साइकिल चला कर तो देखिए आपकी कई समस्या ख़त्म हो जाएगी
Dr K C Naithani | Jun 03, 2023, 06:31 IST
आज विश्व साइकिल दिवस है। इस मौके पर दिल्ली - एनसीआर में मैक्स अस्पताल के निदेशक और प्रवासी भारतीयों के संगठन आईएमएफएफ में विश्व स्वास्थ्य योजनाओं के प्रमुख बता रहे हैं सबके लिए क्यों ज़रूरी है चलाना साइकिल।
सड़क किनारे, बस, टैक्सी स्टैंड या मेट्रो स्टेशन के पास अगर साइकिल कियॉस्क नज़र आ जाए तो चौकिएगा नहीं। ये अब हर स्मार्ट सिटी की पहली पहचान है। लेकिन ज़्यादातर शहरों या देश में इनके बगल से गुजरते लोग इसे देखने के चंद मिनटों बाद अपनी गाड़ी या टैक्सी में बैठ कर निकल जाते हैं।
सोचिये अगर वहाँ रखी साइकिल का हर कोई इस्तेमाल शुरू कर दे तो कैसा होगा? शहर का वातावरण तो बेहतर होगा ही अपनी सेहत भी फिट रहेगी।
दुनिया में कोई भी काम हम तभी कर सकते हैं जब सेहत अच्छी हो। आज की दौड़ भाग वाली ज़िंदगी में काम के साथ सेहत कैसे सही रहे और प्रदूषण भी कम हो सके इसे देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2018 में 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाना तय किया था। मकसद साफ़ था इस दिन के बहाने ही सही साइकिल के प्रति जागरूकता तो बढ़े। कहीं भी आने जाने का ये ऐसा साधन है जो हर जहग सुलभ है। अपने देश का कोई गाँव हो या यूरोप का कोई देश, इसकी ज़रूरत और फायदे अब हर कोई समझता और मानता है।
विश्व साइकिल दिवस के बहाने ही सही, अगर एक दिन भी मोटर बाइक की जगह साइकिल का हैंडल थाम लिया जाए तो क्या बुरा है। इससे कसरत तो होगी ही शहर का प्रदूषण कितना कम होगा? अब तो डॉक्टर भी कहते हैं पैर हाथ जाम है तो साइकिल चलाओ। अजीब बात ये है कि साइकिल चलती भी है तो इसलिए कि सवाल खुद की तंदरुस्ती का है।
अब ज़्यादातर शहरों में साइकिल को बढ़ावा देने के लिए सड़क किनारे साइकिल लेन तो बनाएं जाते हैं लेकिन वहाँ या तो रेहड़ी वाले सामान बेचते हैं या कचरे का ढ़ेर लगा होता है। दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता जैसे कई मेट्रो स्टेशनों के बाहर साइकिल स्टैंड भी बनाये गए हैं। साइकिल को बढ़ावा देने के लिए कई स्वयंसेवी संस्थओं ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से वहाँ साइकिल का इंतजाम भी किया है, लेकिन नतीजे बहुत खुश करने वाले नहीं है।
ये जानते हुए भी कि ये परिवहन का सबसे साफ़, टिकाऊ, किफायती होने के साथ सेहत के लिए टॉनिक के बराबर है बड़े शहरों में ज़्यादा कारगर नहीं हो पा रहा है। इसकी एक वज़ह है सड़कों पर ज़रूरत से अधिक गाड़ियाँ और उनसे सिमटती सड़कें। आज शहरों के चारों ओर चलने के लिए बुनियादी ढाँचे और सड़क सुरक्षा योजनाओं को विकसित करने की ज़रूरत है।
पेरिस (फ़्रांस) का एफिल टॉवर हो, बुएनोस एरेस (अर्जेंटीना) का पिंक हाउस या बीजिंग (चीन) का टेम्पल ऑफ़ हेवन आपको यहाँ साइकिल चलाते महिला पुरुष आसानी से दिख जाएँगे । नीदरलैंड में तो बड़े ओहदे पर बैठे लोग तक साइकिल से दफ़्तर चले जाते हैं। राजधानी एम्स्टर्डम में हरतरफ साइकिल नज़र आती है। डेनमार्क, जर्मनी, स्वीडन और नार्वे, चीन तो है ही। मॉरीशस और मलेशिया में भी साइकिल का महत्व लोग समझते हैं। बड़ी बात ये है कि जहाँ सम्पनता है वो इसके फ़ायदे को अब समझने लगे हैं।
किसी भी गाँव में साइकिल का जितना इस्तेमाल होता है और कहीं नहीं होता है। यही वजह है वहाँ के लोग शहरी लोगों की तुलना में अधिक तंदरुस्त रहते हैं। डायबटीज, जोड़ो का दर्द या सांस से जुड़ी तकलीफ़ का रोना कार और बाइक चलाने वालों का अधिक होता है।
साइकिल चलाने के दौरान दिल की धड़कन तेज हो जाती है, जो एक तरह से दिल के लिए क़सरत जैसा होता है। जानकार और अध्यन के अनुसार साइकिल चलाने से दिल और खून की नसों से जुड़ी (कार्डियोवैस्कुलर) बीमारी का ख़तरा कम किया जा सकता है। शोध में पाया गया है जो लोग कोई काम नहीं करते हैं, उनकी तुलना में साइकिल चलाने जैसी एक्टिविटी में हिस्सा लेने वाले लोगों का दिल बेहतर काम करता है।
बढ़ते वजन को कम करने में तो साइकिल बड़े काम की है। कैलोरी बर्न करने के लिए इसे ज़रूर चलाना चाहिए। इससे कितना वजन कम होगा ये दावा तो नहीं कर सकते हैं, चलाने वाले की क्षमता पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। लेकिन रिपोर्ट कहती हैं कि लगभग 6 महीन तक साइकिल चलाने से 12 फ़ीसदी वजन कम किया जा सकता है।
मधुमेह (डायबिटीज) के जोख़िम को कम करने के साथ मांसपेशियों को मज़बूत करने में तो ये राम बाण है। ऑस्टियोअर्थराइटिस (जोड़ों में सूजन) के लक्षण कम करने और इसकी रोकथाम में भी साइकिल चलाना फायदेमंद है। दरअसल साइकिलिंग एक एरोबिक एक्सरसाइज के तहत आती है। सबसे बड़ी बात इससे तनाव कम होता है। जानकार कहते हैं साइकिल किसी भी समय चलाना अच्छी बात है लेकिन सुबह ज़्यादा ठीक रहता है। क्योंकि शाम के मुकाबले सुबह के समय साइकिल चलाने से अधिक ऊर्जा की ख़पत होती है। अगर हज़ार या डेढ़ हज़ार साइकिल पर खर्च कर अच्छी सेहत और साफ़ हवा मिलती है तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है?
Also Read: क्या एक बार फिर से साइकिल का जमाना लौट रहा है?
सोचिये अगर वहाँ रखी साइकिल का हर कोई इस्तेमाल शुरू कर दे तो कैसा होगा? शहर का वातावरण तो बेहतर होगा ही अपनी सेहत भी फिट रहेगी।
दुनिया में कोई भी काम हम तभी कर सकते हैं जब सेहत अच्छी हो। आज की दौड़ भाग वाली ज़िंदगी में काम के साथ सेहत कैसे सही रहे और प्रदूषण भी कम हो सके इसे देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2018 में 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाना तय किया था। मकसद साफ़ था इस दिन के बहाने ही सही साइकिल के प्रति जागरूकता तो बढ़े। कहीं भी आने जाने का ये ऐसा साधन है जो हर जहग सुलभ है। अपने देश का कोई गाँव हो या यूरोप का कोई देश, इसकी ज़रूरत और फायदे अब हर कोई समझता और मानता है।
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विश्व साइकिल दिवस के बहाने ही सही, अगर एक दिन भी मोटर बाइक की जगह साइकिल का हैंडल थाम लिया जाए तो क्या बुरा है। इससे कसरत तो होगी ही शहर का प्रदूषण कितना कम होगा? अब तो डॉक्टर भी कहते हैं पैर हाथ जाम है तो साइकिल चलाओ। अजीब बात ये है कि साइकिल चलती भी है तो इसलिए कि सवाल खुद की तंदरुस्ती का है।
#WorldBicycleDay बचपन में दोस्तों के साथ साइकिल से पूरे गाँव के चक्कर लगाना, स्कूल से लौटते वक़्त रेस लगाना, और कई बार साइकिल पर कालाबाजी करते हुए पकड़े जाने पर घर पर डाँट खाना
आपको भी याद है ऐसा ही कोई किस्सा?#bicycleday #GaonRadio #GaonMoments #GaonConnectionTV pic.twitter.com/T4Ext4KFVQ
— GaonConnection (@GaonConnection) June 3, 2023
ये जानते हुए भी कि ये परिवहन का सबसे साफ़, टिकाऊ, किफायती होने के साथ सेहत के लिए टॉनिक के बराबर है बड़े शहरों में ज़्यादा कारगर नहीं हो पा रहा है। इसकी एक वज़ह है सड़कों पर ज़रूरत से अधिक गाड़ियाँ और उनसे सिमटती सड़कें। आज शहरों के चारों ओर चलने के लिए बुनियादी ढाँचे और सड़क सुरक्षा योजनाओं को विकसित करने की ज़रूरत है।
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पेरिस (फ़्रांस) का एफिल टॉवर हो, बुएनोस एरेस (अर्जेंटीना) का पिंक हाउस या बीजिंग (चीन) का टेम्पल ऑफ़ हेवन आपको यहाँ साइकिल चलाते महिला पुरुष आसानी से दिख जाएँगे । नीदरलैंड में तो बड़े ओहदे पर बैठे लोग तक साइकिल से दफ़्तर चले जाते हैं। राजधानी एम्स्टर्डम में हरतरफ साइकिल नज़र आती है। डेनमार्क, जर्मनी, स्वीडन और नार्वे, चीन तो है ही। मॉरीशस और मलेशिया में भी साइकिल का महत्व लोग समझते हैं। बड़ी बात ये है कि जहाँ सम्पनता है वो इसके फ़ायदे को अब समझने लगे हैं।
किसी भी गाँव में साइकिल का जितना इस्तेमाल होता है और कहीं नहीं होता है। यही वजह है वहाँ के लोग शहरी लोगों की तुलना में अधिक तंदरुस्त रहते हैं। डायबटीज, जोड़ो का दर्द या सांस से जुड़ी तकलीफ़ का रोना कार और बाइक चलाने वालों का अधिक होता है।
क्या है साइकिल चलाने के फ़ायदे?
बढ़ते वजन को कम करने में तो साइकिल बड़े काम की है। कैलोरी बर्न करने के लिए इसे ज़रूर चलाना चाहिए। इससे कितना वजन कम होगा ये दावा तो नहीं कर सकते हैं, चलाने वाले की क्षमता पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। लेकिन रिपोर्ट कहती हैं कि लगभग 6 महीन तक साइकिल चलाने से 12 फ़ीसदी वजन कम किया जा सकता है।
मधुमेह (डायबिटीज) के जोख़िम को कम करने के साथ मांसपेशियों को मज़बूत करने में तो ये राम बाण है। ऑस्टियोअर्थराइटिस (जोड़ों में सूजन) के लक्षण कम करने और इसकी रोकथाम में भी साइकिल चलाना फायदेमंद है। दरअसल साइकिलिंग एक एरोबिक एक्सरसाइज के तहत आती है। सबसे बड़ी बात इससे तनाव कम होता है। जानकार कहते हैं साइकिल किसी भी समय चलाना अच्छी बात है लेकिन सुबह ज़्यादा ठीक रहता है। क्योंकि शाम के मुकाबले सुबह के समय साइकिल चलाने से अधिक ऊर्जा की ख़पत होती है। अगर हज़ार या डेढ़ हज़ार साइकिल पर खर्च कर अच्छी सेहत और साफ़ हवा मिलती है तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है?
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