकि वे पढ़ने के लिए एक किताब घर ले जा सकें।"

यह सूचित करने के लिए बताया गया, "कई ग्रामीण पुस्तकालयों को नई जगह दी गई थी और कुछ को नए भवन, बिजली के कनेक्शन, किताबों की रैक, फर्नीचर, पढ़ने के कमरे या बालकनी, छात्रों के लिए अध्ययन डेस्क, कुर्सी और वरिष्ठों के लिए गार्डन बेंच मिलीं।"

पुस्तकालय का डिजिटलीकरण

पुस्तकालयों में पुस्तकों के भंडार और संदर्भ पठन सामग्री को अपडेट करने के अलावा, इन पुस्तकालयों में डिजिटल ढांचे को बढ़ाने का भी प्रावधान किया गया है।

परियोजना की प्रेजेंटेशन में उल्लेख है,"न्यूनतम डिजिटल बुनियादी ढांचे को जोड़ने की सिफारिश की गई थी जिसमें न्यूनतम दो कंप्यूटरों के साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रावधान (1-2 किलोवोल्ट); इंटरनेट सुविधा - वाईफाई, राउटर, मॉडेम, और सार्वजनिक पुस्तकालय विभाग द्वारा विकसित कर्नाटक डिजिटल पब्लिक लाइब्रेरी पोर्टल तक पहुंच शामिल है।"

कर्नाटक के पुस्तकालय विभाग का डिजिटल पुस्तकालय के पास 25,011,312 पंजीकृत सदस्य और 2,180,638 ई-सामग्री है।

"लाइब्रेरी विभाग का डिजिटल लाइब्रेरी बनाने का निर्णय फरवरी 2020 में पहली डिजिटल लाइब्रेरी के उद्घाटन के साथ पूरा हो गया। दो साल की अवधि में कर्नाटक में चरणबद्ध तरीके से 372 सार्वजनिक पुस्तकालयों को डिजिटल पुस्तकालयों में बदल दिया गया। डिजिटल पुस्तकालय जिसमें 2021 में लगभग 92 लाख सदस्य और 20 लाख ई-बुक्स थीं तेजी से विस्तार हो रहा है।"

#Odisha rural libraries Online Education #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.