पेट्रोल पंपों पर लगेंगे इलेक्ट्रानिक फ्लो मीटर, नहीं हो सकेगी चोरी

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पेट्रोल पंपों पर लगेंगे इलेक्ट्रानिक फ्लो मीटर, नहीं हो सकेगी चोरीप्रतीकात्मक तस्वीर।

लखनऊ। उपभोक्ताओं को कम मात्रा में पेट्रोल या डीजल न मिले इसके लिए केंद्र सरकार पेट्रोल पंपों में इलेक्ट्रानिक फ्लो मीटर लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। मंत्री रामबिलास पासवान ने शनिवार को यहां कहा कि देश में कई स्थानों पर घटतौली के लिए पेट्रोल पंपों में चिप लगाए जाने का खुलासा होने के बाद से ही उनका मंत्रालय तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ ही तेल विपणन कंपनियों के संपर्क में है।

इस तरह की हरकतों पर रोक लगाने के लिए कई तरह के उपायों पर विचार किया जा रहा है, जिसमें छेड़छाड़ रहित इलेक्ट्रॉनिक फ्लो मीटर भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इसको लगाने को लेकर चर्चा अग्रिम चरण में है और शीध्र ही इस संबंध में निर्णय लिये जाने की उम्मीद है।

यह भी पढ़ें- बीएसएनएल उपभोक्ताओं को जल्द ही मिलेगा 4जी नेटवर्क

'जागो ग्राहक जागो' अभियान से उपभोक्ताओं की संख्या में हुआ इजाफा

पासवान ने कहा कि उपभोक्ताओं में जागरूकता लाने के लिए 'जागो ग्राहक जागो' अभियान सफल रहा है और इस अभियान के शुरू किये जाने के बाद से ही राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर आने वाले कॉल की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005-06 में इस पर 61190 कॉल आये थे जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 298589 पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि इस हेल्पलाइन के जरिये की जाने वाली शिकायतों पर मात्र 10 प्रतिशत उपभोक्ता ही अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और उनमें से 86 प्रतिशत संतुष्ट होते हैं।

उन्होंने कहा कि अगस्त 2016 में इस हेल्पलाइन की संख्या बढ़ाकर 60 की गयी थी। उससे पहले इसकी संख्या 14 थी। उन्होंने कहा कि देश के छह जोन में अक्टूबर महीने में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन शुरू की जाएगी और सभी छह केन्द्रों में 10 -10 लाइनें होंगी। इस तरह कुल मिलाकर 60 जोनल और 60 राष्ट्रीय लाइनें हो जाएंगी।

289 कंपनियां स्वेच्छा से जुड़ीं उपभोक्ता हेल्पलाइन से

उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों की 289 कंपनियां स्वेच्छा से राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन से जुड़ चुकी है और वे शिकायतों के निवारण पर जोर भी दे रही हैं। हालांकि जो कंपनियां इससे नहीं जुड़ी हैं उनके विरुद्ध मिलने वाली शिकायतों को भी संबंधित कंपनियों को भेजा जाता है और शिकायतों का निवारण भी होता है तथा जिन शिकायतों का निवारण नहीं हो पाता है उसको लेकर शिकायतकर्ता उपभोक्ता फोरम में जाते हैं। पासवान ने कहा कि जो कंपनी शिकायतों को तत्परता से निपटाती हैं उन्हें सम्मानित करने पर विचार किया जा रहा है ताकि दूसरी कंपनियां भी इस पर विशेष ध्यान दे सके।

यह भी पढ़ें- इस तरह से ऑनलाइन अपडेट कर सकते हैं आप अपना ‘आधार’

नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को जल्द मिलेगी सरकार की मंजूरी

उपभोक्ताओं की अधिकांश शिकायतों को स्थानीय स्तर पर निटपाने के उद्देश्य से सरकार जिला उपभोक्ता फोरम और राज्य उपभोक्ता फोरम के अधिकारों को बढ़ाने का प्रावधान करने जा रही है जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम को एक करोड़ रुपए तक और राज्य उपभोक्ता फोरम को 10 करोड़ रुपए तक की शिकायतों की सुनवाई का अधिकार मिल जाएगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने शनिवार को यहां संवाददाताओं से चर्चा में कहा कि नया उपभोक्ता संरक्षण विधेयक शीघ्र ही मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। इस विधेयक को सभी आवश्यक मंजूरी मिल गयी है, जो पारित होने के बाद उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 का स्थान लेगा। तीन दशक के बाद इस कानून को नया स्वरूप दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि नए विधेयक में उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण पर अधिक जोर दिया गया है और जिला उपभोक्ता फोरम को एक करोड़ रुपए तक के मामलों की सुनवाई के अधिकार का प्रावधान किया गया है। अभी यह सीमा पांच लाख रुपए है। इसी तरह से राज्य उपभोक्ता फोरम को 10 करोड़ रुपए तक के मामलों की सुनवाई का अधिकार होगा जो अभी एक करोड़ रुपए है। 10 करोड़ रुपए से अधिक के मामले ही राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में जायेंगे। पावसान ने कहा कि अभी 90 फीसदी मामलों का निपटान जिला उपभोक्ता फोरम में ही हो जाता है।

यह भी पढ़ें- अगर है आपके पास 50 गज जमीन तो बैंक के साथ जुड़कर शुरू कर सकते हैं ये बिजनेस

कहीं भी दर्ज करा सकेंगे शिकायत

मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि उपभोक्ता कहीं भी शिकायत दर्ज करा सकता है जबकि अभी उपभोक्ता वहीं मामला दर्ज करा सकता है जहां से वस्तु खरीदी गयी है। इसके अतिरिक्त अब उपभोक्ता को वकील रखने की भी जरूरत नहीं होगी। विनिर्माता और उपभोक्ता के बीच समझौता होने पर शिकायत वापस भी ली जा सकेगी।

उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता सरंक्षण कानून 1986 के स्थान पर नया कानून 10 अगस्त 2015 को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक को 26 अगस्त 2015 को स्थायी समिति को भेजा गया और स्थायी समिति ने एक वर्ष बाद अगस्त 2016 में 80 संशोधनों के साथ अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके मद्देनजर इस विधेयक को संशोधनों के आधार पर नया कानून बनाने के लिए सरकार को लौटा दिया गया था।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.